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राष्ट्रीय पोषण सप्ताह 2025 की इस साल की थीम है ‘ईट राइट फॉर ए बेटर लाइफ’ यानी बेहतर जीवन के लिए सही खानपान अपनाएं। इसका उद्देश्य लोगों को संतुलित आहार, सही खानपान की आदतें अपनाने, कुपोषण रोकने और जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों से बचाव के प्रति जागरूक करना है। आजकल बच्चों में कमजोर अथवा मोटापे की समस्या से तेजी से बढ़ रही है, क्योंकि वे ज्यादातर जंक फूड और बाहर का खाना पसंद करते हैं।
पारंपरिक भोजन पर ध्यान दें
इसे लेकर दिल्ली के प्रमुख चिकित्सक डॉ. एम.के. दीक्षित कहते हैं कि पारंपरिक भोजन जैसे दाल, चावल, सब्जी और रोटी में लगभग सभी जरूरी पोषक तत्व मिल जाते हैं। अगर साथ में मौसमी फल और सलाद भी शामिल किया जाए तो भोजन संतुलित बन जाता है। डॉ. दीक्षित ने कहा कि स्वाद से ज्यादा स्वास्थ्य पर ध्यान देना जरूरी है और घर के बने खाने को रोजाना के भोजन का हिस्सा बनाना चाहिए।
मस्तिष्क के लिए संतुलित आहार आवश्यक
डॉ. अंकित ओम ने बताया कि संतुलित आहार स्वस्थ शरीर और मस्तिष्क के लिए जरूरी है। उन्होंने कहा कि शिशु अवस्था से लेकर किशोरावस्था, गर्भावस्था और वृद्धावस्था तक सभी के लिए पोषण अनिवार्य है। सही आहार लेने से डायबिटीज, ब्लड प्रेशर और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से बचाव किया जा सकता है। उनका कहना था कि राष्ट्रीय पोषण सप्ताह का मुख्य उद्देश्य लोगों को जागरूक कर संतुलित आहार अपनाने के लिए प्रेरित करना है।
नाश्ता न छोड़ें, भोजन का समय नियमित रखें
प्रमुख चिकित्सक डॉ. मीरा पाठक ने कहा कि इस साल की थीम संतुलित आहार, माइंडफुल ईटिंग, प्रोसेस्ड फूड का कम उपयोग और पोषण शिक्षा को बढ़ावा देती है। उन्होंने पांच सुझाव दिए: नाश्ता न छोड़ें और भोजन का समय नियमित रखें, दिन में तीन बड़े और तीन छोटे भोजन लें, थाली का आधा हिस्सा फल और सब्जियों, 25 प्रतिशत प्रोटीन और 25 प्रतिशत साबुत अनाज से भरें, साथ ही दूध और दही शामिल करें। उन्होंने रिफाइंड फूड, अधिक तेल, नमक और चीनी से बचने की सलाह दी।
जन्म के बाद पहले छह महीने मां का दूध जरूरी
दिल्ली एम्स के पूर्व रेसिडेंट डॉ. राकेश ने बताया कि इस सप्ताह को हर साल किसी खास थीम के साथ मनाया जाता है ताकि सही खानपान का महत्व समझाया जा सके। बच्चों में कुपोषण रोकने के लिए जन्म के बाद पहले छह महीने केवल मां का दूध देना जरूरी है। बड़े बच्चों और वयस्कों को फल, हरी सब्जियां, दाल, पनीर, सोयाबीन, अंडा और मछली शामिल करनी चाहिए। नमक कम करें, पानी अधिक पीएं और तैलीय भोजन व बार-बार इस्तेमाल किए गए तेल से परहेज करें।
डॉ. निर्माल्य ने कहा कि इस वर्ष की थीम का मतलब पेट भरने पर नहीं, बल्कि सही खानपान पर जोर देने का है। सही खानपान से डायबिटीज, हृदय रोग, स्ट्रोक और किडनी की बीमारियों को रोका जा सकता है। उन्होंने कहा कि कम तेल, कम नमक और कम चीनी का उपयोग करना हर व्यक्ति के लिए जरूरी है। Healthy Dish | healthy diet for kids | get healthy body | get healthy | Do Yoga Stay Healthy | healthy indian diet : healthy lifestyle