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बड़ी आंत की गंदगी: कई बीमारियों की असली जड़, कोलन कैंसर का खतरा

हमारे शरीर का पाचन तंत्र अत्यंत जटिल और अद्भुत है, जिसमें बड़ी आंत (लार्ज इंटेस्टाइन) भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। छोटी आंत भोजन से पोषक तत्वों का अवशोषण करती है, जबकि बड़ी आंत शरीर की सफाई और स्वास्थ्य की रक्षा में एक मौन प्रहरी की तरह काम करती है।  

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YBN News
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food Photograph: (IANS)

नई दिल्ली।बड़ी आंत में जमा गंदगी और अपशिष्ट पदार्थ कई गंभीर बीमारियों की जड़ माने जाते हैं। जब आंत पूरी तरह साफ नहीं होती, तो शरीर में विषाक्त पदार्थ (टॉक्सिन) बढ़ने लगते हैं, जिससे कब्ज, गैस, सिरदर्द, त्वचा संबंधी समस्याएं और पाचन तंत्र की गड़बड़ियां हो सकती हैं। लंबे समय तक आंत में गंदगी जमा रहने से पेट दर्द, मोटापा, हृदय रोग और यहां तक कि कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है। 

पाचन तंत्र अत्यंत जटिल और अद्भुत

जानकारी हो कि हमारे शरीर का पाचन तंत्र अत्यंत जटिल और अद्भुत है, जिसमें बड़ी आंत (लार्ज इंटेस्टाइन) भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। छोटी आंत भोजन से पोषक तत्वों का अवशोषण करती है, जबकि बड़ी आंत शरीर की सफाई और स्वास्थ्य की रक्षा में एक मौन प्रहरी की तरह काम करती है।  

मालूम हो कि बड़ी आंत की लंबाई लगभग डेढ़ मीटर यानी पांच फीट होती है, जो छोटी आंत से कम है, लेकिन इसका कार्य जीवन के लिए उतना ही आवश्यक है। बड़ी आंत भोजन के अपशिष्ट से जल और आवश्यक लवण जैसे सोडियम व पोटैशियम को पुनः अवशोषित करती है, जिससे शरीर निर्जलीकरण से बचता है।

बड़ी आंत का मस्तिष्क से भी गहरा संबंध

इसके अलावा, बड़ी आंत सूक्ष्मजीवों का विशाल संसार है, जिसमें लगभग 100 खरब से अधिक माइक्रोब्स रहते हैं। ये सूक्ष्मजीव विटामिन के और बी-समूह का निर्माण करते हैं तथा शरीर की प्रतिरक्षा शक्ति को मजबूत बनाते हैं। वास्तव में, शरीर की लगभग 70 प्रतिशत रोग प्रतिरोधक क्षमता आंतों पर निर्भर करती है, खासकर बड़ी आंत पर, इसीलिए इसे इम्युनिटी का गढ़ भी कहा जाता है।

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बड़ी आंत का मस्तिष्क से भी गहरा संबंध है, जिसे आंत्र-मस्तिष्क अक्ष कहा जाता है। यही कारण है कि कब्ज़, दस्त या आंत की किसी समस्या का सीधा असर मानसिक स्थिति, तनाव और मूड पर पड़ता है। आंत के जीवाणु सेरोटोनिन जैसे हार्मोन के स्तर को भी प्रभावित करते हैं, जो नींद और भावनाओं को नियंत्रित करते हैं।

बड़ी आंत में कोलन कैंसर का खतरा

वहीं, रेशेदार आहार बड़ी आंत के सूक्ष्मजीवों के लिए भोजन का कार्य करता है, जिससे वे शॉर्ट चेन फैटी एसिड उत्पन्न करते हैं, जो कैंसर से बचाव, सूजन को कम करने और आंत को स्वस्थ रखने में सहायक होते हैं। यदि अपशिष्ट लंबे समय तक आंत में रुका रहता है तो हानिकारक द्रव्य पुनः शरीर में अवशोषित हो सकते हैं, जिससे अनेक रोग उत्पन्न होते हैं। आयुर्वेद में इसे ही कहा गया है 'मलावरोधः सर्वरोगानां मूलम्।' 
यही कारण है कि बड़ी आंत में कोलन कैंसर का खतरा भी अधिक देखा जाता है, विशेषकर उन लोगों में जो रेशे की कमी, जंक फूड और अत्यधिक मांसाहार करते हैं।

आयुर्वेदिक उपाय अत्यंत कारगर

बड़ी आंत को स्वस्थ रखने के लिए आयुर्वेदिक उपाय अत्यंत कारगर हैं। त्रिफला चूर्ण का सेवन रात को गुनगुने पानी के साथ करने से आंत साफ रहती है। इसबगोल की भूसी कब्ज और गैस को दूर करने में सहायक है। सुबह उठकर गुनगुना पानी पीने से आंत की सफाई सहज होती है। फाइबर युक्त आहार जैसे हरी सब्जियां, फल और सलाद आंत के सूक्ष्मजीवों को पोषण देते हैं, जबकि घी आंत को चिकनाई प्रदान कर कब्ज से बचाता है।

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आंतों के लिए अत्यंत लाभकारी

इसके अलावा, योगासन जैसे पवनमुक्तासन, पश्चिमोत्तानासन और प्राणायाम (कपालभाति) आंतों के लिए अत्यंत लाभकारी हैं। नियमित दिनचर्या, समय पर भोजन, तनाव से दूरी और पर्याप्त नींद बड़ी आंत को स्वस्थ बनाए रखते हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि संतुलित आहार, पर्याप्त पानी और नियमित व्यायाम से बड़ी आंत को स्वस्थ रखा जा सकता है और बीमारियों से बचाव संभव है।

 (इनपुट-आईएएनएस)

Disclaimer: इस लेख में प्रदान की गई जानकारी केवल सामान्य जागरूकता के लिए है। इसे किसी भी रूप में व्यावसायिक चिकित्सकीय परामर्श के विकल्प के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। कोई भी नई स्वास्थ्य-संबंधी गतिविधि, व्यायाम, शुरू करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह जरूर लें।"

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