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World Malaria day: मलेरिया के खिलाफ वैश्विक और स्थानीय प्रयासों को मजबूत करने का एक अवसर प्रदान करता है। भारत ने मलेरिया उन्मूलन की दिशा में प्रभावशाली प्रगति की है, लेकिन अभी भी कई चुनौतियां बाकी हैं। मच्छर नियंत्रण, त्वरित निदान, प्रभावी उपचार, और सामुदायिक जागरूकता के माध्यम से मलेरिया से निपटा जा सकता है। 2030 तक मलेरिया मुक्त भारत का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए सरकार, समुदाय और वैश्विक संगठनों का सहयोग आवश्यक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की विश्व मलेरिया रिपोर्ट 2023 के अनुसार, भारत ने 2015 की तुलना में 2022 तक मलेरिया के मामलों में 85% और मलेरिया से होने वाली मौतों में 83% की कमी हासिल की है।
सात देश मलेरिया मुक्त
पिछले वर्षों में डब्ल्यूएचओ ने सात देशों को मलेरिया से मुक्त घोषित किया है। इसका अर्थ यह है कि इन देशों में लगातार तीन वर्षों तक मलेरिया की कोई भी घटना नहीं हुई थी। संयुक्त अरब अमीरात ने 2007 में, मोरक्को और तुर्कमेनिस्तान में 2010 में, आर्मेनिया में 2011 में, मालदीव में 2015 में और किर्गिस्तान और श्रीलंका में 2016 में बीमारी का सफाया कर दिया था। बेशक भारत की आबादी, भूगोल और विशाल क्षेत्र दूसरे देशों की अपेक्षा इस कार्य को काफी चुनौतीपूर्ण बनाते हैं, लेकिन यह निश्चित रूप से असंभव नहीं है।
रोकथाम करना अधिक कठिन
रोग का इलाज करने की अपेक्षा मलेरिया की रोकथाम करना अधिक कठिन है, इसलिए सबसे बड़ा योगदान भारत को खुद के लोगों से ही आना चाहिए। पानी को स्थिर न रखकर, कूड़े को कूड़ेदान में डालकर, मच्छरों की नस्लों को समाप्त करने का मूल मंत्र है। मलेरिया से निपटने के लिए दवाएं अब देश के हर हिस्से में बहुत आसानी से उपलब्ध हैं। सरकारी अस्पतालों और चिकित्सालयों पर जरूरतमंदों को मलेरिया की दवायें मुफ्त में प्रदान करते हैं। हालांकि मलेरिया के पूर्ण उन्मूलन के लिए एक अत्यधिक प्रभावी टीके की आवश्यकता होगी। भारत डब्ल्यूएचओ के साथ मिलकर काम कर सकता है और भविष्य में होने वाले परीक्षणों का हिस्सा बन सकता है, अगर मलेरिया मुक्त होना है तो वास्तव में यह करना आवश्यक है।
मलेरिया के बारे में जागरुकता जरूरी
मलेरिया की बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाने, इसे कैसे नियंत्रित किया जाए और इसे पूरी तरह से कैसे खत्म किया जाए, इसके लिए हर साल 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस मनाया जाता है। 2008 में, पहला मलेरिया दिवस मनाया गया था, जिसे अफ्रीका मलेरिया दिवस से विकसित किया गया था, जो 2001 से अफ्रीकी सरकारों द्वारा मनाया जाने वाला एक कार्यक्रम था। 2007 में विश्व स्वास्थ्य सभा के 60वें सत्र में, यह प्रस्ताव रखा गया था कि अफ्रीका मलेरिया दिवस को विश्व मलेरिया दिवस में बदल दिया जाए। Digital health care | HEALTH | get healthy | get healthy body | DiversityInHealthcare
भारत में मलेरिया के मामले
भारत ने मलेरिया उन्मूलन की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति की है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की विश्व मलेरिया रिपोर्ट 2023 के अनुसार, भारत ने 2015 की तुलना में 2022 तक मलेरिया के मामलों में 85% और मलेरिया से होने वाली मौतों में 83% की कमी हासिल की है। वर्ष 2015 से 2023 के बीच मलेरिया के मामलों और मौतों में 80% की कमी आई है, जो जन-जन की भागीदारी और सरकारी प्रयासों का परिणाम है।
मलेरिया के मामलों में 97 प्रतिशत कमी
1947 में भारत में मलेरिया के मामले 7.5 करोड़ वार्षिक थे, जो 2023 तक घटकर 20 लाख प्रतिवर्ष हो गए, जो 97% की कमी को दर्शाता है। इसके अलावा, 2023 में 122 जिलों में मलेरिया का एक भी मामला दर्ज नहीं हुआ, जो भारत के मलेरिया मुक्त होने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। भारत सरकार ने 2030 तक मलेरिया उन्मूलन का लक्ष्य रखा है, और इसके लिए राष्ट्रीय मलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम (NMCP) और अन्य पहलें जैसे "नेशनल फ्रेमवर्क फॉर मलेरिया एलिमिनेशन" लागू की गई हैं।
हालांकि, चुनौतियां बनी हुई हैं। भारत में WHO दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के 66% मलेरिया मामले दर्ज किए जाते हैं, जो दर्शाता है कि अभी भी इस बीमारी का बोझ काफी है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी, दवाओं की अनुपलब्धता, और नकली दवाओं का कारोबार मलेरिया उन्मूलन में बाधक हैं।
भारत में मलेरिया से होने वाली मौतें
विश्व मलेरिया रिपोर्ट 2022 के अनुसार, वैश्विक स्तर पर 2022 में मलेरिया से 6,08,000 मौतें हुईं, जिनमें से अधिकांश अफ्रीकी क्षेत्र में थीं। भारत में मलेरिया से होने वाली मौतों की सटीक संख्या उपलब्ध नहीं है, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश मामलों का लेखा-जोखा नहीं रखा जाता। हालांकि, अनुमान के अनुसार, भारत में मलेरिया से होने वाली मौतें पिछले दशक में काफी कम हुई हैं। 2015 की तुलना में 2023 तक 80% कमी दर्ज की गई है। मलेरिया से होने वाली अधिकांश मौतें प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम के कारण होती हैं, जो सबसे घातक प्रजाति है।
मलेरिया से निपटने के तरीके
रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट (RDT) और माइक्रोस्कोपी के माध्यम से मलेरिया का त्वरित निदान।
आर्टेमिसिनिन-आधारित संयोजन चिकित्सा (ACT) जैसे प्रभावी उपचार की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
नकली दवाओं के कारोबार पर रोक लगाने के लिए सख्त नियम।
जागरूकता और शिक्षा:
समुदायों को मलेरिया के लक्षण (बुखार, ठंड लगना, सिरदर्द) और बचाव के उपायों के बारे में शिक्षित करना।
स्कूलों और सामुदायिक केंद्रों में जागरूकता अभियान चलाना।
नए अनुसंधान और टीके:
RTS,S/AS01 (Mosquirix) जैसे मलेरिया टीकों का उपयोग, विशेष रूप से बच्चों के लिए।
जीन-संपादन और अन्य नवाचारों के माध्यम से मच्छरों की प्रजनन क्षमता को कम करना।
सामुदायिक और सरकारी सहयोग:
स्थानीय स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं (आशा कार्यकर्ता) को प्रशिक्षित करना।
मलेरिया उन्मूलन के लिए सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों के बीच समन्वय।
महामारी के दौरान स्वास्थ्य सेवाओं की निरंतरता:
कोविड-19 जैसी महामारियों के दौरान मलेरिया की रोकथाम और उपचार सेवाओं में व्यवधान को कम करना।