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NadiShodhanPranayama Photograph: (ians)
नई दिल्ली। मन की शांति और एकाग्रता का सूत्र नाड़ीशोधन प्राणायाम, जिसे अनुलोम-विलोम भी कहा जाता है, मानसिक शांति और एकाग्रता बढ़ाने का एक अचूक तरीका है। नियमित रूप से कुछ मिनटों के अभ्यास से शरीर की ऊर्जा वाहिकाओं (नाड़ियों) का शुद्धिकरण होता है, जिससे प्राण (जीवन शक्ति) का प्रवाह सुचारू होता है।
फायदे
आज के व्यस्त समय में तन-मन दोनों को स्वस्थ रखना है तो योग और प्राणायाम सबसे सही विकल्प है। नाड़ीशोधन प्राणायाम को सबसे सरल और प्रभावी तकनीकों में से एक माना जाता है। यह प्राणायाम न केवल सांस को संतुलित करता है, बल्कि मन-मस्तिष्क पर गहरा सकारात्मक प्रभाव डालता है।
तनाव और चिंता कम:
यह प्राणायाम नर्वस सिस्टम को शांत करता है, जिससे तनाव और चिंता का स्तर कम होता है। योगाचार्यों का कहना है कि आज के भागदौड़ भरे जीवन में नाड़ीशोधन प्राणायाम हर उम्र के व्यक्ति के लिए वरदान है। नियमित अभ्यास से मन में निश्चलता आती है, गहरी शांति का अनुभव होता है साथ ही एकाग्रता में वृद्धि होती है। नाड़ीशोधन प्राणायाम करने की विधि बहुत आसान है, जिसके बारे में मोरारजी देसाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ योगा विस्तार से जानकारी देता है।
एकाग्रता:
दिमाग में ऑक्सीजन का बेहतर संचार होता है, जिससे स्मरण शक्ति और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता बढ़ती है। नाड़ीशोधन के लाभ अनेक हैं। यह तनाव को कम करने में सहायक है और चिंता के स्तर को तेजी से घटाता है। कफ दोष और सांस संबंधित समस्याओं में राहत देता है। इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना नाड़ी को शुद्ध कर शरीर में प्राण ऊर्जा का संतुलन बनाता है, जिससे मानसिक स्थिरता और ध्यान की शक्ति बढ़ती है। नियमित अभ्यास से नींद की गुणवत्ता सुधरती है और दिनभर ताजगी बनी रहती है।
फेफड़े:
यह फेफड़ों की कार्यक्षमता को बढ़ाकर श्वसन तंत्र को मजबूत करता है, जो समग्र स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। खाली पेट सुबह के समय इसका अभ्यास सबसे उत्तम माना जाता है। हालांकि, कुछ सावधानी बरतनी भी जरूरी है। इस प्राणायाम को कभी जबरदस्ती न करें। सांस लेना-छोड़ना पूरी तरह सहज और स्वभाविक होना चाहिए। हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोग या गंभीर नाक की समस्या वाले व्यक्तियों को योग प्रशिक्षक की सलाह जरूर लेनी चाहिए।
अभ्यास रोजाना 10-15 मिनट
अभ्यास के लिए किसी जगह पर सुखासन, पद्मासन या कुर्सी पर सीधी रीढ़ करके बैठें। दाहिने हाथ के अंगूठे से दाहिनी नासिका को बंद करें और बायीं नासिका से धीरे-धीरे गहरी सांस लें। फिर दाहिने हाथ की अनामिका व कनिष्ठा उंगली से बायीं नासिका बंद कर दाहिनी नासिका से सांस छोड़ें। फिर दाहिनी नासिका से ही सांस लें और बायीं से छोड़ें। इस क्रम को दोहराएं। एक चक्र पूरा होने पर दोनों नासिकाओं से सामान्य श्वास लें। शुरुआत में इसका अभ्यास 5 से10 मिनट और धीरे-धीरे करना चाहिए।
इसका अभ्यास रोजाना 10-15 मिनट करने से मन शांत रहता है और शरीर स्वस्थ बनता है।
इनपुट-आईएएनएस)
Disclaimer: इस लेख में प्रदान की गई जानकारी केवल सामान्य जागरूकता के लिए है। इसे किसी भी रूप में व्यावसायिक चिकित्सकीय परामर्श के विकल्प के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। कोई भी नई स्वास्थ्य-संबंधी गतिविधि, व्यायाम, शुरू करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह जरूर लें।"
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