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Yashoda : उज्जवल की मौत का आक्रोश बाकी, जांच रिपोर्ट का इंतजार

कौशांबी स्थित यशोदा सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में हर्निया के ऑपरेशन के बाद उज्जवल नामक 35 वर्षीय युवक की संदिग्ध मौत के मामले में अब नया मोड़ आ गया है। परिजन इस पूरे प्रकरण में मजिस्ट्रेट जांच का इंतजार कर रहे हैं। लेकिन उन्होंने संघर्ष की बात भी कही है।

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Syed Ali Mehndi
उज्जवल की मौत का मामला

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गाजियाबाद,वाईबीएन संवाददाता 

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कौशांबी स्थित यशोदा सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में हर्निया के ऑपरेशन के बाद उज्जवल नामक 35 वर्षीय युवक की संदिग्ध मौत के मामले में अब नया मोड़ आ गया है। परिजन इस पूरे प्रकरण में मजिस्ट्रेट जांच का इंतजार कर रहे हैं और न्याय मिलने की उम्मीद के साथ कानूनी प्रक्रिया का अनुसरण कर रहे हैं। लेकिन उन्होंने संघर्ष की बात भी कही है। 

 जारी रहेगी इंसाफ की लड़ाई

उज्जवल के भाई अर्पित ने बताया कि उन्होंने पूरे मामले को कानून के हवाले कर दिया है और उन्हें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है। उन्होंने कहा कि जैसे ही मजिस्ट्रेट की ओर से पत्र जारी होगा, वे औपचारिक रूप से अपना बयान दर्ज कराएंगे और इस जांच के माध्यम से अस्पताल प्रशासन की लापरवाही व डॉक्टरों की जिम्मेदारी उजागर होगी। उनका विश्वास है कि यदि निष्पक्ष जांच होती है, तो दोषियों को सजा अवश्य मिलेगी। साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि जांच में किसी तरह की हीलाहवाली या पक्षपात हुआ तो वे आंदोलन का रास्ता फिर से अपनाएंगे और न्याय की इस लड़ाई को अंतिम मुकाम तक लेकर जाएंगे। गौरतलब है कि उज्जवल की मृत्यु 2 जून को हर्निया के ऑपरेशन के बाद हुई थी। परिजनों का आरोप है कि ऑपरेशन के दौरान लापरवाही बरती गई, जिसके कारण उज्जवल की जान गई। इस घटना के बाद भारतीय किसान यूनियन, त्यागी समाज और जाट समाज समेत विभिन्न संगठनों ने मिलकर यशोदा अस्पताल के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन किया था। प्रदर्शन इतना तीव्र था कि प्रशासन को हस्तक्षेप करना पड़ा।

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 10 जुलाई का है इंतजार 

प्रदर्शन के दबाव में स्वास्थ्य विभाग ने मामले की गंभीरता को समझते हुए सीएमओ की निगरानी में एक जांच कमेटी गठित की है। यह कमेटी अस्पताल में हुई चिकित्सकीय प्रक्रियाओं, इलाज में हुई संभावित लापरवाही और अन्य पहलुओं की जांच कर रही है। बताया जा रहा है कि यह जांच रिपोर्ट आगामी 10 जुलाई तक सार्वजनिक की जाएगी। इस पूरे मामले ने न केवल चिकित्सा संस्थानों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि प्रशासन की जवाबदेही और पारदर्शिता की परीक्षा भी बन गया है। परिजन और स्थानीय समुदाय की निगाहें अब मजिस्ट्रेट जांच और आने वाली रिपोर्ट पर टिकी हैं। अगर दोषियों को सजा नहीं मिली तो एक बार फिर जनआंदोलन तेज हो सकता है। न्याय की यह लड़ाई अब सिर्फ उज्जवल के परिवार की नहीं, बल्कि जनसुरक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था की विश्वसनीयता की भी बन गई है।

 

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