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कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए ज़रूरी है, लेकिन इसकी अधिकता हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा बढ़ा सकती है। जब रक्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा ज़्यादा हो जाती है, तो यह धमनियों में जमा होकर प्लाक बना सकता है, जिससे धमनियां संकरी हो जाती हैं और सख्त हो जाती हैं। इसके कारण शरीर के अंगों तक रक्त का प्रवाह कम हो जाता है, जिससे हृदय पर ज़ोर पड़ता है और रक्तचाप बढ़ता है। आमतौर पर, आपका शरीर उस कोलेस्ट्रॉल को छानकर बाहर निकाल सकता है जिसकी उसे ज़रूरत नहीं होती। लेकिन आपके शरीर में कितना कोलेस्ट्रॉल रहता है, इसे कई कारक प्रभावित कर सकते हैं। इनमें आपकी उम्र और आपके जन्मजात जीन जैसी चीज़ें शामिल हैं।
कोलेस्ट्रॉल कहां से आता है?
आपका लिवर आपके शरीर की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त कोलेस्ट्रॉल बनाता है। दरअसल, यह आपके शरीर के कुल कोलेस्ट्रॉल का लगभग 80% बनाता है। बाकी कोलेस्ट्रॉल आपके द्वारा खाए जाने वाले खाद्य पदार्थों से आता है । इसके सबसे बड़े स्रोत संतृप्त वसा (जैसे संपूर्ण वसा वाले डेयरी उत्पाद और लाल मांस) या ट्रांस वसा (जैसे पैकेज्ड मिठाइयाँ और तले हुए खाद्य पदार्थ) से भरपूर खाद्य पदार्थ हैं।
कोलेस्ट्रॉल से कैसे बनते हैं इलेक्ट्रानिक्स
कोलेस्ट्रॉल, जिसे हम अक्सर सिर्फ बीमारियों से जोड़ते हैं, वह आने वाले समय में इलेक्ट्रॉनिक्स को चलाने में भी मदद कर सकता है. हाल ही में भारतीय वैज्ञानिकों ने इस दिशा में एक अनोखी खोज की है, जिसमें कोलेस्ट्रॉल से बने नैनोमैटीरियल्स का इस्तेमाल भविष्य की इलेक्ट्रॉनिक तकनीक यानी स्पिन्ट्रॉनिक्स में किया जा सकता है. यह खोज न सिर्फ एनर्जी बचाने में मदद करेगी, बल्कि ग्रीन टेक्नोलॉजी की दिशा में भी बड़ा कदम है। यह खोज बताती है कि कोलेस्ट्रॉल इलेक्ट्रॉन के स्पिन को कंट्रोल करने में मदद कर सकता है।
इलेक्ट्रॉन के स्पिन को फिल्टर और कंट्रोल
यह शोध हाल ही में केमिस्ट्री आफ मैटिरियल जर्नल में प्रकाशित हुआ है, पंजाब के मोहाली स्थित इंस्ट्टीयूट्स आफ नैनो साइंस एंड रिसर्च (INST) में किया गया और इसका नेतृत्व डॉ. अमित कुमार मंडल और उनकी टीम ने किया। वैज्ञानिकों ने कोलेस्ट्रॉल और मेटल आयनों को मिलाकर ऐसे नैनोमैटीरियल्स तैयार किए हैं, जो इलेक्ट्रॉन के स्पिन को फिल्टर और कंट्रोल कर सकते हैं. यह भविष्य की स्पिन्ट्रॉनिक डिवाइसों के लिए अहम साधन साबित हो सकता है।
कोलेस्ट्रॉल आधारित स्पिन्ट्रॉनिक्स: क्यों जरूरी है और कैसे काम करेगा
आज की इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसें जैसे कंप्यूटर, मोबाइल, चिप्स बहुत ज्यादा बिजली खाती हैं और गर्म भी हो जाती हैं। इससे एनर्जी की खपत बढ़ती है और पर्यावरण पर असर पड़ता है। स्पिन्ट्रॉनिक्स तकनीक इलेक्ट्रॉन के स्पिन का इस्तेमाल करके कम बिजली खर्च वाली और तेज डिवाइस बनाने में मदद करेगी। यही वजह है कि वैज्ञानिक कोलेस्ट्रॉल जैसी प्राकृतिक चीजों से नई दिशा खोज रहे हैं। कोलेस्ट्रॉल की खासियत है कि इसमें chirality यानी एक तरह की हैंडेडनेस (दाईं-बाईं दिशा) मौजूद होती है. यह गुण इलेक्ट्रॉन के स्पिन को बहुत बारीकी से कंट्रोल कर सकता है। जब वैज्ञानिकों ने कोलेस्ट्रॉल को अलग-अलग मेटल आयनों के साथ मिलाया, तो उन्होंने पाया कि नैनोमैटीरियल्स इलेक्ट्रॉन स्पिन को फिल्टर और दिशा बदलने में सक्षम हैं। इस तरह इलेक्ट्रॉन का स्पिन आसानी से कंट्रोल किया जा सकता है।