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World Heart Day: सावधान! 2030 तक हर तीसरी मौत की वजह हार्ट, क्या कहते हैं डॉक्टर?

युवाओं में हार्ट अटैक तेजी से बढ़ रहा है, भारत में 52 करोड़ मरीज हैं। डॉ. संजीव मिगलानी की सलाह: जंक फूड छोड़ें, योग अपनाएं, लक्षण पहचानें। विश्व हृदय दिवस 2025 की थीम "Don't Miss a Beat" जागरूकता बढ़ाती है। बचाव संभव है, अभी शुरू करें!

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Ajit Kumar Pandey
World Heart Day: सवधान! 2030 तक हर तीसरी मौत की वजह हार्ट, क्या कहते हैं डॉक्टर? | यंग भारत न्यूज

World Heart Day: सावधान! 2030 तक हर तीसरी मौत की वजह हार्ट, क्या कहते हैं डॉक्टर? | यंग भारत न्यूज Photograph: (YBN)

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । विश्व हृदय दिवस पर विशेषज्ञों की चेतावनी साफ है- युवा पीढ़ी में हृदय रोग तेजी से फैल रहे हैं। डॉ. संजीव मिगलानी जैसे अनुभवी चिकित्सक बताते हैं कि आरामदेह जीवनशैली, जंक फूड और तनाव इस महामारी को बढ़ावा दे रहे हैं। भारत में 52 करोड़ से ज्यादा लोग हृदय संबंधी समस्याओं से जूझ रहे हैं, और यदि यही रफ्तार रही तो 2030 तक हर तीसरी मौत हार्ट की वजह से हो सकती है।

Young Bharat News ने वेस्ट यूपी के सहारनपुर के रहने वाल हार्ट विशेषज्ञ डॉ. संजीव मिगलानी से बात की। क्योंकि, आज World Heart Day है, इसलिए इसकी प्रासंगिकता और भी बढ़ जाती है। हार्ट रोग के 52 करोड़ से अधिक मरीज केवल भारत में हैं। युवाओं में यह तेजी से फैल रहा लेकिन क्या बचाव संभव है? आइए जानते हैं कैसे?

आज की तेज रफ्तार जिंदगी में युवा सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। डॉ. संजीव मिगलानी, जो एक वरिष्ठ फिजिशियन और हृदय रोग विशेषज्ञ हैं, कहते हैं कि पहले हार्ट अटैक 50-60 साल की उम्र में आता था, लेकिन अब 30-40 साल के युवा भी शिकार हो रहे हैं। 

विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में गैर-संचारी रोगों से होने वाली मौतों में 63 प्रतिशत हिस्सा है और इनमें से 27 प्रतिशत हृदय रोगों से जुड़ी हैं। खासकर 40-69 साल की उम्र में 45 प्रतिशत मौतें इसी वजह से होती हैं। 

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यह आंकड़े डरावने हैं, लेकिन सच्चाई यही है। डॉ. संजीव मिगलानी बताते हैं कि शहरी जीवन की भागदौड़ और ग्रामीण इलाकों में बदलती आदतें इस समस्या को और गहरा रही हैं। क्या आप जानते हैं कि वैश्विक स्तर पर हर तीन मौतों में से एक हृदय रोग से होती है?

भारत में यह स्थिति और भी खराब है, जहां 1990 से 2016 तक हृदय रोग से मौत की दर 155.7 से बढ़कर 209.1 प्रति एक लाख हो गई है। अगर हमने अभी नहीं संभाला, तो आने वाले सालों में यह महामारी का रूप ले सकती है। 

अब सवाल यह है कि युवा क्यों इतने असुरक्षित हो गए हैं? 

डॉक्टर संजीव मिगलानी के अनुसार, इसका जवाब हमारी रोजमर्रा की आदतों में छिपा है। 

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मुख्य कारण: जीवनशैली का जहर डॉ. मिगलानी युवाओं में हार्ट अटैक के प्रमुख कारणों पर जोर देते हैं। सबसे बड़ा दोषी है सेडेंटरी लाइफस्टाइल- यानी घंटों बैठकर काम करना। ऑफिस में कंप्यूटर पर बैठे रहना, कोई शारीरिक मेहनत न करना, यह सब मोटापे को न्योता देता है। 

उन्होंने चेतावनी दी कि पुरुषों में अगर कमर का घेरा 90 सेंटीमीटर से ज्यादा और महिलाओं में 80 सेंटीमीटर से ज्यादा हो जाए, तो हार्ट अटैक का खतरा 10 गुना बढ़ जाता है। 

दूसरा बड़ा कारक है जंक फूड की लत। समोसा, पिज्जा, बर्गर, चाऊमीन- ये सब सैचुरेटेड फैट और कोलेस्ट्रॉल से भरे होते हैं, जो हृदय की नसों में जमा होकर ब्लॉकेज पैदा करते हैं। 

