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सुबह उठते ही घुटनों में चुभन, उंगलियों में जकड़न, चलते-फिरते जोड़ों से आती कट-कट की आवाज और दिनभर बेचैनी? गठिया या अर्थराइटिस के मरीज इन तकलीफों से हर रोज गुजरते हैं। योगासन को दिनचर्या में शामिल कर इन तकलीफों से मुक्ति पाई जा सकती है। यह बीमारी जोड़ों में सूजन, दर्द, अकड़न और लचीलापन कम होने का कारण बनती है। बढ़ती उम्र के साथ कार्टिलेज (जोड़ों की चिकनाई) घिस जाती है, लेकिन इसके अलावा मोटापा, पुरानी चोट, संक्रमण, ऑटोइम्यून बीमारियां (जैसे रूमेटॉइड अर्थराइटिस) और जेनेटिक कारण भी गठिया की वजह बन सकते हैं।
आसन जोड़ों की सूजन कम करते हैं
भारत सरकार का आयुष मंत्रालय गठिया के मरीजों को नियमित रूप से पांच खास आसन करने की सलाह देता है, जिनमें वीरभद्रासन, ताड़ासन, त्रिकोणासन, सेतुबंधासन और मर्जरी आसन शामिल हैं। ये आसन जोड़ों की सूजन कम करते हैं, मांसपेशियों को मजबूत बनाते हैं और लचीलापन लौटाते हैं। साथ ही दर्द में भी राहत मिलती है।
वीरभद्रासन का अभ्यास कैसे करें?
एक्सपर्ट बताते हैं कि वीरभद्रासन का अभ्यास कैसे करें? पैरों को चौड़ा करके खड़े हों। दायां पैर आगे 90 डिग्री पर मोड़ें, बायां पैर सीधा रखें। दोनों हाथ ऊपर उठाकर नमस्कार मुद्रा में जोड़ें और नजरें ऊपर की ओर रखें। 25 से 30 सेकंड तक रुकें फिर दूसरी तरफ दोहराएं। यह आसन घुटनों, कूल्हों और कंधों को मजबूती देता है और संतुलन बढ़ाता है। ताड़ासन के लिए दोनों पैर जोड़कर सीधे खड़े हों। हाथों को सिर के ऊपर ले जाकर उंगलियां आपस में फंसाएं और एड़ियां हल्की उठाकर पूरे शरीर को खींचें। 15-20 सेकंड तक इसी स्थिति में रहें। यह आसन रीढ़ की हड्डी को सीधा करता है, जोड़ों में खून का संचार बढ़ाता है और पूरा शरीर एक्टिव करता है।
सेतुबंधासन के लिए पीठ के बल लेटें
सेतुबंधासन के लिए पीठ के बल लेट जाएं। घुटने मोड़कर पैरों को कूल्हों के पास लाएं। सांस लेते हुए कूल्हों को ऊपर उठाएं, हाथों को जमीन पर रखें। इस मुद्रा में लगभग 30 सेकंड तक रहें। यह आसन कमर, कूल्हों और घुटनों के जोड़ों को मजबूत करता है और गठिया के दर्द में आराम देता है। मर्जरी आसन के लिए चौपाया मुद्रा में आएं। सांस छोड़ते हुए पीठ को ऊपर की ओर उभारें और सिर नीचे करें। फिर सांस लेते हुए पीठ को नीचे धंसाएं और सिर ऊपर उठाएं। इसे 10 से 15 बार दोहराएं। यह रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है और गर्दन-कमर के दर्द में बहुत राहत देता है।
त्रिकोणासन, आसन कूल्हों, घुटनों और कमर को खोलता है
पांचवां और अंतिम आसन है त्रिकोणासन। इसके लिए पैर चौड़ा करके खड़े हों। दायां पैर बाहर की ओर, हाथों को किनारे फैलाएं। दाहिना हाथ दाएं पैर की ओर झुकाएं और बायां हाथ ऊपर। नजरें ऊपर वाले हाथ की ओर रखें। यह आसन कूल्हों, घुटनों और कमर को खोलता है और साइड की जकड़न दूर करता है। इन आसनों के रोजाना 10 से 20 मिनट अभ्यास करने से गठिया के दर्द और अकड़न में राहत मिलती है, हालांकि अभ्यास से पहले किसी योग प्रशिक्षक की सलाह जरूर लें। आईएएनएस
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