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World TB Day 2025: सावधान! यह दिखें लक्षण तो तुरंत कराएं जांच, जानें टीबी के कारण और बचाव के उपाय

विश्व टीबी दिवस 2025 पर जानें ट्यूबरकुलोसिस के लक्षण, कारण और बचाव के उपाय। यह संक्रामक रोग फेफड़ों को प्रभावित करता है और समय पर इलाज जरूरी है। सही इलाज और जागरूकता से टीबी को हराया जा सकता है।

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Vibhoo Mishra
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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।

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टीबी (ट्यूबरक्लोसिस) एक संक्रामक बीमारी है, जो फेफड़ों सहित शरीर के अन्य अंगों को प्रभावित कर सकती है। यह बीमारी माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस बैक्टीरिया के संक्रमण के कारण होती है और खांसने-छींकने से हवा के जरिए फैल सकती है। हर साल लाखों लोग इस बीमारी की चपेट में आते हैं, लेकिन जागरूकता और समय पर इलाज से इससे बचा जा सकता है।

टीबी क्या है और कैसे फैलती है?

टीबी एक बैक्टीरियल संक्रमण है, जो मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करता है। संक्रमित व्यक्ति की खांसी या छींक से निकली सूक्ष्म बूंदों के संपर्क में आने से यह संक्रमण फैल सकता है। यह बीमारी कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों में तेजी से फैलती है।

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टीबी के प्रमुख कारण

संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आना – अगर आप किसी टीबी मरीज के पास लंबे समय तक रहते हैं, तो संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।

कमजोर इम्यून सिस्टम – एचआईवी/एड्स, डायबिटीज या अन्य गंभीर बीमारियों से ग्रसित लोगों में टीबी होने की संभावना अधिक होती है।

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अस्वच्छ जीवनशैली – भीड़भाड़ वाले इलाके, खराब पोषण और स्वच्छता की कमी टीबी संक्रमण के जोखिम को बढ़ाते हैं।

धूम्रपान और शराब का सेवन – ये आदतें फेफड़ों को कमजोर कर देती हैं, जिससे संक्रमण तेजी से फैल सकता है।

टीबी के सामान्य लक्षण

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  • लगातार दो हफ्ते से ज्यादा खांसी
  • खांसते समय खून आना
  • बिना किसी वजह के वजन घटना
  • रात में अधिक पसीना आना
  • बुखार और ठंड लगना
  • थकान और कमजोरी महसूस होना

अगर ये लक्षण नजर आएं, तो तुरंत डॉक्टर से जांच करानी चाहिए।

कैसे करें टीबी की पहचान?

टीबी की पुष्टि के लिए निम्नलिखित टेस्ट किए जाते हैं:

  • स्किन टेस्ट (मंटू टेस्ट) – इससे टीबी संक्रमण का पता चलता है।
  • एक्स-रे और सीटी स्कैन – फेफड़ों में संक्रमण की स्थिति जांचने के लिए।
  • बलगम परीक्षण – बैक्टीरिया की मौजूदगी की पुष्टि करने के लिए।
  • ब्लड टेस्ट – संक्रमण की स्थिति को समझने के लिए।

टीबी का इलाज और बचाव के उपाय

टीबी का इलाज

  • टीबी पूरी तरह ठीक हो सकती है, लेकिन इसके लिए 6-9 महीने तक लगातार दवाएं लेनी होती हैं।
  • डॉक्टर द्वारा दी गई दवाओं का कोर्स अधूरा न छोड़ें, वरना संक्रमण दोबारा उभर सकता है।
  • मल्टी-ड्रग रेसिस्टेंट टीबी (MDR-TB) का खतरा तब बढ़ता है जब मरीज दवा को बीच में छोड़ देता है।

बचाव के लिए अपनाएं ये उपाय

  • टीबी मरीज से सुरक्षित दूरी बनाए रखें।
  • संक्रमित व्यक्ति को मास्क पहनने की सलाह दें।
  • स्वस्थ आहार और मजबूत इम्यून सिस्टम बनाए रखें।
  • खांसते या छींकते समय मुंह ढकें।
  • बीसीजी वैक्सीन बच्चों को जरूर दिलाएं।
  • भीड़भाड़ वाले इलाकों में सावधानी बरतें।

टीबी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें

  • भारत दुनिया में टीबी प्रभावित देशों में सबसे आगे है।
  • सरकार ने राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP) चलाया है, जिससे 2025 तक टीबी खत्म करने का लक्ष्य रखा गया है।
  • आयुष्मान भारत योजना के तहत टीबी मरीजों को मुफ्त इलाज और पोषण सहायता दी जाती है।

 

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