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World Organ Donation Day: अंगदान यानि महादान -आओ, "किसी की मुस्कान का कारण बनें!"

"आज किसी की मुस्कान का कारण बनें!" की थीम लोगों को अंगदान के लिए प्रेरित करती है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि एक छोटा सा निर्णय लाखों लोगों के जीवन को बदल सकता है। भारत में अंगदान की कमी को दूर करने के लिए जागरूकता और शिक्षा की आवश्यकता है।

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Mukesh Pandit
Word Organ Donation day
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अंगदान यानि महादान र आप किसी की जान तक बचा सकते हैं। अभी भी अंग दान के प्रति बहुत से लोग जागरुक नहीं हैं। आज की आधुनिक दुनिया में अंग दान करना काफी आसान प्रक्रिया हो चुकी है। हर साल बहुत से लोगों की अंग नहीं मिलने के अभाव से मौत तक हो जाती है।विश्व अंगदान दिवस प्रत्येक वर्ष 13 अगस्त को मनाया जाता है। इसकी शुरुआत का 1954 से हुई है, जब अमेरिका में पहला सफल किडनी प्रत्यारोपण किया गया था। रोनाल्ड ली हेरिक ने अपने जुड़वां भाई रिचर्ड को किडनी दान की, जिसका सफल प्रत्यारोपण डॉ. जोसेफ मरे ने किया। 
इस ऐतिहासिक घटना ने अंग दान की संभावनाओं को विश्व के सामने लाया, और इसके लिए डॉ. मरे को 1990 में फिजियोलॉजी और मेडिसिन में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इस घटना ने अंगदान के प्रति जागरूकता बढ़ाने की नींव रखी, और 2005 से विश्व अंगदान दिवस मनाया जाने लगा। 

विश्व अंगदान दिवस 2025 की थीम 

"आज किसी की मुस्कान का कारण बनें!" की थीम लोगों को अंगदान के लिए प्रेरित करती है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि एक छोटा सा निर्णय लाखों लोगों के जीवन को बदल सकता है। भारत में अंगदान की कमी को दूर करने के लिए जागरूकता और शिक्षा की आवश्यकता है। लोग अपने परिवार के साथ इस विषय पर चर्चा करके इस नेक कार्य में योगदान दे सकते हैं। अंगदान न केवल एक चिकित्सीय प्रक्रिया है, बल्कि यह मानवता की सेवा का प्रतीक है, जो जीवन को एक नया अवसर देता है।

क्यों मनाया जाता है यह दिवस

विश्व अंगदान दिवस 13 अगस्त को विश्व स्तर पर और भारत में भी मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य अंगदान के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाना, लोगों को इसके लिए प्रेरित करना, और इससे जुड़े मिथकों को दूर करना है। यह दिन उन लोगों को सम्मानित करने का भी अवसर है जो अपने अंग दान करके दूसरों को नया जीवन देते हैं। अंगदान को "महादान" माना जाता है, क्योंकि यह किसी जरूरतमंद व्यक्ति को जीवन प्रदान करता है। यह अभियान लोगों को मृत्यु के बाद अपने अंग दान करने की प्रतिज्ञा लेने और परिवार के साथ इस निर्णय पर चर्चा करने के लिए प्रोत्साहित करता है। भारत में, मानव अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994 द्वारा अंग दान को नियंत्रित किया जाता है, और राष्ट्रीय अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण संगठन इस दिशा में जागरूकता बढ़ाने का कार्य करता है।

जीवन रक्षा और मानवता की सेवा

अंगदान का महत्व जीवन रक्षा और मानवता की सेवा में निहित है। एक अंग दाता अपने हृदय, गुर्दे, यकृत, फेफड़े, अग्न्याशय, और आंत जैसे महत्वपूर्ण अंगों को दान करके आठ से अधिक लोगों की जान बचा सकता है, जबकि ऊतक दान (जैसे कॉर्निया, त्वचा, हड्डी) 75 से अधिक लोगों के जीवन को बेहतर बना सकता है। भारत में हर साल लगभग 5 लाख लोग अंग विफलता के कारण मृत्यु का शिकार होते हैं, क्योंकि पर्याप्त अंग उपलब्ध नहीं होते। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, अंगों की मांग बढ़ने के पीछे पुरानी बीमारियां, खराब जीवनशैली, और बढ़ती आबादी जैसे कारण हैं। 

जीवन की गुणवत्ता में सुधार है

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अंगदान न केवल जीवन बचाता है, बल्कि प्राप्तकर्ताओं के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करता है, चिकित्सा लागत को कम करता है, और दाता के परिवार को यह सांत्वना देता है कि उनके प्रियजन की विरासत जीवित है। अंग दान सामाजिक एकजुटता और करुणा को बढ़ावा देता है। यह मिथकों को तोड़ने में मदद करता है, जैसे कि अंग दान से अंतिम संस्कार में बाधा या अस्पताल द्वारा कम उपचार की आशंका। अधिकांश धर्म अंग दान को दान और करुणा का कार्य मानते हैं। यह दिन लोगों को यह समझाने का अवसर देता है कि अंग दान एक सुरक्षित और सम्मानजनक प्रक्रिया है, जिसमें दाता के शरीर के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार किया जाता है।

अंगदान से सम्बंधित रोचक तथ्य

  • कोई भी व्यक्ति चाहे, वह किसी भी उम्र, जाति, धर्म और समुदाय का हों, वह अंगदान कर सकता है।
    अंग दान करने की कोई निश्चित उम्र नहीं होती है।
  • अंग दान करने का निर्णय उम्र के आधार पर नहीं किया जाता है, बल्कि यह निर्णय विशुद्ध चिकित्सा मनदंडों के आधार पर किया जाता है।
  • प्राकृतिक मृत्यु की स्थिति में कॉर्निया, हृदय वाल्व, त्वचा, और हड्डी जैसे ऊतकों का दान किया जा सकता हैं, लेकिन "मस्तिष्क की मृत्यु" होने की स्थिति में केवल यकृत, गुर्दे, आँत, फेफड़े, और अग्न्याशय का दान ही किया जा सकता है।
  • हृदय, अग्न्याशय, यकृत, गुर्दें और फेफड़ें जैसे अंगों का प्रत्यारोपण उन अंग प्राप्तकर्ताओं में किया जाता हैं, जिनके अंग असफल हो चुकें हैं, ताकि यह प्राप्तकर्ता सामान्य जीवनयापन कर सकें।
  • अठारह वर्ष से कम आयु के अंगदानकर्ताओं के लिए अंगदान करने से पहले अपने माता-पिता या अभिभावकों की सहमति प्राप्त करना आवश्यक होता हैं।
  • सक्रिय कैंसर, एचआईवी, मधुमेह, गुर्दे की बीमारी या हृदय की बीमारी जैसी गंभीर स्थितियों के होने पर अंगदान करने से बचना चाहिए। World Organ Donation Day | organ donation awareness | get healthy | get healthy body | global health emergency | Digital health care not 

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