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Ibola Virus: अलर्ट पर दक्षिण कोरिया, 7 अफ्रीकी देशों से आने वाले लोगों के लिए नियम होंगे सख्त

इबोला वायरस के बढ़ते खतरे को देखते हुए कोरिया रोग नियंत्रण और रोकथाम एजेंसी ने युगांडा, दक्षिण सूडान, रवांडा, केन्या, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, तंजानिया और इथियोपिया से आने वाले यात्रियों के लिए क्वारंटीन करना अनिवार्य कर दिया है।

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Vibhoo Mishra
Korea
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सोल, वाईबीएन नेटवर्क। 

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दक्षिण कोरिया के स्वास्थ्य विभाग ने बुधवार को कहा कि इबोला वायरस को फैलने से रोकने के लिए वो दृढ़संकल्प है। इन प्रयासों के तहत ही सात अफ्रीकी देशों से प्रवेश करने वाले लोगों पर क्वारंटीन नियमों को सख्ती से लागू करेगा। योनहाप समाचार एजेंसी के अनुसार, कोरिया रोग नियंत्रण और रोकथाम एजेंसी (केडीसीए) ने युगांडा, दक्षिण सूडान, रवांडा, केन्या, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, तंजानिया और इथियोपिया से आने वाले यात्रियों के लिए क्वारंटीन करना अनिवार्य कर दिया है। इन यात्रियों को दक्षिण कोरिया में प्रवेश करते समय बुखार और दाने जैसे शारीरिक लक्षणों की रिपोर्ट करनी होगी।

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'Ibola' से हुई पहली मौत

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यह कदम युगांडा में इबोला से पहली मौत की सूचना के बाद उठाया गया है। इबोला वायरस गंभीर सूजन और रक्तस्रावी बुखार का कारण बनता है और इसका कोई व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला टीका नहीं है। केडीसीए आयुक्त जी यंग-मी ने कहा कि इबोला वायरस दूसरे देशों में तेजी से नहीं फैलता क्योंकि यह संक्रमित व्यक्ति के शरीर के तरल पदार्थ या ऊतकों के सीधे संपर्क से फैलता है, लेकिन इस बीमारी के फैलने की संभावना को कम करने के लिए उपाय किए जा रहे हैं। पिछले महीने युगांडा में एक 32 वर्षीय पुरुष नर्स की इबोला वायरस से मृत्यु हो गई थी, जिसके बाद इबोला का प्रकोप घोषित किया गया था। युगांडा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, बुधवार तक नौ इबोला संक्रमण के मामलों की पुष्टि हो चुकी थी, जिनमें से एक की मृत्यु भी हुई है। इस प्रकोप के बाद, 265 लोगों के संपर्कों की निगरानी की जा रही है।

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2014-16 में हुई थीं 11,323 मौतें

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इबोला वायरस एक प्रकार का रक्तस्रावी बुखार है, जो इबोलावायरस के कारण होता है। इसके लक्षण फ्लू जैसे होते हैं, लेकिन यह गंभीर उल्टी, रक्तस्राव और मस्तिष्क संबंधी समस्याओं में बदल सकते हैं। यह वायरस चमगादड़ों, नॉन-ह्यूमन प्राइमेट और बारहसिंघा के संपर्क में आने से इंसानों में फैल सकता है। इबोला के मामले पिछले कुछ दशकों में नियमित रूप से सामने आए हैं। 1976 में जब पहली बार इबोला वायरस का पता चला था, तब से इसके प्रकोप होते रहे हैं। सबसे बड़ा इबोला प्रकोप 2014-2016 के दौरान हुआ था, जिसमें 28,646 मामले और 11,323 मौतें हुई थीं। 

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