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आज विश्व पर्यावरण दिवस है। जिस दिल्ली-NCR जोन में हम रह रहे हैं। जहां हम अपनी जिम्मेदारियों को निभाने, परिवार चलाने, उन्हें हर संभव आधुनिक सुविधाएं देने की कोशिशों में काम-धंधा, नौकरियां कर रहे हैं, क्या हमने कभी सोचा है कि इस इलाके से इतनी अपेक्षाएं रखने के बावजूद हम इस इलाके को क्या दे रहे हैं। पैसा कमाने की होड़ और अन्य जिंदगी की दौड़-भाग में उलझकर किसी न किसी तरीके से हम इस इलाके को प्रदूषित कर रहे हैं। सीधे शब्दों में कहें तो यहां के पर्यावरण संतुलन को बिगाड़ने के जिम्मेदार बनते जा रहे हैं। खामियाजा भी हमें साथ-साथ बढ़ते प्रदूषण के रूप में झेलना पड़ रहा है। कमर्शियल गतिविधियों की वजह से पहले से ही इस इलाके की हालत खराब है। उसे लेकर लगी होड़ ने व्यवसायिक क्षेत्रों के साथ-साथ आवासीय इलाकों को भी कमर्शियल गतिविधियों का केंद्र बना दिया है। निजी स्वार्थों के चलते सरकारी नौकरशाह भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे। ये आरोप हम नहीं लगा रहे, बल्कि सरकारी सर्वे से ही ये साफ हुआ है कि खासकर गाजियाबाद के रिहायशी इलाकों में कमर्शियल गतिविधियां बढ़ने से पहले से ज्यादा नुकसान हो रहा है। सोचना होगा कि इसका जिम्मेदार सिर्फ वही लोग हैं जिन्हें रोकने की जिम्मेदारी उन्हें मिली है या फिर आप और हम भी।
आवासीय क्षेत्रों में हो रहा हर काम
दिल्ली से सटा होने के कारण गाजियाबाद की व्यवसायिक अहमियत एनसीआर में और ज्यादा बढ़ गई है। कांग्रेस की शीला दीक्षित सरकार के कार्यकाल में दिल्ली को प्रदूषण मुक्त करने की दिशा में बड़ा फैसला लिया गया था। इसके तहत अधिकांश व्यवसायिक छोटे-बड़े उद्योगों को राष्ट्रीय राजधानी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था। लेकिन इसका असर दिल्ली से सटे एनसीआर के गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, फरीदाबाद-गुडगांव समेत अन्य कई यूपी-हरियाणा के जनपदों पर पड़ा नतीजतन यहां रिहायशी इलाकों में भी दिल्ली से हटी छोटी-बड़ी व्यवसायिक गतिविधियां संचालित होने लगीं। सरकारी अमले ने निजी स्वार्थवश मानकों की अनदेखी कर इन्हें स्थापित करने से रोकने की बजाय उल्टा मदद की। नतीजा आपके सामने है। आज खासकर गाजियाबाद की बात करें तो पॉश इलाकों से लेकर मलीन बस्तियों तक में व्यवसायिक गतिविधियां धड़ल्ले से चल रही हैं। जिसका सबसे ज्यादा असर पर्यावरण पर पड़ रहा है।
ये आ रही हैं दिक्कतें
-प्रदूषण का स्तर लगातार खराब हो रहा
-व्यवसायिक गतिविधियों के लिए ज्यादा जलदोहन से जल स्तर गिर रहा
-व्यवसायिक कंपनियों के अवैध बोर करके दूषित जल डंप करने से पानी की गुणवत्ता प्रभावित हो रही
-रिहायशी इलाकों में व्यवसायिक गतिविधियां जाम का कारण बन रहीं
-आवासीय क्षेत्रों में व्यवसायिक गतिविधियों से वहां रहने वाले लोगों को तरह-तरह की बीमारियों से जूझना पड़ रहा
सरकारी सर्वे से भी हो चुका है खुलासा