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डॉक्टर संजीव मिगलानी कहते हैं कि युवा पीढ़ी में मानसिक तनाव, चिंता और डिप्रेशन भी बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। इसके अलावा, डायबिटीज़ का बढ़ता प्रकोप और टाइप-ए पर्सनैलिटी- यानी गुस्सा और चिंता ज्यादा करने वाले लोग- यह सब मिलकर युवाओं को समय से पहले हार्ट अटैक की चपेट में ला रहे हैं। 

धूम्रपान और शराब का सेवन तो जैसे हृदय का दुश्मन नंबर वन है। डॉ. मिगलानी के मुताबिक, दिन में 10 से ज्यादा सिगरेट पीने वाले लोगों में खतरा कई गुना बढ़ जाता है। उच्च रक्तचाप, हाइपरलिपिडेमिया (खून में फैट का बढ़ना) और आनुवंशिक कारक भी इसमें योगदान देते हैं। लेकिन अच्छी खबर यह है कि इनमें से ज्यादातर कारणों पर हमारा नियंत्रण है। 

क्या आप तैयार हैं बदलाव के लिए? 

लक्षण पहचानें: समय रहते सतर्क हों हार्ट अटैक अचानक नहीं आता, बल्कि उसके संकेत पहले से मिलते हैं। डॉ. संजीव मिगलानी बताते हैं कि छाती के बीच में तेज दर्द, जो बाएं हाथ या दोनों बाजुओं तक फैलता है, गले में दबाव महसूस होना—ये प्रमुख लक्षण हैं। साथ में पसीना आना, उल्टी या सांस फूलना भी खतरे की घंटी है। 

कई बार लोग इसे एसिडिटी या गैस समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, जो घातक साबित होता है। डॉक्टर की सलाह है कि अगर ऐसे लक्षण दिखें, तो तुरंत मेडिकल मदद लें। 

विश्व हृदय दिवस 2025 की थीम "Don't Miss a Beat" यानी "एक भी धड़कन न चूकें" इसी बात पर जोर देती है—प्रारंभिक संकेतों को अनदेखा न करें। नियमित जांच और जागरूकता से हम लाखों जिंदगियां बचा सकते हैं। अब जानते हैं बचाव कैसे करें। 

बचाव के उपाय: डॉ. संजीव मिगलानी की विशेष सलाह 

डॉ. संजीव मिगलानी हृदय रोगियों और युवाओं के लिए कुछ जरूरी सावधानियां बताते हैं। सबसे पहले, भारी काम से बचें और सीढ़ियां चढ़ने से परहेज करें, खासकर अगर पहले से कोई समस्या हो। खाना खाने के बाद थोड़ा आराम जरूरी है। 

सर्दियों में विशेष सावधानी बरतें: सुबह 4 से 10 बजे तक बाहर न निकलें, क्योंकि इस समय कैटेकोलामाइन हॉर्मोन बढ़ने से ब्लड प्रेशर स्पाइक होता है और नसें सिकुड़ सकती हैं। 

गुस्सा कंट्रोल करें, धूम्रपान और शराब को पूरी तरह छोड़ दें। चिकनाई वाले भोजन से दूर रहें। 

डॉक्टर कहते हैं कि सुबह सब्जी में इस्तेमाल किया तेल शाम को दोबारा न यूज करें, क्योंकि इससे हृदय की एंडोथेलियम लेयर कमजोर हो जाती है। ये छोटी-छोटी बातें बड़ी राहत दे सकती हैं। लेकिन सिर्फ सावधानियां काफी नहीं, आहार पर भी ध्यान दें। 

World Heart Day: सावधान! 2030 तक हर तीसरी मौत की वजह हार्ट, क्या कहते हैं डॉक्टर? | यंग भारत न्यूज
World Heart Day: सावधान! 2030 तक हर तीसरी मौत की वजह हार्ट, क्या कहते हैं डॉक्टर? | यंग भारत न्यूज Photograph: (YBN)

क्या खाएं - क्या न खाएं 

हेल्दी हार्ट का राज आहार हृदय स्वास्थ्य की कुंजी है। डॉ. संजीव मिगलानी ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं—वनस्पति घी, तली हुई चीजें जैसे समोसा, पूरी, पिज्जा, मोमोज से दूर रहें। 

बकरे का मीट, अंडे का पीला भाग, आचार, मक्खन और मलाई वाला दूध भी नुकसानदेह हैं। ये सब कोलेस्ट्रॉल बढ़ाते हैं। 

इसके उलट, हरी पत्तेदार सब्जियां, सलाद, ताजे फल, साबुत दालें, ब्राउन ब्रेड या राइस, और गेहूं के आटे में चना-जौ मिलाकर रोटी बनाएं। ये फाइबर से भरपूर हैं, जो हृदय को मजबूत रखते हैं। 

