वाईबीएन नेटवर्क।
आपने कई लोगों के बर्थ मार्क जरूर देखे होंगे। मगर क्या आप जानते हैं कि यह बर्थ मार्क कैसे शरीर पर आते हैं। जन्म से ही होने वाले ये निशान जिंदगीभर आपके शरीर का हिस्सा बनकर रह जाते हैं। इनको स्टॉर्क बाइट या एंजल्स किस भी कहा जाता है। इसके कई प्रकार होते हैं। कुछ बर्थ मार्क्स पिगमेंटेड तो कुछ मार्क्स उभरे हुए होते हैं। यह शरीर में आंखों के पास, माथे पर, पीठ पर, छाती या पेट पर, पैर पर।
बर्थ मार्क्स के प्रकार
वैस्कुलर बर्थमार्क
इसमें सैल्मन पैच सबसे आम मार्क है। यह हल्के गुलाबी या लाल रंग के होते हैं। मगर समय के साथ ये हल्के पड़ने लगते हैं। वैस्कुलर बर्थमार्क का दूसरा टाइप है ‘हेमन्जिओमा’। यह थोड़े उभरे और गहरे लाल रंग के होते हैं। इसके अलावा कुछ बैंगनी या लाल रंग के बर्थमार्क होते हैं, तो समय के साथ हल्के पड़ने लगते हैं।
पिगमेंटेड बर्थमार्क
इन बर्थमार्क्स में रंग गहरा होता है। यह कुछ हल्के भूरे रंग के होते हैं। इसके अलावा पिगमेंटेड बर्थमार्क में मंगोलियन स्पॉट में गहरे रंग वाले स्पॉट्स होते हैं, जो जन्म के साथ धीरे धीरे हल्के हो जाते हैं।
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बर्थ मार्क कैसे होते हैं?
एक्सपर्ट्स के मुताबिक बर्थमार्क खून की नसों में बनावट के दौरान कुछ गड़बड़ी होने के कारण बनते हैं। जब बच्चे का शरीर मां के गर्भ के अंदर बन रहा होता है। उस समय भ्रूण का रंग भी बनता है। उस समय हो रही नसों के निर्माण के दौरान पिगमेंट का सही वितरण ना हो पाने की वजह से बर्थमार्क बन जाता है। इसके अलावा यह हमारे जीन्स पर भी निर्भर करता है। वहीं प्रेग्नेंसी के दौरान मां किसी खास वातावरण में होती है, तो इससे भी बच्चे की ग्रोथ पर असर पड़ता है, जिससे ऐसे बर्थमार्क शरीर पर बन सकते हैं।
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बर्थमार्क कैसे हटवा सकते हैं?
बर्थमार्क हटवाने के कई तरीके हो सकते हैं. जैसे कि ऑपरेशन या सर्जरी, लेजर ट्रीटमेंट या क्रायोथेरेपी।
ऑपरेशन या सर्जरीः इसमें अगर बर्थमार्क उभरा हुआ है या किसी भी प्रकार का इंफेक्शन या शरीर को तकलीफ दे रहा है, तो आप उसे सर्जरी के जरिए हटवा सकते हैं।
लेजर ट्रीटमेंटः अगर पिंगमेंटेड बर्थमार्क है, तो आप लेजर लाइट के जरिए उन सेल्स को खत्म करवा सकते हैं। इस इलाज में 4-6 सेशन लग सकते हैं।
क्रायोथेरेपीः इसमें लिक्विड नाइट्रोजन का इस्तेमाल करके बर्थमार्क को फ्रीज किया जाता है, फिर नष्ट कर दिया जाता है।