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नई दिल्ली(आईएएनएस)। दिल की बीमारियों की समय पर पहचान न हो पाना दुनियाभर में लाखों लोगों के जीवन के लिए खतरा बन चुका है। महंगे टेस्ट और सीमित संसाधनों के चलते कई बार गंभीर हृदय रोग भी बिना पहचान के रह जाते हैं। ऐसे में अमेरिका के कोलंबिया यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक नया एआई टूल विकसित किया है, जो कार्डियोलॉजिस्ट से भी ज्यादा सटीक और भरोसेमंद साबित हो सकता है। EchoNext नामक AI टूल से दिल की बीमारियों, विशेष रूप से स्ट्रक्चरल हृदय रोगों (जैसे वाल्व रोग, कार्डियोमायोपैथी, पल्मोनरी हाइपरटेंशन, और हृदय की दीवारों का गंभीर मोटा होना) की सटीक जांच संभव है। यह टूल सामान्य इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ECG) डेटा का विश्लेषण करके यह निर्धारित करता है कि किन मरीजों को आगे अल्ट्रासाउंड (इकोकार्डियोग्राम) की आवश्यकता है।
क्या है ‘इकोनेक्स्ट’?
‘इकोनेक्स्ट’ एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित स्क्रीनिंग टूल है, जिसे कोलंबिया यूनिवर्सिटी के वैगेलोस कॉलेज ऑफ फिजिशियन एंड सर्जन्स के प्रोफेसर पियरे एलियास और उनकी टीम ने विकसित किया है।
यह टूल सामान्य ईसीजी के डेटा का विश्लेषण कर उन दिल की बीमारियों को पकड़ता है जो आमतौर पर डॉक्टर भी ईसीजी से नहीं पकड़ पाते|
शोध की मुख्य बातें:
शोध में शामिल 2.3 लाख मरीजों के 12 लाख से ज्यादा ईसीजी और इकोकार्डियोग्राम डेटा का विश्लेषण किया गया|
इकोनेक्स्ट' ने 3,200 ईसीजी रिपोर्ट्स में से 77% मामलों में दिल से जुड़ी बीमारियों की सही पहचान की, जो 13 अनुभवी कार्डियोलॉजिस्ट्स से भी बेहतर साबित हुआ।
यह टूल खास तौर पर दिल की कमजोर स्थिति, वॉल्व की बीमारी, और फेफड़ों में हाई ब्लड प्रेशर (पल्मोनरी हाइपरटेंशन) जैसी गंभीर बीमारियों को पहचानने में सक्षम है।
क्यों है ‘इकोनेक्स्ट’ खास?
कम लागत: ईसीजी एक किफायती टेस्ट है, जो 'इकोनेक्स्ट' की मदद से बेहद उपयोगी बन सकता है।
सटीकता: यह डॉक्टरों द्वारा अनदेखी रह जाने वाली बीमारियों को भी पहचानने में सक्षम है।
भविष्य की दिशा:
प्रोफेसर एलियास के अनुसार, जैसे कोलोनोस्कोपी से आंत की बीमारियों और मैमोग्राम से स्तन कैंसर की जांच संभव होती है,
वैसे ही 'इकोनेक्स्ट' दिल की बीमारियों के लिए एक नई, सरल और सस्ती स्क्रीनिंग व्यवस्था का रास्ता खोल सकता है।
इकोनेक्स्ट’न केवल एक टेक्नोलॉजिकल इनोवेशन है, बल्कि यह हृदय स्वास्थ्य की जांच में क्रांति ला सकता है। अगर इसे बड़े पैमाने पर अपनाया जाए, तो यह दुनियाभर में करोड़ों लोगों की जान बचा सकता है — खासतौर पर उन लोगों की, जो समय पर और सही जांच का खर्च नहीं उठा सकते
(By अनुष्का चोपड़ा)