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विश्व में सबसे ज्यादा केंसर के मरीजों की सूची में हम टॉप में हैं। तबांदू का सेवन करके केंसर को गले लगाने के मामले में भी हम सर्वोच्च हैं। नशाखोरी से होने वाली बीमारियों और इन सबसे होने वाली सबसे ज्यादा मौत के मामलों में भी हमारा नंबर टॉप वाला है। बावजूद इसके आज हालात ये है कि केंसर परोसने की दुकानें नियम और कायदे-कानून के विपरीत गली-मुहल्लों में चल रही हैं। मगर, इन पर कार्रवाई लगभग ना के बराबर। आज विश्व तंबादू निषेध दिवस है। लिहाजा हम बात उसी की ज्यादा करेंगे। हमारे देश में तंबाकू का सबसे ज्यादा सेवन करने से केंसर के रोगियों और उससे होने वाले रोगियों की तादात सबसे ज्यादा है। बावजूद इसके इसे नियम विरूद्ध बेचने वालों को सजा के तौर पर पचास से सौ रुपये तक का जुर्माना लगाया या वसूला जा रहा है।
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ये है गाजियाबाद में हाल
जिले में तम्बाकू सेवन करने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। टीबी मरीजों में अधिकांश तम्बाकू सेवन करने वाले लोग शामिल हैं। मुंह का कैंसर भी सबसे ज्यादा तंबाकू सेवन करने से हो रहा है। इसके बाद भी तम्बाकू निषेध को लेकर संचालित जागरूकता अभियान महज खानापूर्ति भर खास मौकों पर चलता है। सरकारी मशीनरी का हाल ये है कि पचास और सौ रुपये का जुर्माना लगाने तक इससे जुड़े अभियानों के दौरान कार्रवाई होती है। एनसीडी विंग में चल रहे क्लीनिक पर भी कोई सलाह नहीं दी जा रही है। बल्कि यहां ये कहना गलत नहीं होगा कि तैनात स्टाफ मुफ्त का चंद घिसकर बगैर किसी कामकाज तनख्वाह ले रहा है।
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वर्जित क्षेत्रों में भी खुलेआम उलंघन
अस्पतालों की ओपीडी हो या वार्ड। सरकारी कार्यालय हों या फिर सार्वजनिक स्थल। धूम्रपान और मद्यपान निषेध या वर्जित के बोर्ड और दीवारों पर स्लोगन तो सब जगह लिखे मिलते हैं। मगर, तंबाकू, गुटखा और बीड़ी-सिगरेट हर जगह खुलेआम होता देखा जा सकता है। यही नहीं अस्पताल और वार्ड में भर्ती मरीज और तीमारदार भी बीडी-सिगरेट और तंबाकू-गुटखे का सेवन करते नजर आ जाते हैं।
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ऊंट के मुंह में जीरे वाली कार्रवाई
गाजियाबाद के स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट बताती है कि सार्वजनिक स्थानों एवं स्कूलों के आसपास तम्बाकू बेचने पर वर्ष 2023-24 में 118 लोगों का चालान किया गया। इन लोगों से 14 हजार रुपये का जुर्माना वसूला गया। इसी तरह वर्ष 2024-25 में 379 लोगों का चालान किया गया। इनसे 25 हजार रुपये का जुर्माना सरकारी महकमें ने वसूला। खानापूर्ति के लिए की जाने वाली कार्रवाई का ही नतीजा है कि जिले में तंबाकू का इस्तेमाल जहां लगातार बढ़ रहा है, वहीं कार्रवाई महज अभियान या खानापूर्ति के लिए हो रही है।
ये है दुष्प्रभाव
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जिले में केंसर रोगियों की बात करें तो इनमें से 50 फीसदी मरीज मुंह और गले के कैंसर के हैं। इसमें सबसे ज्यादा 19 वर्ष से 35 साल के हैं। बीड़ी-सिगरेट और गुटखा-खेनी जैसे उत्पादों का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। तंबाकू का सबसे पहले असर मुंह, गले और फेफड़ों पर पड़ता है। मुंह के कैंसर के मामले अधिक इसलिए भी हैं क्योंकि लोग गुटखा और तंबाकू लंबे समय तक मुंह में रखते हैं। यह धीरे-धीरे कैंसर की वजह बनता है। धूम्रपान करने से फेफड़े, मुंह, आहार नली, नाक, पेट, यकृत, गुर्दे, यूरिन ब्लेडर के कैंसर का भी खतरा रहता है। इसलिए समय रहते चेतने की जरूरत है।
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