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10 साल पहले ही चल जाएगा Cancer का पता

Cancer: आयुर्वेद में इतनी ताकत है कि वो कैंसर होने के 10 साल पहले ही इसके बारे में बता सकता है। इसी तरीके से हमारे पूर्वज पहले इस बीमारी का पता लगा लेते थे । 

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Kamal K Singh
Cancer

Photograph: (google)

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दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।

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कैंसर का इलाज नहीं हो पाने का सबसे बड़ा कारण है उसका समय पर पता नहीं लगाना। डाक्टर्स का मानना है कि अगर इस बीमारी का पता समय से चल जाये तो इसका इलाज संभव है और मरीज को बचाया जा सकता है। आयुर्वेद में इतनी ताकत है कि वो कैंसर होने के 10 साल पहले ही इसका बारे में बता सकता है। इसी तरीके से हमारे पूर्वज पहले इस बीमारी का पता लगा लेते थे। 

आयुर्वेद विशेषज्ञों की माने तो हर किसी की एक प्रकृति होती है, जो वात, पित्त और कफ दोषों से बनी होती है। कुछ लोगों की प्रकृति एक दोष की हो सकती है, जबकि अन्य की प्रकृति दो दोषों की या तीनों दोषों का संयोजन हो सकता है। आयुर्वेद कहता है कि इन तीनों को संतुलित रखना ज़रूरी है, नहीं तो ये आपके शरीर में कई बीमारियों का ख़तरा पैदा कर सकते हैं।

इस प्रकृति से लगता है कैंसर का पता

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आयुर्वेद के अनुसार इनमें से एक प्रकृति ऐसी है, जिसके होने से कैंसर होने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। आयुर्वेदिक डाक्टर्स का कहना है कि आयुर्वेद के जरिए हम पता लगा सकते हैं कि आज से 10 साल बाद कैंसर होगा या नहीं, आज से 5 साल बाद डायबिटीज होगी या नहीं? इससे आप बीमारी का पहला चरण शुरू होने से पहले ही उसे पकड़ सकते हैं।

क्या है संकेत

आयुर्वेद कहता है कि जिन लोगों की प्रकृति कफ होती है, उन्हें कैंसर होने का खतरा किसी और के मुकाबले कई गुना ज्यादा होता है। डॉक्टर के अनुसार, कफ प्रकृति के कारण शरीर के अंदर फैट, बलगम, कोशिकाएं, ऊतक या किसी भी तरह की वृद्धि, संचय, वृद्धि आदि की संभावना अधिक होती है।

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आगे क्या कर सकते हैं आप ?

शरीर की प्रकृती नहीं बदली जा सकती है, इस बात को नहीं झुठलाया जा सकता है। लेकिन उसे संतुलित करने के लिए कुछ उपाय किया जा सकता है। लेकिन आप इन लक्षणों का पता कैसे लगाएंगे।

ऐसे लगाए इन लक्षणों का पता

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एनसीबीआई ने भारतीय शोधकर्ताओं द्वारा किया गया एक अध्ययन प्रकाशित किया है, जिसमें इस दोष के मजबूत होने के लक्षणों के बारे में बताया गया है।

चौड़ा शरीर

ढीलापन

चिकनी, मुलायम और साफ त्वचा

घने और घने बाल

मोटापे की संभावना

कमजोर पाचन

शारीरिक गतिविधि कम होना और धीमी गति से चलना

ठंडे या गर्म तापमान के अनुकूल होना

विषाक्त पदार्थों में वृद्धि

नई चीजों में कम रुचि

सीखने में धीमा लेकिन याद रखने में मजबूत

उम्र के लक्षणों का धीरे-धीरे दिखना

मधुमेह, मोटापा, एथेरोस्क्लेरोटिक स्थितियों का जोखिम।

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