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Yashoda hospital : जांच समिति सक्रिय, यशोदा अस्पताल को देना होंगे सभी दस्तावेज

2 जून को कौशांबी स्थित यशोदा अस्पताल में उज्जवल चौधरी पुत्र जितेंद्र चौधरी निवासी मुजफ्फरनगर की संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु हो गई थी। इस हृदय विदारक घटना ने न सिर्फ चौधरी परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया है, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं पर भी कई

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Syed Ali Mehndi
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यशोदा हॉस्पिटल पर जिला प्रशासन सख्त

गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता

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2 जून को कौशांबी स्थित यशोदा अस्पताल में उज्जवल चौधरी पुत्र जितेंद्र चौधरी निवासी मुजफ्फरनगर की संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु हो गई थी। इस हृदय विदारक घटना ने न सिर्फ चौधरी परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया है, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं पर भी कई सवाल खड़े कर दिए हैं। उज्जवल चौधरी का परिवार अब तक इस दुखद घटना से उबर नहीं पाया है। उनके भाई अर्पित चौधरी को आगामी 23 जून को सुबह 11 बजे कलेक्ट्रेट स्थित कमरा नंबर 212 में बयान दर्ज करने के लिए बुलाया गया है।

परिवार का आरोप मामला गंभीर 

परिवार का आरोप है कि इस पूरे मामले में सरकारी तंत्र का रवैया गैर-जिम्मेदाराना रहा है। उज्जवल के परिजनों का कहना है कि इतने गंभीर और दुखद मामले में प्रशासन की धीमी कार्यवाही उन्हें और भी अधिक आहत कर रही है। हालांकि जांच समिति के गठन के बाद कुछ उम्मीदें जगी हैं कि अब सच्चाई सामने आएगी और न्याय मिलेगा।

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जिला प्रशासन सक्रिय 

इस बीच जिला प्रशासन ने जांच प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए यशोदा अस्पताल को एक महत्वपूर्ण पत्र जारी किया है। पत्र में स्पष्ट किया गया है कि अस्पताल प्रशासन को उज्जवल चौधरी से जुड़े सभी अभिलेख, सर्जरी की वीडियोग्राफी, सीपीआर (कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन) तथा सीआरआरटी (कंटिन्युअस रीनल रिप्लेसमेंट थेरेपी) डायलिसिस की विस्तृत रिपोर्ट प्रशासन को तत्काल उपलब्ध करानी है।पत्र में यह भी उल्लेख है कि 26 मई को उज्जवल चौधरी की हर्निया की रोबोटिक सर्जरी की गई थी, जिसकी वीडियोग्राफी की गई थी। इसके बाद 29 मई को डॉक्टर संजय नेगी द्वारा आपातकालीन सर्जरी की गई। जिला प्रशासन ने इन दोनों सर्जरी की वीडियोग्राफी, 2 जून को हिंडन पर हुए पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी और समस्त उपचार से संबंधित दस्तावेज तत्काल जमा करने को कहा है, ताकि जांच निष्पक्ष और तथ्यों के आधार पर की जा सके।

उज्जवल का परिवार सदमे में 

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फिलहाल उज्जवल चौधरी की असामयिक मृत्यु से परिवार पूरी तरह टूट चुका है। जिस बेटे को बेहतर इलाज की उम्मीद में यशोदा अस्पताल लाया गया था, उसकी मौत ने परिजनों को झकझोर दिया है। अब पूरा परिवार बस यही चाहता है कि न्याय हो और दोषियों को सजा मिले।यह मामला एक बार फिर अस्पतालों में पारदर्शिता, जवाबदेही और इलाज की गुणवत्ता पर बहस छेड़ देता है। यदि इस जांच के दौरान किसी तरह की लापरवाही या चिकित्सा प्रोटोकॉल का उल्लंघन सामने आता है, तो यह केवल एक परिवार ही नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए गंभीर चेतावनी होगी। जिला प्रशासन को चाहिए कि वह इस मामले में निष्पक्षता और संवेदनशीलता के साथ कार्य करे ताकि न्याय सुनिश्चित हो सके।

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