नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क । गर्मियों का मौसम, खासकर जब उमस (नमी) चरम पर हो, तो बिना हवादार कमरे में बैठना एक भयानक अनुभव हो सकता है। कल्पना कीजिए- एक छोटा सा कमरा, जिसमें कोई खिड़की नहीं, पंखा भी बंद, और बाहर का तापमान 38°C के पार। ऐसी स्थिति में शरीर पर क्या गुजरती है, इसके बारे में जानकर आप हैरान रह जाएंगे।
बंद कमरे में उमस का शरीर पर असर
1. डिहाइड्रेशन और हीट स्ट्रोक का खतरा
जब कमरे में हवा नहीं आती, तो पसीना ठीक से नहीं सूख पाता। इससे शरीर का तापमान बढ़ता जाता है। पसीने के जरिए पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स (सोडियम, पोटैशियम) की कमी होने लगती है, जिससे...
- सिरदर्द
- चक्कर आना
- मांसपेशियों में ऐंठन
- बेहोशी तक हो सकती है।
अगर समय पर ध्यान न दिया जाए, तो हीट स्ट्रोक भी हो सकता है, जो जानलेवा होता है। heat wave | Heatwave Alert |
2. सांस लेने में दिक्कत
बंद कमरे में ऑक्सीजन की मात्रा धीरे-धीरे कम होने लगती है और कार्बन डाइऑक्साइड बढ़ जाती है। इससे...
- सांस फूलना
- घुटन महसूस होना
- दमा के मरीजों को अटैक आ सकता है।
3. बैक्टीरिया और फंगस का बढ़ना
उमस भरे माहौल में बैक्टीरिया और फंगस तेजी से पनपते हैं। इससे...
- स्किन इन्फेक्शन
- एलर्जी
- सांस की बीमारियां हो सकती हैं।
4. मानसिक तनाव और चिड़चिड़ापन
गर्मी और बंद कमरा दिमाग पर भी असर डालता है। रिसर्च के मुताबिक, ऐसी जगहों पर...
- एकाग्रता कम होती है
- मूड खराब रहता है
- नींद न आने की समस्या हो सकती है।
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कैसे बचें? जानें कुछ जरूरी उपाय
1. वेंटिलेशन का ध्यान रखें
- अगर खिड़की नहीं है, तो दरवाजा खोलकर पंखा चलाएं।
- एग्जॉस्ट फैन लगवाएं।
- कूलर या AC का उपयोग करें।
2. हाइड्रेटेड रहें
- पानी, नींबू पानी, ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्ट (ORS) पीते रहें।
- चाय-कॉफी से परहेज करें, ये डिहाइड्रेशन बढ़ाते हैं।
3. हल्के और सूती कपड़े पहनें
- टाइट कपड़ों से बचें, सफेद या हल्के रंग के कॉटन के कपड़े पहनें।
4. ठंडे पानी से नहाएं या हाथ-पैर धोएं
- गर्मी में ठंडा पानी शरीर के तापमान को कंट्रोल करता है।
5. पौधे लगाएं
- एलोवेरा, स्नेक प्लांट जैसे पौधे कमरे की हवा शुद्ध करते हैं।
रोचक तथ्य: क्या आप जानते हैं?
भारत में हीटवेव (लू) और अत्यधिक गर्मी के कारण हुई मौतों के आंकड़े निम्नलिखित हैं...
2021
हीटवेव से मौतें: लगभग 20 (आधिकारिक आंकड़े कम थे, लेकिन असर कुछ राज्यों में था)।
मुख्य प्रभावित राज्य: महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश।
2022
हीटवेव से मौतें: लगभग 25-30 (आधिकारिक रिपोर्ट्स के अनुसार)।
मुख्य प्रभावित राज्य: राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश।
2023
हीटवेव से मौतें: लगभग 100+ (विशेषकर बिहार और उत्तर प्रदेश में)।
मुख्य प्रभावित राज्य: बिहार, उत्तर प्रदेश, ओडिशा।
अप्रैल-जून 2023 में भीषण गर्मी पड़ी, जिससे कई लोगों की मौत हुई।
2024
हीटवेव से मौतें: लगभग 50+।
मुख्य प्रभावित राज्य: ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल।
सामान्य ट्रेंड
- हर साल मार्च से जून तक भारत में हीटवेव की घटनाएं बढ़ रही हैं।
- सबसे अधिक मौतें आमतौर पर बिहार, उत्तर प्रदेश, ओडिशा और आंध्र प्रदेश में होती हैं।
गैर-आधिकारिक आंकड़े अक्सर सरकारी रिपोर्ट्स से अधिक होते हैं, क्योंकि कई मामलों में मौत का कारण सीधे "हीट स्ट्रोक" नहीं बताया जाता।
बिना वेंटिलेशन वाले कमरों में CO2 लेवल 5 गुना तक बढ़ सकता है, जिससे ब्रेन फंक्शन प्रभावित होता है।
अंतिम संदेश: सावधानी ही बचाव है
उमस भरी गर्मी में बंद कमरे में रहना एक साइलेंट किलर की तरह है। थोड़ी सी सजगता और सही उपाय अपनाकर आप इससे बच सकते हैं। अगर आपको या किसी और को चक्कर आए, उल्टी हो या बेहोशी जैसे लक्षण दिखें, तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
गर्मी को हल्के में न लें- सुरक्षित रहें, स्वस्थ रहें!
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