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Human Brain Imaging Research: ...तो जिनके बच्चे ज्यादा होते हैं क्या वो शारीरिक व मानसिक रूप से अधिक फुर्तीले होते हैं!

बच्चे भगवान का वरदान होते हैं। भले शैतान हों लेकिन कई मुश्किलों का हल इनकी बदमाशी में ही छिपा होता है। हाल ही में छपी एक स्टडी दावा करती है कि जिन लोगों के बच्चे ज्यादा होते हैं,

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आईएएनएस, वाईबीएन नेटवर्क ।

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बच्चे भगवान का वरदान होते हैं। भले शैतान हों लेकिन कई मुश्किलों का हल इनकी बदमाशी में ही छिपा होता है। हाल ही में छपी एक स्टडी दावा करती है कि जिन लोगों के बच्चे ज्यादा होते हैं, वो शारीरिक और मानसिक तौर पर ज्यादा फुर्तीले होते हैं और उनकी ब्रेन एजिंग की रफ्तार कम हो जाती है।

एक नए अध्ययन से पता चलता है कि बच्चों की वजह से रातों की नींद हराम करना और सुबह तनावग्रस्त रहना वास्तव में आपके लिए नेमत से कम नहीं है।

महिलाओं और पुरुषों के ब्रेन स्कैन का किया विश्लेषण

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शोधकर्ताओं ने यूके की 19,964 महिलाओं और 17,607 पुरुषों के ब्रेन स्कैन का विश्लेषण किया। पाया कि जिन लोगों के बच्चे थे, उनकी उम्र बढ़ने के साथ फंक्शनल कनेक्टिविटी का हाल अच्छा था, जबकि जिन लोगों के कम या कोई बच्चे नहीं थे, उनकी स्थिति अलग थी। यानि इन लोगों का दिमाग और बॉडी के विभिन्न पार्ट्स से कोआर्डिनेशन सही था। यह प्रभाव विशेष रूप से मस्तिष्क के उन हिस्सों में प्रमुख था जो गति, संवेदना और सामाजिक जुड़ाव से जुड़े होते हैं।

एक और बात आई सामने 

शोध में एक और बात सामने आई, वो ये कि पुरुषों और महिलाओं के लिए परिणाम समान थे। जो यह दर्शाता है कि ये ब्रेन बूस्टिंग इफेक्ट गर्भावस्था के बजाय पालन-पोषण से संबंधित था।

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रटगर्स सेंटर फॉर एडवांस्ड ह्यूमन ब्रेन इमेजिंग रिसर्च में मनोचिकित्सा के प्रोफेसर और अध्ययन के मुख्य लेखक अवराम होम्स के मुताबिक, "व्यक्ति की उम्र बढ़ने के साथ फंक्शनल कनेक्टिविटी में कमी वाले क्षेत्र, बच्चे होने पर कनेक्टिविटी में वृद्धि करते हैं।"

रटगर्स सेंटर फॉर एडवांस्ड ह्यूमन ब्रेन इमेजिंग रिसर्च में दावा

रटगर्स सेंटर फॉर एडवांस्ड ह्यूमन ब्रेन इमेजिंग रिसर्च में मनोचिकित्सा के प्रोफेसर और अध्ययन के मुख्य लेखक अवराम होम्स के मुताबिक शोध में एक और बात सामने आई, वो ये कि पुरुषों और महिलाओं के लिए परिणाम समान थे। जो यह दर्शाता है कि ये ब्रेन बूस्टिंग इफेक्ट गर्भावस्था के बजाय पालन-पोषण से संबंधित था।

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 शोधकर्ताओं ने दी चेतावनी 

होम्स के मुताबिक, "गर्भावस्था के बजाय प्रोटेक्टिव वातावरण महत्वपूर्ण होता है, बच्चों के ख्याल रखने का प्रभाव माता और पिता दोनों में देखने को मिलता है।" रिसर्च में ये भी दावा किया गया कि परिवार अगर साथ में ज्यादा समय बिताता है या सामाजिक समारोहों का हिस्सा बनता है, तो भी पेरेंट्स को लाभ पहुंचता है। निष्कर्ष 25 फरवरी को जर्नल प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेचुरल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित हुए। शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी कि चूंकि अध्ययन के सभी प्रतिभागी यू.के. से थे, इसलिए निष्कर्ष जरूरी नहीं कि दुनिया के किसी और कोने पर भी लागू हो।

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