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बाल रोग के पूर्व विभागाध्यक्ष डाक्टर बीएम त्रिपाठी Photograph: (बाईबीएन न्यूज)
कानपुर, वाईबीएन संवाददाता
विश्व स्वास्थ्य संगठन इस बार स्वस्थ शुरुआत आशा जनक भविष्य विषय पर काम कर रहा है। सात अप्रैल को मनाए जाने वाले विश्व स्वास्थ्य दिवस पर डाक्टरों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की इस थीम पर ही लोगों को प्रेरित करने की दिशा में काम करने की बात तय की है। बाल रोग विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डाक्टर वीएन त्रिपाठी का कहना है कि बच्चा स्वस्थ्य रहे इसके लिये हर मां को ध्यान रखना चाहिये कि वह बच्चे की भावनाओं को समझें और किसी दूसरे बच्चे से अपने बच्चे की तुलना न करें। बच्चें के साथ ज्यादा कठोर व्यवहार रिश्तों को कमजोर कर देता है।
तीन लाख गर्भवती की हर साल जाती जान
चिकित्सा विभाग से जुड़े लोगों की मानी जाए तो सामने आया है कि हर साल करीब 3 लाख महिलाएं गर्भावस्था या प्रसव संबंधित कारणों से अपनी जान गंवाती हैं। इस तरह करीब 20 लाख नवजात शिशु जीवन के पहले महीने में मर जाते हैं। इस बात को ध्यान में रखकर इस बार विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस साल विश्व स्वाश्थ दिवस की थीम ही “स्वस्थ शुरुआत, आशाजनक भविष्य” रखा है।
मनाया गया स्वास्थ्य दिवस
विश्व स्वास्थ्य दिवस 2025 हर साल की तरह 7 अप्रैल को मनाया गया। यह दिन विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की स्थापना की वर्षगांठ को चिह्नित करता है, जिसकी स्थापना 7 अप्रैल 1948 को हुई थी।
बाल रोग विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डाक्टर बी एम त्रिपाठी का कहना है कि इस वर्ष की थीम का मुख्य उद्देश्य है मातृ एवं नवजात स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना। WHO इस अभियान के तहत यह संदेश दे रहा है कि हर माँ और हर नवजात शिशु को एक स्वस्थ जीवन की शुरुआत मिलनी चाहिए।
जन्म से पहले ही दम तोड़े देते 20 लाख शिशु
एक आंकड़े के आधार पर डाक्टर त्रिपाठी का कहना है कि करीब बीस लाख शिशु जन्म के पहले दम तोड़ देते हैं। इसी तरह र साल करीब 3 लाख महिलाएं गर्भावस्था या प्रसव संबंधित कारणों से अपनी जान गंवाती हैं और 20 लाख नवजात शिशु जीवन के पहले महीने में मर जाते हैं। उनका कहना है कि यह सभी आँकड़े बताते हैं कि हर 7 सेकंड में एक जान समय पर और उचित देखभाल न मिलने के कारण चली जाती है लेकिन थोड़े प्रयास से इन मौतों को रोका जा सकता है।
विश्व स्वास्थ्य दिवस 2025 का उद्देश्य
इस दिन का मकसद यह है कि सरकारों और स्वास्थ्य संगठनों को जागरूक किया जाए कि वह मातृ और नवजात मृत्यु दर को कम करने के लिए ठोस कदम उठाएं।
लोगों को इस बात के लिये शिक्षित किया जाए कि गर्भावस्था और जन्म के बाद की देखभाल कितनी जरूरी है। साथ ही यह सुनिश्चित करना कि हर माँ और बच्चा जीवन की शुरुआत एक स्वस्थ आधार पर करें।
बच्चों की परवरिश के दौरान माता पिता इन बातों का रखे ध्यान
डाक्टर त्रिपाठी का कहना है कि बच्चों की परवरिश के दौरान माता-पिता के लिए कुछ जरूरी बातें हें जो उन्हें करनी चाहिये अथवा नहीं करनी चाहिये (Don’ts) दिए जा रहे हैं, जो सकारात्मक पालन-पोषण में मदद कर सकते हैं।
माता-पिता यह करें
1. सुनें और समझें:
बच्चों की बातें ध्यान से सुनें और उनकी भावनाओं को समझने की कोशिश करें।
2. प्रोत्साहित करें:
हर छोटे प्रयास की सराहना करें, इससे आत्मविश्वास बढ़ता है।
3. अच्छा उदाहरण बनें:
जैसा व्यवहार आप अपने बच्चे से चाहते हैं, वैसा खुद करें।
4. समय दें:
बच्चों के साथ गुणवत्तापूर्ण समय बिताएं – खेलें, बात करें, साथ पढ़ें।
5. नियम और अनुशासन सिखाएं:
प्यार से सीमाएं तय करें ताकि बच्चे अनुशासित बनें।
6. गलतियों को सिखने का अवसर बनाएं:
गलती होने पर डांटने की बजाय समझाएं कि उससे क्या सीखा जा सकता है।
7. भावनात्मक समर्थन दें:
जब बच्चा उदास या तनाव में हो, तो उसका सहारा बनें।
माता-पिता बच्चों के साथ यह काम कतई न करें
1. तुलना न करें:
किसी और बच्चे से तुलना करने से आत्म-सम्मान कम होता है।
2. ज्यादा सज़ा या डांट-फटकार न दें:
कठोर व्यवहार बच्चे को डराता है और रिश्ता कमजोर करता है।
3. अनदेखा न करें:
अगर बच्चा कुछ कह रहा है या मदद माँग रहा है, तो उसे नजरअंदाज न करें।
4. अपनी उम्मीदें न थोपें:
बच्चे की रुचियों और क्षमताओं को पहचानें, अपनी अधूरी इच्छाएँ उस पर न थोपें।
5. सिर्फ नंबरों पर ध्यान न दें:
केवल पढ़ाई और अंकों के आधार पर बच्चे का मूल्यांकन न करें।
6. मोबाइल/स्क्रीन के सहारे न छोड़ें:
बच्चों को व्यस्त रखने के लिए सिर्फ मोबाइल या टीवी का सहारा न लें।
7. सार्वजनिक रूप से शर्मिंदा न करें:
बच्चे की गलतियों के लिए उसे सबके सामने न डांटें।