डॉक्टर सलाह देते हैं कि रोजाना कम से कम 30 मिनट व्यायाम करें जैसे वॉकिंग या योग। योग का यहां विशेष महत्व है, जो न सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी संतुलित करता है। 

ये जरूर खाएं : हरी सब्जियां (पालक, मेथी), फल (सेब, संतरा), दालें (मूंग, चना), साबुत अनाज। 

ये बिल्कुल न खाएं : जंक फूड (बर्गर, फ्राइज), मीठी चीजें (केक, मिठाई), ज्यादा नमक वाले स्नैक्स। 

टिप: रोजाना 2-3 लीटर पानी पिएं और नमक का सेवन 5 ग्राम से कम रखें। 

ये बदलाव अपनाकर आप हृदय को स्वस्थ रख सकते हैं। लेकिन भारत की स्थिति क्या कहती है? 

भारत की स्थिति: दुनिया में सबसे आगे, लेकिन खतरे में दुनिया में हृदय रोगों का बोझ सबसे ज्यादा भारत पर है। 

विश्व हृदय रिपोर्ट 2025 के अनुसार, वैश्विक स्तर पर हृदय रोग से मौतें बढ़ रही हैं और भारत में यह संख्या चिंताजनक है। यहां 259 मौतें प्रति एक लाख आबादी पर होती हैं, जो ट्यूनीशिया जैसे देशों से भी ज्यादा है। 

बढ़ते मोटापे से जुड़ी मौतें दोगुनी हो गई हैं- 1.9 मिलियन सालाना वैश्विक रूप से। भारत में पिछले दशक में हार्ट फेल्योर के केस 20-30 प्रतिशत बढ़े हैं। हाइपरटेंशन, डायबिटीज़ और उम्रदराज आबादी इसका मुख्य कारण है। 

एशिया में 2025 से 2050 तक हृदय रोग से मौतें 91 प्रतिशत बढ़ सकती हैं, भले ही आयु-समायोजित दर घटे। हमें ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है, क्योंकि यहां स्वास्थ्य सुविधाएं सीमित हैं और जागरूकता कम। 

डॉ. संजीव मिगलानी कहते हैं कि अगर हम अब नहीं जागे तो साल 2030 तक स्थिति और भयावह हो जाएगी। 

योग का योगदान: हृदय के लिए प्राकृतिक दवा योग सिर्फ एक व्यायाम नहीं, बल्कि हृदय स्वास्थ्य की संजीवनी है। 

जॉन्स हॉपकिन्स मेडिसिन के अनुसार, योग ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और ग्लूकोज लेवल को कम करता है, साथ ही हार्ट रेट को नियंत्रित करता है। 

हार्वर्ड हेल्थ रिपोर्ट बताती है कि योग ब्रिस्क वॉकिंग जितना ही प्रभावी है हृदय रोगों के जोखिम को घटाने में। यह तनाव कम करता है, सूजन घटाता है और शारीरिक फिटनेस बढ़ाता है। हार्ट अटैक के बाद रिहैबिलिटेशन में योग मददगार है, क्योंकि यह लचीलापन बढ़ाता है और मानसिक शांति देता है। 

डॉ. मिगलानी सलाह देते हैं कि सूर्य नमस्कार, प्राणायाम और ध्यान जैसे आसन रोज अपनाएं। रिसर्च दिखाती है कि योग मेटाबॉलिज्म सुधारता है, जो कोलेस्ट्रॉल और ब्लड शुगर को कंट्रोल करता है। ट्रॉमेटिक हार्ट इवेंट्स के बाद स्ट्रेस मैनेजमेंट में यह अमूल्य है। 

योग के फायदे: ब्लड प्रेशर कम, सूजन घटाएं, फ्लेक्सिबिलिटी बढ़ाएं। 

शुरुआत कैसे: 15-20 मिनट रोज, जैसे अनुलोम-विलोम या भ्रामरी प्राणायाम। 

सावधानी: डॉक्टर से सलाह लेकर शुरू करें, खासकर अगर कोई समस्या हो। 

योग अपनाकर युवा अपनी धड़कनों को सुरक्षित रख सकते हैं। 

प्राथमिक चिकित्सा: गोल्डन ऑवर का महत्व हार्ट अटैक होने पर पहले तीन घंटे निर्णायक होते हैं। डॉ. मिगलानी कहते हैं कि छाती दर्द के साथ बाजुओं में दर्द या उल्टी हो, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं। 

"Don't Miss a Beat" थीम हमें याद दिलाती है कि एक पल की देरी जिंदगी बदल सकती है। नियमित चेकअप, स्वस्थ जीवनशैली और जागरूकता से हम इस खतरे को मात दे सकते हैं। विश्व हृदय दिवस पर यह संकल्प लें कि हम अपनी और अपनों की धड़कनों को सुरक्षित रखेंगे।

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