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नगर निगम गाजियाबाद
गाजियबाद वाईबीएन संवाददाता
यू तो नगर निगम का जलकल विभाग लोगों की प्यास बुझाने के नाम पर हर साल करोडों रूपए की राशि खर्च करता है,नलकूप के फेल हो जाने एवं उसके रिबोर किए जाने पर एक मोटी रकम खर्च की जाती है,लेकिन इसके बावजूद लोगों की प्यास बुझ पाएगी,ऐसा दूर तक भी दिखाई नहीं दे रहा है।
रिबोर और मोटर का खेल
निगम के जलकल विभाग के सूत्र बताते है कि नलकूप के फेल हो जाने पर रिबोर किए जाने की स्थिति में जहां स्टेज 10 की मोटर डाली जानी चाहि,उसके स्थान पर स्टेज 4 की मोटर डालते हुए इतिश्री की जा रही है।जानकार बताते है कि ये खेल किसी एक वार्ड तक ही सीमित नहीं है,बल्कि निगम सीमा के अंतर्गत आने वाले अधिकांश वार्डों में देखा जा सकता है।
गिरता जलस्तर
जानकार बताते हैकि एक वक्त में 180 फुट पर नलकूप के लिए बोर किया जाता था,लेकिन लगातार गिरते भूजल स्तर के परिणाम स्वरूप पिछले कुछ समय से 350 फुट पर नए नलकूप लगाने के लिए बोर किए जाते है। 380फुट पर नएनलकूप के बोर किए जाने की स्थिति में स्टेज 10 की मोटर डाली जानी चाहिए,ताकि आवश्यकता के अनुसार एक लंबे वक्त तक क्षेत्र में पानी की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सकें,लेकिन ऐसा नहीं है। स्टेज 10 के स्थान पर स्टेज 4 की ही मोटर डाली जा रही है।
दम तोड़ते नलकूप
ऐसे में नलकूप छह माह से पहले ही धोखा दे जाता है।जबकि देखा जाए तो किसी नलकूप के धोखा देने की स्थिति में नए सिरे से नलकूप के लिए बोर किए जाने पर 5 लाख रूपए की राशि खर्च की जाती है। इस तरह से देखा जाए तो 10 नलकूप के रिबोर किए जाने की स्थिति में 50 लाख रूपए से अधिक की रकम का भुगतान किया जाता है। कुछ पार्षदों की मानें तो लोगों को स्वच्छ एवं आवश्यकता के अनुसार पानी की उपलब्धता सुनिश्चि करने के नाम पर एक मोटी रकम को ठिकाने लगाने का काम किया जा रहा है।
वार्ड नंबर 92 में बुरा हाल
ये उच्च स्तरीय जांच का विषय है। वार्ड 92 की महिला पार्षद रूबिना अब्बासी कीमानें तो वार्ड में पीने के पानी की बहुत ही दयनीय स्थिति है। वार्ड के एक बडे हिस्से में दूषित पानी आपूर्ति की समस्या बनी हुई है। वजह वार्ड के एक बडे हिस्से में पानी की लाइनें जर्जर है,लगातार पत्राचार के बाद भी लाइनों को बदला नहीं जा रहा है।