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योगाभ्यास
गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता
"करो योग, रहो निरोग" – इस सिद्धांत को आत्मसात करते हुए गाजियाबाद की गुलमोहर एन्क्लेव सोसाइटी में रहने वाले योग गुरु आचार्य बी. दयाल अग्रवाल ने योग को न केवल अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाया है, बल्कि समाज को भी इस दिशा में प्रेरित कर रहे हैं। सोमवार सुबह तेज बारिश के बावजूद उन्होंने योगाभ्यास कराया, जिससे उनकी लगन और सेवा भावना का परिचय मिलता है।
रोज सुबह योगाभ्यास
राकेश मार्ग स्थित इस सोसाइटी के सेंट्रल पार्क में रोज सुबह योगाभ्यास की परंपरा है। लेकिन विशेष बात यह है कि आचार्य बी. दयाल का यह नियम कभी नहीं टूटता – चाहे आंधी हो, बारिश हो या कोई अन्य व्यवधान। सोमवार को जब बारिश ने लोगों को घरों में कैद कर दिया, तब भी योग गुरु समय पर पार्क पहुंचे और अपने नियमित योग सत्र का संचालन किया।
गायत्री मंत्र से शुभारंभ
योग सत्र की शुरुआत पारंपरिक गायत्री मंत्र के साथ हुई, जिसने पूरे वातावरण को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया। सोसाइटी के कई निवासी जैसे संजीव बंसल, गौरव बंसल, निर्देश गोयल, सुभाष गर्ग, राधे श्याम, सतीश बंसल और जगदीश वर्मा भी इस सत्र में सम्मिलित हुए। सभी ने एक स्वर में कहा कि आचार्य दयाल जी समय के बेहद पाबंद हैं और उनका समर्पण हम सबके लिए प्रेरणा है। योग गुरु बी. दयाल का मानना है कि योग शारीरिक और मानसिक दोनों स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक है। उनका कहना है कि मानसिक तनाव, अनिद्रा, चिंता, मोटापा जैसी समस्याओं के समाधान के लिए योग एक प्राकृतिक और प्रभावी उपाय है। इसके साथ ही यह शरीर में लचीलापन (फ्लेक्सिबिलिटी) लाने और सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करने में भी सहायक है।
योग जीवन की कला
सबसे सराहनीय बात यह है कि वह इस योग सत्र के लिए किसी प्रकार का शुल्क नहीं लेते। उनका उद्देश्य है कि योग के माध्यम से समाज का अधिक से अधिक लाभ हो। वह कहते हैं, "योग मेरे लिए केवल शारीरिक व्यायाम नहीं, बल्कि जीवन जीने की एक कला है। तेज बारिश में भी बिना रुके योग कराना यह दर्शाता है कि यदि मन में सच्ची लगन हो, तो कोई भी बाधा मार्ग नहीं रोक सकती। आचार्य बी. दयाल का यह समर्पण न केवल स्वास्थ्य की दिशा में प्रेरणादायक है, बल्कि सामाजिक जागरूकता और अनुशासन का उत्कृष्ट उदाहरण भी है।