नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क: योग गुरु
बाबा रामदेव की संस्था
पतंजलि योगपीठ और नेपाल सरकार के बीच हुई एक जमीन खरीद को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। इस जमीन सौदे में कथित भ्रष्टाचार के चलते नेपाल के पूर्व पीएम और सीपीएन यूनिफाइड सोशलिस्ट पार्टी के अध्यक्ष माधव कुमार नेपाल को न केवल कानूनी जांच का सामना करना पड़ रहा है, बल्कि उनकी सांसद सदस्यता भी समाप्त हो गई है।नेपाल की भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसी CIAA (कमिशन फॉर इन्वेस्टिगेशन ऑफ एब्यूज ऑफ अथॉरिटी) ने गुरुवार को माधव नेपाल समेत 94 लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया।
भूमि अधिनियम में विशेष छूट पर सवाल
CIAA के अनुसार उस समय माधव नेपाल की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक ने भूमि अधिनियम में छूट देकर इस सौदे को मंजूरी दी थी। सिर्फ दो महीने बाद एक और सरकारी फैसले से उक्त जमीन को व्यावसायिक उपयोग के लिए भी खोल दिया गया। एजेंसी का कहना है कि इस प्रक्रिया में सरकारी नीति का दुरुपयोग हुआ, जिससे सरकार को करीब 11.6 करोड़ भारतीय रुपये का नुकसान हुआ।
पूर्व मंत्री से लेकर अधिकारी और पतंजलि नेपाल के निदेशक तक आरोपी
इस केस में पूर्व कानून मंत्री प्रेम बहादुर सिंह, पूर्व भूमि सुधार मंत्री दंबर श्रेष्ठ, पूर्व मुख्य सचिव माधव प्रसाद घिमिरे और पतंजलि (नेपाल) के निदेशक सलीग्राम सिंह सहित कुल 94 लोगों को आरोपी बनाया गया है। हालांकि, बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण का नाम इस आरोपपत्र में शामिल नहीं है।
संसद से स्वतः निष्कासन
नेपाल के कानून के मुताबिक किसी भी सार्वजनिक पद पर रहते व्यक्ति पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते ही तत्काल निलंबन होता है। इसी कारण माधव नेपाल की सांसद सदस्यता स्वतः समाप्त हो गई है। माधव कुमार नेपाल ने इन आरोपों को राजनीतिक साजिश बताया है। उन्होंने कहा कि मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है। मैं कानूनी प्रक्रिया का सामना करने को तैयार हूं। यह सब प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली द्वारा रची गई साजिश है, जो मुझे पूरी तरह खत्म करना चाहते हैं। Ramdev Court News