गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता।
यंग भारत की खबर में सीताराम बाजार के नामकरण पर नई बात सामने आई है। खुलासा ये हुआ है कि बोर्ड बैठक से प्रस्ताव पास तो हो गया है। मगर अभी मिनेट्स में दर्ज होना और नामकरण समिति से अनुमति मिलना बाकी है। पार्षद ने बताया कि बोर्ड को नगर निगम की ओर से लगाया ही नहीं गया है।
पार्षद बोले-अभी लग ही नही सकता बोर्ड
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वार्ड-88 के पार्षद नीरज गोयल ने खुलासा किया है कि बोर्ड बैठक से प्रस्ताव पास भले ही हो गया है। मगर, ये बोर्ड नगर निगम की तरफ से लगवाया ही नहीं गया है। उनका कहना है कि उनके द्वारा जो बोर्ड पहले से लगा रखा है, वो अपने आवास क्षेत्र के दिशा सूचक के रूप में लगवाया है। उसका बाजार से किसी तरह का कोई संबंध नहीं। ऐसे में दबी जुबान में कुछ व्यापारियों का ही कहना है कि बाजार में व्यापारियों के दो गुटों में सीताराम बाजार का क्रेडिट लेने को लेकर चल रही खींचतान में ये बोर्ड लगा है। मगर, अभी तक किसी भी व्यापारी या व्यापारी गुट ने इस बोर्ड को लगवाने की जिम्मेदारी नहीं ली है।
ये है मामला
दरअसल, सात मार्च को हुई निगम बोर्ड की बैठक में वार्ड 88 के बीजेपी पार्षद नीरज गोयल की ओर से एक प्रस्ताव रखा गया था। इस प्रस्ताव में इलाके के तुराब नगर चौक को सीताराम चौक के रूप में उसका नामकरण करने की मांग की गई थी। इस प्रस्ताव को निगम बोर्ड ने सर्व सम्मति से पारित कर दिया और प्रस्ताव को बोर्ड बैठक के मिनट्स में दर्ज कर नामकरण समिति को भेजने की प्रक्रिया शुरू हो गई थी। लेकिन इसी प्रोसेस के बीच नामकरण समिति की हरी झंडी मिलने से पहले ही निगम का लोगो और निगम के बोर्ड़ों की ही तरह का एक सीताराम बाजार का बोर्ड अम्बेडकर रोड़ की तरफ बाजार के किनारे पर लगवा दिया गया। लोग हैरान इस बात से थे कि जब नामकरण समिति ने इस प्रस्ताव को पास नहीं किया तो निगम के लोगो के साथ ये बोर्ड किसने लगवा दिया।
पार्षद की तरह ही निगम का भी इंकार
इस बोर्ड को लेकर निगम अफसरों का भी कहना है कि अभी नामकरण समिति की हरी झंडी ही नहीं मिली तो बोर्ड को लगवाने को कोई मतलब ही नहीं होता। अधिकारी इस बात से हैरान हैं कि बोर्ड को बाकायदा निगम के लगवाए गए बोर्ड की तर्ज पर ही कैसे और किसने बिना अनुमति के लगावा दिया। इतना ही नहीं उसमें निगम का लोगो भी हू-ब-हू इस्तेमाल किया गया।
लोगों में चर्चा ये है
हालाकि इस मामले पर अभी तुराब नगर के व्यापार मंडलों की तरफ से किसी तरह का बयान नहीं आया है। मगर, कुछ व्यापारियों ने ही नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया है कि ये बोर्ड किसी व्यापारी संगठन की तरफ से ही लगवाया गया है। इसे लगवाने का मकसद व्यापारी संगठनों में क्रेडिट लेने की होड़ भर है।