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कुदरत की गोदमें छिपे खजाने की बात कुछ और ही होती है। आयुर्वेद में कई जड़ी-बूटियों ने सदियों से मनुष्यों के स्वास्थ्य की सरंक्षा और संवर्धन किया है। एक ऐसे ही खास औषधीय गुणों से युक्त पौधा है- चक्रमर्द या चकवड़। इसका वैज्ञानिक नाम कैसिया ऑरिक्युलेटा है। चक्रमर्द को चकवड़, चिरोटा, या पवांड़ (Cassia tora) के नाम से भी जाना जाता है, एक आयुर्वेदिक औषधीय पौधा है जो भारत में वर्षा ऋतु में खेतों, जंगलों, और सड़कों के किनारे आसानी से उगता है। इसके पत्ते, बीज, जड़, और फूल विभिन्न रोगों के उपचार में उपयोगी हैं। खासतौर पर मधुमेह के इलाज में यह पौधा चमत्कारी लाभ पहुंचाता है।
कैसे करें उपयोग
चक्रमर्द के (10 ग्राम) बीजों को छाछ में 8 दिन तक भिगोकर रखने के बाद, उसे पीसकर (5 ग्राम) हल्दी और (5 ग्राम) बावची के साथ मिलाकर लेप बनाकर लगाने से सफेद दाग, दाद, खाज और खुजली जैसी पुरानी समस्याओं को खत्म किया जा सकता है। चक्रमर्द के पत्ते, फूल और बीज रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। जो लोग नियमित रूप से इसका काढ़ा या चूर्ण लेते हैं, उन्हें इंसुलिन के स्तर में स्थिरता मिलती है। इसकी पत्तियां और बीज पाचन तंत्र को भी मजबूत करते हैं। यह पाचन एंजाइम्स के स्तर को बढ़ाता है और भोजन के बेहतर अवशोषण में मदद करता है, जिसकी वजह से पेट में न दर्द होता है न गैस की समस्या रहती है।
त्वचा के लिए बेहद उपयोगी
पत्तों का पेस्ट त्वचा पर लगाने से एंटीबैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण त्वचा को साफ और चमकदार बनाते हैं, जिससे मुंहासे, फोड़े-फुंसी या घाव को ठीक किया जा सकता है। इसके बीज और पत्तियां मूत्र प्रणाली (यूरिनरी सिस्टम) को संतुलित करती हैं और संक्रमण से बचाव करती हैं। इस आयुर्वेदिक पत्ते का इस्तेमाल करने से बार-बार पेशाब आना या मूत्र में जलन जैसे समस्याओं का समाधान आसानी से हो पाता है। चक्रमर्द लीवर की कार्यक्षमता को बढ़ाता है और विषैले तत्वों को बाहर निकालने का काम करता है। जो लोग नियमित रूप से भोजन में अधिक तेल का इस्तेमाल करते हैं, उनके लिए यह बेहद लाभदायक साबित होता है। इस पौधे में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट शरीर को संक्रमण से लड़ने में ताकत देता है।
बदलते मौसम में काढ़ा बनाकर पीएं
बदलते मौसम में सर्दी-जुकाम से परेशान लोग इसका काढ़ा बनाकर पीते हैं, जिससे उनकी इम्यूनिटी बूस्ट होती है। कुछ जगहों पर चक्रमर्द के पत्तों का लेप त्वचा की रंगत को साफ करने में भी इस्तेमाल होता है, जिसकी वजह से त्वचा में निखार आता है। इसलिए इसे 'देसी ग्लो' के नाम से भी जाना जाता है।
उपयोग के तरीके
पत्तियों का पेस्ट: त्वचा रोगों के लिए पत्तियों को पीसकर लेप बनाएं।
बीजों का चूर्ण: 2-4 ग्राम चूर्ण शहद या गर्म पानी के साथ लें।
काढ़ा: पत्ते, जड़, या बीजों का काढ़ा बनाकर 10-30 मिली मात्रा में पिएं।
चक्रमर्द तेल: त्वचा रोगों के लिए बाजार में उपलब्ध तेल का उपयोग करें।
सब्जी के रूप में: आदिवासी क्षेत्रों में कोमल पत्तों को साग के रूप में खाया जाता है, जो पौष्टिक होता है।
चिरायता का स्वाद कड़वा होता है, इसलिए इसे मधु या गुड़ के साथ लेना बेहतर है।
अधिक मात्रा में सेवन से पेट में जलन या दस्त हो सकते हैं, इसलिए आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह लें।
गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों को इसका उपयोग सावधानी से करना चाहिए। Bihar health crisis | cardiac health tips | Health Advice | get healthy | Health and Fitness | Health Awareness not present in content
Input:आईएएनएस