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Vaping Health Risks बढ़ता वेपिंग का चलन, भविष्य में सिगरेट और स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा

 ई-सिगरेट पीने वाले युवा बाद में सिगरेट की लत का शिकार होते हैं। शोधकर्ताओं ने पाया कि यह संबंध काफी मजबूत और साफ दिखता है। टोबैको कंट्रोल पत्रिका में हाल ही में प्रकाशित निष्कर्षों में, शोधकर्ताओं ने इसे 'चौंकाने वाला पैटर्न' करार दिया। 

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Mukesh Pandit
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एक नई वैश्विक रिपोर्ट में सामने आया है कि ई-सिगरेट (वेपिंग) का इस्तेमाल करने वाले युवा आगे चलकर सिगरेट पीना शुरू कर देते हैं और उन्हें कई तरह की शारीरिक और मानसिक बीमारियों का खतरा भी होता है। यह रिपोर्ट यूनिवर्सिटी ऑफ यॉर्क और लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने मिलकर तैयार की है। इसमें 56 अलग-अलग शोध समीक्षाओं को शामिल किया गया, जो कुल मिलाकर 384 स्टडीज पर आधारित हैं। इन स्टडीज में दुनिया के अलग-अलग देशों से जुड़े आंकड़ों का विश्लेषण किया गया।

ई-सिगरेट :'चौंकाने वाला पैटर्न'

शोधकर्ताओं ने इसे 'चौंकाने वाला पैटर्न' करार दिया। शोधकर्ताओं के मुताबिक, जो युवा ई-सिगरेट का इस्तेमाल करते हैं, वे भविष्य में केवल सिगरेट पीना शुरू ही नहीं करते, बल्कि वे ज्यादा बार और ज्यादा मात्रा में सिगरेट पीते हैं।

रिपोर्ट में 21 स्टडीज खासतौर पर इस बात की जांच करती हैं कि क्या ई-सिगरेट पीने वाले युवा बाद में सिगरेट की लत का शिकार होते हैं। शोधकर्ताओं ने पाया कि यह संबंध काफी मजबूत और साफ दिखता है।टोबैको कंट्रोल पत्रिका में हाल ही में प्रकाशित निष्कर्षों में, शोधकर्ताओं ने इसे 'चौंकाने वाला पैटर्न' करार दिया। शोधकर्ताओं के मुताबिक, जो युवा ई-सिगरेट का इस्तेमाल करते हैं, वे भविष्य में केवल सिगरेट पीना शुरू ही नहीं करते, बल्कि वे ज्यादा बार और ज्यादा मात्रा में सिगरेट पीते हैं। ये नतीजे कई बार दोहराए गए हैं।

ई-सिगरेट से स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा

सिर्फ सिगरेट की लत ही नहीं, ई-सिगरेट से स्वास्थ्य पर भी गंभीर असर पड़ सकता है। रिपोर्ट में बताया गया कि वेपिंग करने वाले युवाओं को सांस संबंधी बीमारियां जैसे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और निमोनिया होने की संभावना ज्यादा होती है। अल्कोहल और गांजा जैसे नशों की ओर भी उनका झुकाव बढ़ सकता है।

मानसिक स्वास्थ्य पर भी वेपिंग का बुरा प्रभाव

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शारीरिक असर के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य पर भी वेपिंग का बुरा प्रभाव देखा गया। शोध में बताया गया कि इन युवाओं में सिर दर्द, चक्कर आना, माइग्रेन, शुक्राणु की संख्या में कमी, डिप्रेशन, और यहां तक कि आत्महत्या के विचार भी देखे गए हैं।इस रिपोर्ट के प्रकाशित होने के साथ ही ब्रिटेन सरकार ने जून महीने से डिस्पोजेबल वाइप्स की बिक्री पर रोक लगा दी है, चाहे उनमें निकोटीन हो या नहीं। यह कदम बच्चों में बढ़ती वेपिंग की लत को रोकने के लिए उठाया गया है।

ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस (एनएचएस) के आंकड़ों के मुताबिक, 11 से 15 साल के करीब 25 प्रतिशत बच्चों ने कम से कम एक बार वेपिंग की है, और लगभग 10 प्रतिशत बच्चे नियमित रूप से इसका इस्तेमाल करते हैं।

वेपिंग करने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी

इस बीच, यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (यूसीएल) की एक और स्टडी में पाया गया कि इंग्लैंड में 2013 से 2023 के बीच लंबे समय तक वेपिंग करने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी है। खासकर 18 साल की उम्र के युवाओं में यह आदत तेजी से फैली है। आंकड़ों के अनुसार, 18 साल के 22.7 प्रतिशत लोग लंबे समय से वेपिंग कर रहे हैं, जबकि 65 साल की उम्र में यह संख्या सिर्फ 4.3 प्रतिशत है।

युवाओं में बढ़ता क्रेज

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यह भी देखा गया कि अधिकतर वेपिंग करने वाले लोग पहले सिगरेट पी चुके होते हैं, लेकिन अब ऐसे लोग भी वेपिंग की ओर बढ़ रहे हैं जिन्होंने पहले कभी सिगरेट नहीं पी थी। एनएचएस के मुताबिक, ई-सिगरेट सिगरेट छोड़ने में मदद कर सकती है, लेकिन यह पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है। इसलिए लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है, खासकर युवाओं को।आईएएनए

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