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HOD डॉ. रेखा गुप्ता के सफल निर्देशन में डॉ. दास की चमत्कारिक सर्जरी: बोन ट्रफिनेशन टेक्निक से मिली नई 'मुस्कान'

MAIDS में सीनियर रेजीडेंट डॉ. दिव्य ज्योति दास ने एक जटिल डेंटल एम्प्लांट सर्जरी सफलतापूर्वक पूरी की है। अमित त्यागी के जबड़े की हड्डी में एक टूटा एम्प्लांट स्क्रू फंसा था, जो सीधे चेहरे की महत्वपूर्ण IAN के पास था। जानें क्यों चेहरे के लिए है बेहद गंभीर?

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Ajit Kumar Pandey
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चमत्कारिक सर्जरी: डॉ. रेखा गुप्ता और डॉ. दिव्य ज्योति दास | यंग भारत न्यूज

चमत्कारिक सर्जरी: डॉ. रेखा गुप्ता और डॉ. दिव्य ज्योति दास | यंग भारत न्यूज Photograph: (YBN)

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । मौलाना आज़ाद डेंटल कॉलेज एंड हॉस्पिटल MAIDS में HOD डॉ. रेखा गुप्ता के सफल निर्देशन में सीनियर रेजीडेंट डॉक्टर, डॉ. दिव्य ज्योति दास ने हाल ही में एक ऐसा असाधारण और जटिल डेंटल एम्प्लांट ऑपरेशन सफलतापूर्वक पूरा किया है, जिसने आधुनिक दंत चिकित्सा में नई उम्मीदें जगाई हैं। अमित त्यागी को न केवल टूटे हुए एम्प्लांट स्क्रू की चुनौती का सामना करना पड़ रहा था, बल्कि उनके चेहरे की सबसे संवेदनशील नर्व भी खतरे में थी। 

HOD डॉ. रेखा गुप्ता और डॉ. दिव्य ज्योति दास ने 'बोन ट्रफिनेशन टेक्निक' नामक एक उन्नत प्रक्रिया का उपयोग करके, न केवल टूटे हुए स्क्रू को सुरक्षित रूप से बाहर निकाला, बल्कि अमित त्यागी को एक नया और स्थायी 'मुस्कान' भी प्रदान किया। यह कहानी विशेषज्ञता, सटीक योजना और टीम वर्क की एक प्रेरणादायक मिसाल है। 

जब चुनौती बन गई जीवन-रेखा का सवाल 

सामान्य डेंटल एम्प्लांट सर्जरी रूटीन हो सकती है, लेकिन अमित त्यागी का मामला किसी "हाई-स्टेक्स" ऑपरेशन से कम नहीं था। डॉ. दिव्य ज्योति दास बताते हैं कि यह केस इसलिए जटिल था क्योंकि पहले से लगा हुआ डेंटल एम्प्लांट का स्क्रू हड्डी के अंदर ही टूट चुका था। हड्डी के गहरे भीतर फंसे इस टूटे हुए स्क्रू को निकालना अपने आप में एक बड़ी चुनौती है, लेकिन सबसे संवेदनशील बात यह थी कि यह ठीक उस क्षेत्र में फंसा था जहां से एक अत्यंत महत्वपूर्ण तंत्रिका नर्व गुजरती है। 

डॉ. दिव्य ज्योति दास बताते हैं, "जब एम्प्लांट का स्क्रू हड्डी के अंदर टूट जाता है, तो उसे बाहर निकालने की हर कोशिश आसपास की संरचनाओं, खासकर नर्व को क्षति पहुंचा सकती है।" 

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इंफीरियर एल्वियोलर नर्व IAN: चेहरे की संवेदनशीलता की नियंत्रक जिस नर्व को बचाना सबसे महत्वपूर्ण था, वह थी इंफीरियर एल्वियोलर नर्व Inferior Alveolar Nerve, जो निचले जबड़े की मेंडिबुलर कैनाल के अंदर मौजूद होती है। यह नर्व निचले होंठ और ठोड़ी की संवेदनशीलता को नियंत्रित करती है। इस नर्व को क्षति पहुंचाने का मतलब था एक गंभीर खतरा। 

यदि स्क्रू निकालते समय जरा सी भी गलती होती, तो मरीज को चेहरे के पक्षाघात Facial Paralysis या उस क्षेत्र में स्थायी सुन्नता Numbness का सामना करना पड़ सकता था। डॉ. दिव्य ज्योति दास के सामने दोहरी चुनौती थी टूटे हुए स्क्रू को पूर्णतः बाहर निकालना और इंफीरियर एल्वियोलर नर्व को जरा भी नुकसान न होने देना। यह दोहरी संवेदनशीलता ही इस सर्जरी को "बेहद कठिन" की श्रेणी में लाती थी। 

बोन ट्रफिनेशन टेक्निक सटीकता का शिखर 

इस जटिल परिस्थिति से निपटने के लिए, डॉ. दिव्य ज्योति दास ने बोन ट्रफिनेशन टेक्निक Bone Trephination Technique का सहारा लिया। यह तकनीक माइक्रोमीटर स्तर की सटीकता की मांग करती है और इसे एक उन्नत प्रक्रिया माना जाता है। 

