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वैक्सीन डे
गाजियाबाद वाईबीएन संवाददाता
गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख शहर, स्वास्थ्य संबंधी विभिन्न चुनौतियों का सामना कर रहा है, जिनमें से एक है एचआईवी एड्स का बढ़ता हुआ खतरा। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. अखिलेश मोहन द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, वर्तमान में गाजियाबाद में एचआईवी एड्स के कुल 2160 सक्रिय मामले दर्ज हैं। यह आंकड़ा स्वास्थ्य तंत्र के लिए चिंता का विषय है, लेकिन राहत की बात यह है कि इन सभी मरीजों का इलाज चल रहा है और सरकार की ओर से एंटी रेट्रोवायरल थेरेपी (ART) उपलब्ध कराई जा रही है।
गत वर्ष मिले थे 51 मरीज़
डॉ. मोहन के अनुसार, अक्टूबर 2024 में हुई जांच के दौरान ही 51 नए मामले सामने आए हैं, जो यह दर्शाता है कि संक्रमण की दर अभी भी नियंत्रण में नहीं आई है। एचआईवी एक लाइलाज बीमारी है, लेकिन उचित इलाज और सावधानी से इसे काबू में रखा जा सकता है। वर्तमान में जिला अस्पतालों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर नियमित रूप से जांच और परामर्श सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग समय पर अपनी जांच कराएं और संक्रमित पाए जाने पर तुरंत उपचार शुरू किया जा सके।
एचआईवी के कई कारण
गाजियाबाद जैसे औद्योगिक और शहरीकृत क्षेत्र में एचआईवी फैलने के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे असुरक्षित यौन संबंध, संक्रमित सुइयों का उपयोग, रक्त का संक्रमण, और जागरूकता की कमी। हालांकि सरकार और स्वास्थ्य विभाग द्वारा समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं, लेकिन अभी भी समाज के कई तबकों में एचआईवी को लेकर भ्रांतियां और सामाजिक भेदभाव की भावना मौजूद है, जो मरीजों के मानसिक स्वास्थ्य और इलाज पर नकारात्मक असर डालती है।
सामूहिक प्रयास आवश्यक
एचआईवी एड्स से निपटने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है। स्कूलों, कॉलेजों, कार्यस्थलों और सार्वजनिक स्थानों पर जागरूकता कार्यक्रम चलाकर लोगों को सुरक्षित यौन व्यवहार, नियमित जांच और इलाज के महत्व के बारे में बताया जाना चाहिए। इसके अलावा, यह भी आवश्यक है कि एचआईवी संक्रमित व्यक्तियों को समाज में सम्मान और सहयोग मिले ताकि वे बिना किसी डर के इलाज करा सकें और सामान्य जीवन जी सकें।
गंभीर स्थिति
गाजियाबाद में सक्रिय मामलों की संख्या यह दर्शाती है कि स्थिति अभी भी गंभीर है और सतर्कता की आवश्यकता है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से किए जा रहे प्रयास सराहनीय हैं, लेकिन आमजन की भागीदारी के बिना इस बीमारी पर पूरी तरह से काबू पाना मुश्किल है। यदि समाज, सरकार और स्वास्थ्य संस्थाएं मिलकर प्रयास करें, तो एचआईवी एड्स के प्रसार को रोका जा सकता है और संक्रमित व्यक्तियों को बेहतर जीवन दिया जा सकता है।