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Water Logging : जल भराव की समस्या, पार्षद आक्रामक,निगम पर साधा निशान

नगर निगम के वार्ड नंबर 9 से भाजपा पार्षद शीतल चौधरी ने अपने क्षेत्र में बढ़ती जलभराव की समस्या को लेकर गंभीर चिंता जताई है। हाल ही में उन्होंने सोशल मीडिया पर एक वीडियो साझा किया है जिसमें हिंडन के पास की मौजूदा स्थिति साफ तौर पर दिखाई दे रही है।

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Syed Ali Mehndi
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गंदगी का निरीक्षण करती पार्षद शीतल चौधरी

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गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता 

नगर निगम के वार्ड नंबर 9 से भाजपा पार्षद शीतल चौधरी ने अपने क्षेत्र में बढ़ती जलभराव की समस्या को लेकर गंभीर चिंता जताई है। हाल ही में उन्होंने सोशल मीडिया पर एक वीडियो साझा किया है जिसमें हिंडन के पास की मौजूदा स्थिति साफ तौर पर दिखाई दे रही है। वीडियो में नाले लबालब भरे हुए नज़र आ रहे हैं और चारों ओर गंदगी का अंबार फैला हुआ है। दुर्गंध और मच्छरों के प्रकोप ने स्थानीय निवासियों का जीना मुश्किल कर दिया है।

निगम अधिकारी जिम्मेदार 

पार्षद शीतल चौधरी का कहना है कि इस हालात के लिए पूरी तरह से नगर निगम के अधिकारी जिम्मेदार हैं। उनके अनुसार, नगर निगम हर साल घर-घर से टैक्स वसूलता है, लेकिन जब बुनियादी सुविधाओं की बात आती है तो जिम्मेदारी निभाने में नाकाम रहता है। “हम नागरिक टैक्स देते हैं ताकि साफ-सफाई, जल निकासी और स्वच्छ वातावरण मिल सके, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही से हमें सिर्फ समस्याएं मिल रही हैं।

जलभराव की जमीनी हकीकत

वार्ड 9 के कई इलाकों में भारी बारिश के बाद सड़कें और गलियां पानी में डूब जाती हैं। नाले और नालियां समय पर साफ न होने के कारण पानी का निकास रुक जाता है। इससे न केवल जलभराव होता है बल्कि गंदा पानी घरों के पास तक आ जाता है, जिससे संक्रामक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। हिंडन के किनारे बसे क्षेत्रों में तो हालात और भी गंभीर हैं क्योंकि वहां पानी के साथ-साथ कचरा और सीवर का गंदा पानी भी बहता है।स्थानीय लोगों का कहना है कि कई बार शिकायत करने के बावजूद कोई स्थायी समाधान नहीं निकाला गया। निगम की ओर से सिर्फ बारिश के बाद अस्थायी सफाई होती है, लेकिन कुछ ही दिनों में नाले फिर से भर जाते हैं।

पार्षद की नाराजगी और आरोप

शीतल चौधरी ने नगर निगम पर ‘कामचोरी’ का आरोप लगाते हुए कहा कि अधिकारी सिर्फ कागज़ों में सफाई दिखाते हैं। उन्होंने दावा किया कि भ्रष्टाचार के कारण सफाई और जल निकासी पर खर्च होने वाला बजट सही तरीके से उपयोग नहीं होता। “जब तक अधिकारी अपनी जिम्मेदारी को गंभीरता से नहीं लेंगे, तब तक वार्ड 9 ही नहीं, पूरे शहर में ऐसी समस्याएं बनी रहेंगी,” चौधरी ने चेतावनी दी। उन्होंने यह भी कहा कि वार्ड के लोग मानसिक और शारीरिक दोनों तरह से परेशान हैं। गंदे पानी से फैलने वाली बीमारियां जैसे डेंगू, मलेरिया और टाइफाइड का खतरा बढ़ गया है। बच्चों और बुजुर्गों के स्वास्थ्य पर इसका सबसे ज्यादा असर हो रहा है।

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स्थानीय लोगों की मांग

क्षेत्र के निवासियों का कहना है कि नगर निगम को बारिश से पहले ही नालों की पूरी तरह सफाई कर देनी चाहिए थी। साथ ही, जल निकासी की व्यवस्था को मजबूत करने के लिए पंप सेट, अतिरिक्त नालियां और रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम जैसी तकनीकों का इस्तेमाल करना चाहिए। लोगों ने यह भी मांग की कि जो अधिकारी और कर्मचारी लापरवाही बरतते हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में ऐसी स्थिति न बने।

समाधान की दिशा में कदम

विशेषज्ञों का मानना है कि गाजियाबाद जैसे तेजी से बढ़ते शहर में जलभराव की समस्या से निपटने के लिए दीर्घकालिक योजना बनाना जरूरी है। इसके लिए ठोस नाली निर्माण, नियमित सफाई, और सीवर लाइनों के अपग्रेडेशन पर ध्यान देना होगा। साथ ही, नागरिकों को भी अपने आस-पास कचरा न फैलाने और नालियों में प्लास्टिक या गंदगी न डालने के प्रति जागरूक होना पड़ेगा।

गंभीर समस्या

वार्ड 9 की यह स्थिति सिर्फ एक इलाके की समस्या नहीं, बल्कि पूरे गाजियाबाद की एक बड़ी चुनौती है। पार्षद शीतल चौधरी का यह मुद्दा उठाना निश्चित रूप से प्रशासन के लिए एक चेतावनी है कि अब सिर्फ कागज़ी योजनाओं से काम नहीं चलेगा, बल्कि जमीनी स्तर पर कार्रवाई करनी होगी। जब तक नगर निगम और स्थानीय प्रशासन मिलकर ठोस कदम नहीं उठाते, तब तक हर बरसात में वार्ड 9 के लोग इसी तरह जलभराव और गंदगी की मार झेलते रहेंगे।

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