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AI क्रांति पड़ गई भारी : टैरिफ नीति को बना रहा मजाक! ट्रंप की साख पर सवाल!

डोनाल्ड ट्रंप ने Google को चुनौती देने के लिए एक नया AI सर्च इंजन लॉन्च किया, लेकिन यह AI उनकी ही नीतियों की आलोचना कर रहा है। ट्रंप का यह AI सर्च इंजन उनकी टैरिफ नीतियों के नकारात्मक प्रभावों को उजागर कर रहा है।

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Ajit Kumar Pandey
AI क्रांति पड़ गई भारी : टैरिफ नीति को बना रहा मजाक! ट्रंप की साख पर सवाल! | यंग भारत न्यूज

AI क्रांति पड़ गई भारी : टैरिफ नीति को बना रहा मजाक! ट्रंप की साख पर सवाल! | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर एक नया AI-आधारित सर्च इंजन 'Truth Search AI' लॉन्च किया है। लेकिन, यह AI ट्रंप के फैसलों के खिलाफ ही बोल रहा है। यह AI ट्रंप की टैरिफ नीति की आलोचना कर रहा है, जिससे खुद ट्रंप की साख पर सवाल खड़े हो गए हैं। यह कहानी बताती है कि कैसे टेक्नोलॉजी और राजनीति का गठजोड़ कभी-कभी अपने ही जनक के लिए मुसीबत बन सकता है।

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का हमेशा से मानना रहा है कि बड़ी टेक कंपनियां खासकर गूगल उनके विचारों और नीतियों को दबाती हैं। इसी सोच के साथ उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'ट्रुथ सोशल' के लिए एक नया AI सर्च इंजन लॉन्च किया है। इसका नाम 'Truth Search AI' रखा गया है। ट्रंप का लक्ष्य साफ है: Google जैसे तकनीकी दिग्गजों को टक्कर देना और एक ऐसा डिजिटल स्पेस बनाना, जहां उनके समर्थक स्वतंत्र रूप से जानकारी पा सकें। इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के लिए, ट्रंप की कंपनी TMTG ने सैन फ्रांसिस्को की AI कंपनी 'Perplexity' के साथ हाथ मिलाया है।

यह नया AI सर्च इंजन एक 'Answer Engine' की तरह काम करता है, जो सीधे और सटीक जवाब देता है। यह अपने जवाबों के सोर्स भी बताता है, जिससे पारदर्शिता का दावा किया जा सके। अभी यह सुविधा केवल ट्रुथ सोशल की वेबसाइट पर उपलब्ध है, लेकिन जल्द ही इसे मोबाइल ऐप्स पर भी लाने की योजना है। कंपनी का कहना है कि यह यूजर्स को तेज और सही जानकारी देगा, जिससे उनका अनुभव बेहतर होगा।

जब ट्रंप का AI उनके ही फैसलों पर सवाल उठाने लगा

सब कुछ योजना के अनुसार चल रहा था, लेकिन एक चौंकाने वाली बात सामने आई। 404मीडिया द्वारा किए गए एक परीक्षण में यह बात उजागर हुई कि ट्रंप का AI सर्च इंजन पूरी तरह से एकतरफा नहीं है। जब इस AI से अमेरिकी अर्थव्यवस्था और ट्रंप की टैरिफ नीतियों के बारे में सवाल किए गए, तो जवाबों में अर्थव्यवस्था की धीमी गति और टैरिफ के नकारात्मक प्रभावों का जिक्र किया गया।

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यह अपने आप में एक बड़ा विरोधाभास है। ट्रंप का बनाया AI सर्च इंजन, जो उनके विचारों को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया था, उनकी ही नीतियों की आलोचना कर रहा है। यह दिखाता है कि भले ही इस AI को एक खास दिशा में मोड़ने की कोशिश की गई हो, लेकिन इसकी प्रोग्रामिंग में निष्पक्षता का कुछ अंश बाकी है। यह घटना सोशल मीडिया और AI की दुनिया में एक बड़ा सवाल खड़ा करती है: क्या AI को पूरी तरह से राजनीतिक रंग में रंगा जा सकता है?

Perplexity की सफाई और सोर्स का खेल

इस विरोधाभास के बाद, Perplexity ने अपनी स्थिति साफ की। Perplexity ने बताया कि Truth Social उनके 'Sonar API' का इस्तेमाल कर रहा है, जो क्लाइंट को अपने लिए सोर्सेज चुनने की सुविधा देता है। इसका मतलब है कि Truth Social ने खुद ही अपने सर्च इंजन के लिए कुछ खास सोर्सेज चुने हैं, जो Perplexity के पब्लिक सर्च इंजन से अलग हैं।

हालांकि, UAE की वेबसाइट 'द नेशनल' का दावा है कि Truth Search पर मिलने वाले अधिकतर जवाब Fox News और Epoch Times जैसे रूढ़िवादी (conservative) मीडिया सोर्सेज पर आधारित हैं। इसका मतलब यह है कि भले ही ट्रंप का AI कहीं-कहीं निष्पक्ष लग रहा हो, लेकिन इसकी जड़ें ट्रंप समर्थक मीडिया में गहराई से जमी हुई हैं। इस पार्टनरशिप के वित्तीय पहलू अभी सार्वजनिक नहीं किए गए हैं, जिससे कई और सवाल उठ रहे हैं।

क्या ट्रंप की रणनीति उन्हीं पर भारी पड़ी?

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यह घटना एक महत्वपूर्ण सबक सिखाती है। राजनीति में भले ही आप अपनी पसंद की जानकारी और तथ्यों को फैलाना चाहें, लेकिन तकनीक और AI की दुनिया उतनी सीधी नहीं है। एक AI सर्च इंजन को पूरी तरह से नियंत्रित करना मुश्किल हो सकता है, खासकर जब उसका आधार सार्वजनिक डेटा और जानकारी हो। ट्रंप का यह कदम, जो गूगल को चुनौती देने के लिए था, अब उन्हीं के लिए एक अजीब स्थिति पैदा कर रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि डोनाल्ड ट्रंप और उनकी टीम इस विरोधाभास से कैसे निपटते हैं और क्या वे अपने AI को और अधिक 'नियंत्रित' करने की कोशिश करते हैं।

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