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वॉइस बॉक्स कैंसर का शुरुआती स्टेज में पता लगाने में मददगार साबित हो सकता है AI

कैंसर एक जानलेवा बीमारी हैं। इसका इलाज आसनी से नहीं होता हैं। अगर कैंसर का निदान शुरूआत में ही कर लिया जाए तो इसके इलाज में आसानी हो जाती हैं। कैंसर कई प्रकार के होते हैं और सभी बहुत ही खतरनाक होते हैं। 

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Mukesh Pandit
Voice box cancer
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स्वरयंत्र (वॉइस बॉक्स) कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जिसमें स्वरयंत्र (गले का वह भाग जो जीभ के आधार और श्वासनली के बीच होता है) के ऊतकों में घातक (कैंसर) कोशिकाएं बनती हैं। स्वरयंत्र में स्वर रज्जुएं होती हैं, जो हवा के उनके विरुद्ध जाने पर कंपन करती हैं और ध्वनि उत्पन्न करती हैं। यह ध्वनि ग्रसनी, मुँह और नाक से होकर गूंजती है और व्यक्ति की आवाज़ बनती है। कैंसर एक जानलेवा बीमारी हैं। इसका इलाज आसनी से नहीं होता हैं। अगर कैंसर का निदान शुरूआत में ही कर लिया जाए तो इसके इलाज में आसानी हो जाती हैं। कैंसर कई प्रकार के होते हैं और सभी बहुत ही खतरनाक होते हैं। ऐसा ही गले का कैंसर है जो पीड़ित के लिए काफी खतरनाक होता हैं।

एआई से कैंसर डिटेक्ट किया जा सकता है

अमेरिकी वैज्ञानिकों की एक टीम ने पता लगाया है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) मरीज की आवाज से लेरिंक्स या वाइस बॉक्स कैंसर का पता शुरुआती स्टेज में लगाने में मदद कर सकता है।वॉइस बॉक्स कैंसर एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या है जो कई लोगों को प्रभावित करती है। 2021 में दुनिया भर में वॉइस बॉक्स कैंसर के अनुमानित 11 लाख मामले सामने आए और लगभग 1,00,000 लोगों की इससे मृत्यु हुई।

पांच वर्षों में 35 से 78%तक जीवित रहने की संभावना

इस बीमारी के जोखिम कारकों में धूम्रपान, शराब का दुरुपयोग और ह्यूमन पेपिलोमा वायरस का संक्रमण शामिल हैं।वॉइस बॉक्स कैंसर का निदान, इलाज के बाद पांच वर्षों में 35 प्रतिशत से 78 प्रतिशत तक जीवित रहने की संभावना रखता है, जो ट्यूमर के चरण और स्वरयंत्र में उसके स्थान पर निर्भर करता है।

ओरेगन हेल्थ एंड साइंस यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने बताया कि एआई का प्रयोग करके आवाज की ध्वनि से स्वर की असामान्यताओं का पता लगाया जा सकता है। इस तरह के 'वोकल फोल्ड लिजन्स' नुकसानदायक नहीं भी हो सकते हैं, जैसे गांठ या पॉलीप्स, लेकिन ये स्वरयंत्र कैंसर के शुरुआती स्टेज का भी संकेत हो सकते हैं।

वॉइस बॉक्स कैंसर की पहचान संभव

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फ्रंटियर्स इन डिजिटल हेल्थ पत्रिका में प्रकाशित शोध पत्र में कहा गया है कि ये परिणाम एआई के एक नए अनुप्रयोग के द्वार खोलते हैं। मतलब वॉइस बॉक्स कैंसर के शुरुआती चेतावनी चरणों को ध्वनि रिकॉर्डिंग से पहचाना जा सकता है।ओरेगन में क्लिनिकल इंफॉर्मेटिक्स के पोस्टडॉक्टरल फेलो डॉ. फिलिप जेनकिंस ने कहा, "यहां हम दिखाते हैं कि इस डेटासेट के साथ हम वोकल बायोमार्कर का उपयोग करके वोकल फोल्ड लिजन्स वाले मरीजों की आवाजों को ऐसे घावों से रहित मरीजों की आवाजों में अंतर कर सकते हैं।"

अध्ययन में, जेनकिंस और उनकी टीम ने उत्तरी अमेरिका के 306 प्रतिभागियों की 12,523 ध्वनि रिकॉर्डिंग के साथ स्वर, पिच, वॉल्यूम और स्पष्टता में भिन्नताओं का विश्लेषण किया। रिसर्चर्स ने आवाज की कुछ खास विशेषताओं पर ध्यान दिया।

वोकल कॉर्ड में गांठें

उन्होंने पाया कि जिन पुरुषों को कोई आवाज की समस्या नहीं थी, जिन्हें वोकल कॉर्ड में गांठें थीं, और जिन्हें गले का कैंसर था, उनकी आवाज के हार्मोनिक-टू-नॉइज रेशियो और फंडामेंटल फ्रीक्वेंसी में साफ अंतर थे। हालांकि, महिलाओं में उन्हें आवाज की कोई खास विशेषता नहीं मिली जिससे जानकारी मिल सके।शोधकर्ताओं ने अंत में कहा कि हार्मोनिक-टू-नॉइज रेशियो में बदलाव वॉइस बॉक्स के कैंसर को शुरुआती स्टेज में पता लगाने में मददगार साबित हो सकता है।  voice box cancer | cancer research India | HEALTH | get healthy body | get healthy

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