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Junk Food Challenge: टैक्स से नहीं, आदतों में बदलाव से मिलेगी सेहत की जीत

जंक फूड का बढ़ता प्रचलन भारत में स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था के लिए गंभीर खतरा बन चुका है, जिससे मोटापा, मधुमेह और हृदय रोग जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है।

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Ajit Kumar Pandey
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JUNK FOOD

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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क ।

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 HEALTH News : जंक फूड का बढ़ता प्रचलन आज एक वैश्विक स्वास्थ्य समस्या बन चुका है। भारत भी इससे अछूता नहीं है, जहां शहरों से लेकर गांवों तक, बच्चों से लेकर वयस्कों तक, हर वर्ग जंक फूड के जाल में फंसता जा रहा है। इस समस्या के समाधान के लिए, कई विशेषज्ञों ने जंक फूड पर 'स्वास्थ्य कर' लगाने का सुझाव दिया है। हालांकि, यह उपाय समस्या का एक हिस्सा हो सकता है, लेकिन अकेले इसके दम पर इस जटिल मुद्दे का समाधान नहीं किया जा सकता है।

जंक फूड: एक गंभीर समस्या

जंक फूड, जिसे 'अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड' भी कहा जाता है, अत्यधिक संसाधित खाद्य पदार्थ होते हैं जिनमें वसा, चीनी और नमक की मात्रा बहुत अधिक होती है, जबकि पोषक तत्व न के बराबर होते हैं। इनके नियमित सेवन से मोटापा, मधुमेह, हृदय रोग, और कई अन्य गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

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भारत में, जंक फूड का बढ़ता प्रचलन न केवल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, बल्कि यह देश की अर्थव्यवस्था पर भी भारी बोझ डालता है। अस्पतालों में मरीजों की बढ़ती संख्या, दवाओं का खर्च, और उत्पादकता में कमी, सभी देश के विकास को प्रभावित करते हैं।

स्वास्थ्य कर: एक संभावित समाधान

स्वास्थ्य कर, जंक फूड पर लगाया जाने वाला एक अतिरिक्त कर है, जिसका उद्देश्य इसके सेवन को कम करना है। इस कर से प्राप्त राजस्व का उपयोग स्वास्थ्य सेवाओं के सुधार और जन जागरूकता अभियान चलाने में किया जा सकता है।

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कई देशों में, स्वास्थ्य कर के सकारात्मक परिणाम देखे गए हैं। उदाहरण के लिए, मेक्सिको में सोडा पर कर लगाने के बाद, इसके सेवन में उल्लेखनीय कमी आई। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि हर देश की परिस्थितियां अलग होती हैं, और एक मॉडल को दूसरे पर लागू करना हमेशा सफल नहीं होता है।

स्वास्थ्य कर की सीमाएं

उपभोक्ताओं का व्यवहार: केवल कर लगाने से उपभोक्ताओं का व्यवहार बदलना मुश्किल है। कई लोग, विशेष रूप से कम आय वाले वर्ग, सस्ते जंक फूड के विकल्प तलाश सकते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए और भी हानिकारक हो सकते हैं।

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उद्योग का प्रतिरोध: जंक फूड उद्योग, एक शक्तिशाली और प्रभावशाली क्षेत्र है, जो किसी भी तरह के कर का विरोध करेगा। वे उपभोक्ताओं को लुभाने के लिए नए और सस्ते विकल्प पेश कर सकते हैं।

कालाबाजारी: कर लगने से जंक फूड की कालाबाजारी बढ़ सकती है, जिससे सरकार को राजस्व का नुकसान होगा और उपभोक्ताओं को और भी हानिकारक उत्पाद मिलेंगे।

सामाजिक असमानता: स्वास्थ्य कर, कम आय वाले वर्ग पर अधिक प्रभाव डाल सकता है, क्योंकि वे अपनी आय का एक बड़ा हिस्सा भोजन पर खर्च करते हैं।

Health Awareness: समाधान के अन्य पहलू

जंक फूड की समस्या का समाधान केवल स्वास्थ्य कर से नहीं हो सकता है। इसके लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें निम्नलिखित उपाय शामिल हो सकते हैं:

जन जागरूकता अभियान: लोगों को जंक फूड के हानिकारक प्रभावों के बारे में शिक्षित करना और स्वस्थ खान-पान के महत्व को समझाना।

स्कूलों में शिक्षा: बच्चों को छोटी उम्र से ही स्वस्थ खान-पान की आदतें सिखाना।

स्वस्थ विकल्पों को बढ़ावा देना: फल, सब्जियां, और अन्य पौष्टिक खाद्य पदार्थों को सस्ता और आसानी से उपलब्ध कराना।

विज्ञापन नियमन: जंक फूड के भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाना, विशेष रूप से बच्चों के लिए लक्षित विज्ञापनों पर।

उद्योग के साथ सहयोग: जंक फूड उद्योग को स्वस्थ विकल्पों को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित करना।

नीतिगत उपाय: सरकारों को जंक फूड के उत्पादन, वितरण और विपणन को नियंत्रित करने के लिए सख्त नीतियां बनानी चाहिए।

सामुदायिक भागीदारी: स्थानीय समुदायों को स्वस्थ खान-पान को बढ़ावा देने के लिए कार्यक्रमों में शामिल करना।

जंक फूड, आज एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन चुका है, जिसका समाधान केवल एक उपाय से संभव नहीं है। स्वास्थ्य कर, एक संभावित उपाय हो सकता है, लेकिन इसके साथ-साथ, जन जागरूकता, शिक्षा, स्वस्थ विकल्पों को बढ़ावा देना, और नीतिगत उपायों की भी आवश्यकता है। सभी हितधारकों को मिलकर काम करना होगा, ताकि हम एक स्वस्थ और खुशहाल समाज का निर्माण कर सकें।

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