गाजियाबाद में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) की छोटी-बड़ी एक लाख से अधिक औद्योगिक इकाइयां जिला उद्योग केंद्र में पंजीकृत हैं। जबकि इसमें 45 हजार से अधिक मैन्युफेक्चर इकाइयां हैं। उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीसीडा) ने जनपद में 12 औद्योगिक क्षेत्र विकसित किए हैं। जनपद में करीब 12 हजार उद्योग आवासीय क्षेत्र में चल रहे हैं। इसका खुलासा सरकारी विभागों के संयुक्त सर्वे से हुआ है। सरकारी सर्वे में भी माना गया है आबादी के बीच औद्योगिक इकाइयां होने से प्रदूषण भी फैल रहा है। इसके बावजूद आवासीय क्षेत्र में अवैध रूप से उद्योग चल रहे हैं। आवासीय और अवैध क्षेत्रों में संचालित इकाइयों से प्रदूषण का खतरा है। ये प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मानक पूरे नहीं कर रहे। पिछले दिनों उद्योग केंद्र और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम ने सर्वे कर ऐसी इकाइयों की सूची तैयार की है। इनमें फीनिशिंग काटन, टेक्सटाइल, रबर प्रोडक्ट, कागज उत्पाद, इलेक्ट्रिकल गुड्स, मशीनरी पार्ट्स, चमड़े के जूते, दुग्ध उत्पाद आदि लघु, सूक्ष्म और मध्यम इकायां शामिल हैं, इनकी संख्या पांच हजार से अधिक हैं। वहीं, सेवा (सर्विस) देने वाली इकाइयां आवासीय क्षेत्रों में करीब सात हजार चल रही हैं।
इन आवासीय क्षेत्रों में ज्यादा व्यसायिक गतिविधियां
गाजियाबाद सिटी
पुराने शहर से सटे इलाकों की अगर बात करें तो पटेल नगर, सेवा नगर, शिब्बनपुरा, जगदीश नगर, पांडव नगर, विजयनगर, हिंडन विहार, सिहानी गांव, कैला भट्टा, इस्लाम नगर, दौलतपुरा आदि के आवासीय क्षेत्रों में सबसे ज्यादा उद्योग अवैध रूप से चल रहे हैं।
अफसरों का दावा
यूपीपीसीबी
यूपीपीसीबी के एरिया ऑफिसर अंकित सिंह का दावा है कि प्रदूषण फैलाने वाली GG आद्योगिक इकाइयों और विभिन्न प्रतिष्ठानों पर नियमित कार्रवाई जारी है। बीते साल करीब सात करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया था।
सेवानगर, रविदास नगर, नंदग्राम, घूकना, पीले क्वार्टर, लाल क्वार्टर, मालीवाड़ा और जटवाड़ा आदि आवासीय क्षेत्रों में लघु, सूक्ष्म और मध्यम दर्जे की औद्योगिक इकाइयों और व्यावसायिक गतिविधियां संचालित हो रही हैं। इनमें फीनिशिंग काटन, टेक्सटाइल, रबर प्रोडक्ट, कागज उत्पाद, इलेक्ट्रिकल गुड्स, मशीनरी पार्ट्स, चमड़े के जूते,
जिला उद्योग केंद्र
जिला उद्आयोग केंद्र के उपायुक्त श्रीनाथ पासवान कहते हैं कि आवासीय क्षेत्रों में व्यवसायिक गतिविधियां संचालन पर रोक है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से आवासीय क्षेत्र में वायु और जल प्रदूषण फैलाने वाली औद्योगिक और व्यावसायिक गतिविधियों पर कार्रवाई की जाती है।
जीडीए
जीडीए के सचिव राजेश कुमार सिंह कहते हैं कि जीडीए के अधीन आने वाले आवासीय क्षेत्र में औद्योगिक गतिविधियों के लिए कोई लैंड यूज चेंज नहीं हुआ है। आवासीय क्षेत्र में प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयों का संचालन नहीं होना चाहिए। समय-समय पर ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है।