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सटीक 3-D प्लानिंग: CBCT सफलता की पहली कुंजी सटीक प्लानिंग थी। प्रक्रिया शुरू करने से पहले, सीबीसीटी CBCT - Cone-Beam Computed Tomography स्कैन के माध्यम से मरीज के जबड़े की 3-D इमेजिंग की गई। इस स्कैन ने टूटे हुए स्क्रू की हड्डी में सटीक स्थिति, उसकी गहराई और नर्व से उसकी वास्तविक दूरी का बारीक विश्लेषण करने में मदद की। इस 3-D मैप के बिना, ऑपरेशन लगभग असंभव था। 

नियंत्रित निकासी मार्ग: ट्रफिनेशन का शाब्दिक अर्थ है हड्डी में एक 'गड्ढा' या 'ट्रफ' बनाना। डॉ. दिव्य ज्योति दास ने एक विशेष ट्रफिनेशन बुर bur का उपयोग करके, टूटे हुए स्क्रू के चारों ओर बहुत बारीक ड्रिलिंग की। इसका उद्देश्य स्क्रू को सीधे बल लगाकर खींचने के बजाय, उसके लिए एक सुरक्षित 'निकासी मार्ग' बनाना था। डॉ. दास बताते हैं, "हमारा लक्ष्य यह सुनिश्चित करना था कि स्क्रू को धीरे-धीरे और नियंत्रित तरीके से बाहर निकाला जा सके। इस प्रक्रिया में किसी भी तरह के अतिरिक्त दबाव या कंपन की अनुमति नहीं थी, क्योंकि यही कारक नर्व को नुकसान पहुंचा सकते थे।" यह सावधानीपूर्वक निकासी मार्ग ही इंफीरियर एल्वियोलर नर्व को सुरक्षित रखने में निर्णायक साबित हुआ। 

लोकल एनेस्थीसिया का सुरक्षित चयन: सर्जरी का एक और चौंकाने वाला पहलू यह था कि अमित त्यागी को जनरल एनेस्थीसिया General Anesthesia - बेहोशी की दवा नहीं दिया गया। पूरी प्रक्रिया केवल Local Anesthesia यानी सर्जिकल क्षेत्र को सुन्न करके की गई। यह फैसला इसलिए महत्वपूर्ण था क्योंकि लोकल एनेस्थीसिया में प्रक्रिया अधिक सुरक्षित हो जाती है। यदि नर्व पर गलती से भी दबाव पड़ता, तो मरीज तुरंत प्रतिक्रिया देता, जिससे सर्जन को तत्काल सुधारात्मक कार्रवाई करने का मौका मिलता। मरीज का सचेत रहना न केवल सुरक्षा बढ़ाता है, बल्कि उनकी रिकवरी को भी तेज करता है। यह इस बात का प्रमाण है कि तकनीक और विशेषज्ञता इतनी सटीक थी कि ऐसी संवेदनशील सर्जरी को होश में रहते हुए भी संभव बनाया गया। 

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डॉ. रेखा गुप्ता का कुशल मार्गदर्शन 

डॉ. दिव्य ज्योति दास ने इस सफलता का श्रेय अपनी विभागाध्यक्ष HOD डॉ. रेखा गुप्ता मैम के कुशल निर्देशन को भी देते हैं। डॉ. रेखा गुप्ता का मार्गदर्शन इस पूरे ऑपरेशन के लिए 'स्तंभ' के समान था। डॉ. दास कहते हैं, "मैम का व्यापक अनुभव और नैदानिक ​​अंतर्दृष्टि Clinical Insight अत्यंत महत्वपूर्ण थी। जटिल सर्जरी में, एचओडी का मार्गदर्शन न केवल तकनीकी सहायता प्रदान करता है, बल्कि पूरी टीम के मनोबल और आत्मविश्वास को भी बढ़ाता है।" 

यह सफलता दर्शाती है कि सर्वोत्तम परिणाम हमेशा उत्कृष्ट विशेषज्ञता और मजबूत नेतृत्व के साथ टीमवर्क के माध्यम से ही प्राप्त होते हैं। 

दंत चिकित्सा बिरादरी के लिए एक संदेश

इस सफल ऑपरेशन के बाद, HOD डॉ. रेखा गुप्ता इसे पूरे डेंटल बिरादरी के लिए एक प्रेरणा मानते हैं। उनका संदेश स्पष्ट है "यह सफलता दिखाती है कि सही तकनीक, आधुनिक उपकरणों जैसे CBCT और धैर्य व सटीकता के साथ, सबसे चुनौतीपूर्ण डेंटल समस्याओं का भी समाधान किया जा सकता है।" 

HOD डॉ. रेखा गुप्ता कहती हैं कि डेंटल एम्प्लांट्स की विफलता या जटिलता किसी उपचार का अंत नहीं है। बोन ट्रफिनेशन जैसी उन्नत तकनीकें अब यह क्षमता रखती हैं कि वे नर्व को सुरक्षित रखते हुए भी, विफलता के बाद एम्प्लांट को पुनर्स्थापित कर सकें। मरीजों को हमेशा सलाह दी जाती है कि वे ऐसे जटिल मामलों के लिए विशेषज्ञ और अनुभवी टीम से ही इलाज कराएं। 

HOD डॉ. रेखा गुप्ता और मौलाना आज़ाद डेंटल कॉलेज एंड हॉस्पिटल की यह उपलब्धि दंत चिकित्सा के क्षेत्र में भारत की बढ़ती विशेषज्ञता का एक चमकदार उदाहरण है। यह न केवल अमित त्यागी के लिए 'मुस्कान का आधार' है, बल्कि अनगिनत अन्य लोगों के लिए भी आशा की किरण है जो जटिल डेंटल समस्याओं से जूझ रहे हैं।

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