/young-bharat-news/media/media_files/2025/10/15/morning-coffie-2025-10-15-19-24-17.jpg)
सुबह की कॉफ़ी सिर्फआपको जगा ही नहीं रही है, बल्कि अब खाना-पीना और सौंदर्य उत्पादों में छिपे खतरनाक रंगों का पता लगाने वाली सुपर-डिटेक्टिव भी बन गई है! कॉफ़ी के दाग में छुपा है विज्ञान का जादू, जो आम आदमी की सुरक्षा के लिए काम आ सकता है।
कॉफ़ी डिटेक्टिव कैसे काम करता है?
जब कॉफ़ी की बूंद टेबल पर गिरती और सूखती है, तो इसके किनारे पर गहरा घेरा बनता है। यही है कॉफ़ी डिटेक्टिव का पहला सुराग। शोधकर्ताओं ने पाया कि इसी पैटर्न का इस्तेमाल करके हम हानिकारक रंग और रसायन पहचान सकते हैं।आरआरआई (Raman Research Institute) के वैज्ञानिकों ने सोने की नैनो छड़ें मिलाकर इस दाग को सुपर-सेंसिटिव डिटेक्टिव बना दिया। जैसे ही बूंद सूखती है, ये नैनो छड़ें किनारे पर जमा होकर चमकदार पैटर्न बनाती हैं। जब इस पैटर्न पर लेज़र डाला जाता है, तो हानिकारक रंग तुरंत कैच हो जाता है। टीम ने सोने की नैनो छड़ों, कुछ दसियों नैनोमीटर लंबी सूक्ष्म छड़ों, के साथ कॉफी के दाग के प्रभाव का फायदा उठाया। इसके लिए उन्होंने इन छड़ों से युक्त पानी की एक बूंद को एक साफ, पानी को दृढ़ता से आकर्षित करने वाली सिलिकॉन सतह पर जमा किया और पानी को वाष्पित होने दिया। जैसे ही बूंद वाष्पित हुई, छड़ें उसके किनारे पर पहुँच गईं और वहाँ एक वलय के रूप में रह गईं।
खतरनाक रंग रोडामाइन बी
- कपड़े, क्रीम और कभी-कभी खाने में इस्तेमाल होता है।
- त्वचा, आंख और सांस के लिए हानिकारक।
- पानी और मिट्टी में लंबे समय तक रहकर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है।
- कॉफ़ी डिटेक्टिव का आम आदमी के लिए फायदा:
- सुरक्षित खाना और पेय: दुकानों या घर में पता चलेगा कि खाना और पानी सुरक्षित हैं या नहीं।
- सौंदर्य उत्पादों की सुरक्षा: लिपस्टिक, क्रीम या पाउडर में हानिकारक रंग हैं या नहीं, यह आसानी से दिख सकेगा।
- पर्यावरण की रक्षा: पानी और मिट्टी में हानिकारक रसायन कम करने में मदद।
- सस्ती और आसान तकनीक: बिना महंगे उपकरणों के भी काम कर सकती है।
क्या कहते हैं वैज्ञानिक
आरआरआई की प्रोफेसर रंजिनी बंद्योपाध्याय बताती हैं, “कॉफ़ी के दाग जैसे सरल पैटर्न का इस्तेमाल कर हम बहुत ही कम मात्रा में विषैले पदार्थ पकड़ सकते हैं। यह तरीका सस्ता, तेज़ और असरदार है। तो अगली बार जब आप कॉफ़ी पीएँ और टेबल पर उसका दाग देखें, याद रखिए – आपके सामने है सुपर-डिटेक्टिव कॉफ़ी, जो आपके लिए खाना, सौंदर्य उत्पाद और पर्यावरण की सुरक्षा की गारंटी दे सकता है।
श्वसन तंत्र को भी नुकसान पहुंचाता फ्लोरोसेंट सिंथेटिक रंग
भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा समर्थित एक स्वायत्त संस्थान, रमन अनुसंधान संस्थान (आरआरआई) के शोधकर्ताओं ने रोडामाइन बी पर ध्यान केंद्रित किया, जो वस्त्रों और सौंदर्य प्रसाधनों में इस्तेमाल होने वाला एक फ्लोरोसेंट सिंथेटिक रंग है। हालांकि, यह रंग विषैला होता है और त्वचा, आंखों और यहां तक कि श्वसन तंत्र को भी नुकसान पहुंचाता है। यह एक महत्वपूर्ण पर्यावरणीय प्रदूषक भी है क्योंकि यह पानी में मौजूद रहता है।
गिलास पानी में डाई की एक बूंद के बराबर है
सोने के नैनोरॉड्स की कम सांद्रता पर, रोडामाइन बी की केवल अपेक्षाकृत उच्च मात्रा का ही पता लगाया जा सका - जो लगभग एक गिलास पानी में डाई की एक बूंद के बराबर है। जैसे-जैसे नैनोरॉड की सांद्रता बढ़ती गई, पता लगाने की सीमा में तेज़ी से सुधार हुआ। सबसे सघन वलय जमाव के साथ, यह प्रणाली रोडामाइन बी का पता एक ट्रिलियन में एक भाग तक लगा सकी। उल्लेखनीय रूप से, नैनोरॉड सांद्रता में सौ गुना वृद्धि संवेदनशीलता में लगभग दस लाख गुना वृद्धि में परिवर्तित हो गई।
आरआरआई के शोधकर्ता ए. डब्ल्यू. ज़ैबूदीन ने कहा, "रोडामाइन बी जैसे डाई अणुओं को उनकी विषाक्तता के कारण खाद्य और सौंदर्य प्रसाधन जैसे उत्पादों में प्रतिबंधित किया गया है, लेकिन नियामकों को उनके अवैध उपयोग की निगरानी करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिसमें उत्पादों में कम मात्रा का उपयोग और पता लगाने वाले उपकरणों की उपलब्धता की कमी शामिल है।"
सॉफ्ट कंडेंस्ड मैटर के इंजीनियर बी, यतीन्द्रन के. एम. ने कहा, "एक बार जब ये रंग भोजन या जल निकायों में मिल जाते हैं, तो ये प्रति ट्रिलियन भागों जितनी कम सांद्रता तक तनु हो सकते हैं, जिससे पारंपरिक लक्षण वर्णन तकनीकों का उपयोग करके इनका पता लगाना मुश्किल हो जाता है। इसलिए, सतह-संवर्धित रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी (SERS) जैसी अधिक संवेदनशील पहचान विधि की आवश्यकता हो सकती है।" food adulteration detection | HEALTH | get healthy | get healthy body