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Healthy Life: कब्ज से लेकर डायबिटीज तक, हर मर्ज की दवा हरीतकी, भगवान बुद्ध करते थे उपयोग

हरीतकी दरअसल एक पेड़ का फल है जो भारत, नेपाल, श्रीलंका और दक्षिण एशिया के कई हिस्सों में पाया जाता है। आयुर्वेद में इसे त्रिदोषहर माना गया है जो वात, पित्त और कफ तीनों को संतुलित करती है।

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YBN News
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आयुर्वेद में कुछ जड़ी-बूटियां ऐसी हैं, जिन्हें अमृत समान माना गया है और हरीतकी उन्हीं में से एक है। संस्कृत में इसे अभया कहा गया है, यानी जो भय को दूर करे। यह त्रिफला का एक अहम हिस्सा है और शरीर को जवान, स्वस्थ और ऊर्जावान बनाए रखने वाली औषधियों में गिनी जाती है। हरीतकी दरअसल एक पेड़ का फल है जो भारत, नेपाल, श्रीलंका और दक्षिण एशिया के कई हिस्सों में पाया जाता है। आयुर्वेद में इसे त्रिदोषहर माना गया है जो वात, पित्त और कफ तीनों को संतुलित करती है।

फायदे जानकर भूल जाएंगे कसैला स्वाद

हरीतकी स्वाद में थोड़ी कसैली होती है, लेकिन इसके फायदे इतने हैं कि इसका स्वाद जल्दी ही आदत बन जाता है। इसे पाचन सुधारने, शरीर से विषैले तत्व निकालने और रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए जाना जाता है। अगर आपको कब्ज की समस्या रहती है, तो रात को एक चम्मच हरीतकी चूर्ण गुनगुने पानी या दूध के साथ लेने से पेट साफ रहता है और शरीर हल्का महसूस होता है। मुंह के छाले या बदबू में यह बेहद असरदार है। हरीतकी चूर्ण से कुल्ला करने पर मुंह की सफाई होती है और छालों में आराम मिलता है।

बाल झड़ने या डैंड्रफ की परेशानी में कारगर

बाल झड़ने या डैंड्रफ की परेशानी में भी हरीतकी फायदेमंद है। इसे आंवला और रीठा के साथ उबालकर उस पानी से बाल धोने से बाल मजबूत होते हैं और डैंड्रफ कम होता है। वहीं, त्वचा रोग जैसे खुजली, फोड़े-फुंसी या एक्जिमा में हरीतकी, हल्दी और नीम की पत्तियों का लेप लगाना बहुत कारगर है। डायबिटीज के मरीज सुबह खाली पेट इसका सेवन करें तो ब्लड शुगर नियंत्रण में रहता है।

पाचन और मेटाबॉलिज्म को रखे दुरुस्त 

हरीतकी का एक और फायदा है, पाचन और मेटाबॉलिज्म को दुरुस्त रखना। सेंधा नमक और अदरक के साथ इसका सेवन गैस, अपच और भारीपन से राहत देता है। वजन घटाने में भी यह मदद करती है। शहद और गुनगुने पानी के साथ लेने पर यह मेटाबॉलिज्म तेज करती है और फैट बर्न करने में मदद करती है। आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए हरीतकी को पानी में भिगोकर उस पानी से आंखें धोना भी उपयोगी है।

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भगवान बुद्ध अपने साथ रखते थे हरीतकी 

आयुर्वेदिक ग्रंथों में कहा गया है कि भगवान बुद्ध हमेशा अपने साथ हरीतकी रखते थे। यह सिर्फ औषधि नहीं, बल्कि शरीर, मन और आत्मा को संतुलित करने का साधन है। हरीतकी का सही उपयोग करने से रोग दूर होते हैं और शरीर अंदर से मजबूत बनता है। हालांकि, बिना आयुर्वेदाचार्य की सलाह के इसका सेवन ना करें।आईएएनएस

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