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अमेरिका को भारत का 'करारा जवाब': Russia-China-Pakistan भी क्यों आए तालिबान के साथ? | यंग भारत न्यूज Photograph: (YBN)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।भारत ने अफगानिस्तान के एक बेहद अहम मामले में अपने धुर-विरोधी माने जाने वाले पाकिस्तान और चीन के साथ मिलकर एक संयुक्त बयान जारी किया है, जिसने वैश्विक मंच पर सबको चौंका दिया है। यह बयान अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बगराम एयरबेस को वापस लेने की मांग के खिलाफ है। इस कदम को भारत की अफगानिस्तान नीति में एक बड़ा बदलाव और तालिबान के प्रति खुली कूटनीतिक पहल माना जा रहा है।
मॉस्को में भारत, रूस, चीन और पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के लिए एक दुर्लभ एकता दिखाई है। इन देशों ने मिलकर अमेरिका की बगराम एयरबेस वापस लेने की मांग का कड़ा विरोध किया है, इसे क्षेत्रीय शांति के खिलाफ बताया। यह चौंकाने वाला कदम दिखाता है कि नई दिल्ली अब तालिबान के साथ अपने संबंधों को पर्दे के पीछे से निकालकर खुले मंच पर ले आई है, जिससे अमेरिका को सीधा झटका लगा है।
कैसे पलटा भारत का रुख? बगराम एयरबेस पर क्यों दिया US को झटका!
भारत ने हमेशा अफगानिस्तान की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का समर्थन किया है। लेकिन, इस बार मॉस्को में आयोजित 'मॉस्को फॉर्मेट कंसल्टेशन' की बैठक में भारत का रुख साफ तौर पर अमेरिकी हितों के खिलाफ दिखा।
भारत ने रूस, चीन, पाकिस्तान और अन्य मध्य एशियाई देशों के साथ एक संयुक्त बयान का समर्थन किया, जिसमें कहा गया कि "अफगानिस्तान और पड़ोसी देशों में अपने सैन्य बुनियादी ढांचे को तैनात करने के देशों के प्रयास अस्वीकार्य हैं, क्योंकि यह क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के हितों की पूर्ति नहीं करता है।"
हालांकि, इस बयान में सीधे तौर पर बगराम एयरबेस का नाम नहीं लिया गया, पर इसका सीधा इशारा डोनाल्ड ट्रंप की उस मांग की ओर था, जिसमें उन्होंने तालिबान सरकार से रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इस एयरबेस को वापस अमेरिका को सौंपने को कहा था।
Joint statement by Participants of the #Moscow Format Consultations on #Afghanistan
— saurabh sharma (@saurabh1531) October 7, 2025
"They called unacceptable the attempts by countries to deploy their military infrastructure in Afghanistan and neighboring states"
This comes in response to #Trumps claim on #bagramairbasepic.twitter.com/4XZCt44Q6u
क्षेत्रीय स्थिरता का नया 'मॉस्को फार्मूला'
यह घटनाक्रम महज एक बयान नहीं है, बल्कि एक व्यापक कूटनीतिक बदलाव का संकेत है। मॉस्को फॉर्मेट की यह सातवीं बैठक थी, जिसमें अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी ने भी पहली बार प्रतिनिधिमंडल के सदस्य के रूप में भाग लिया। इस बैठक में भारत, ईरान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज़्बेकिस्तान के प्रतिनिधियों के साथ पाकिस्तान और चीन भी मौजूद थे।
यह पहली बार है जब भारत और पाकिस्तान जैसे धुर-विरोधी एक ही मंच से अफगानिस्तान के एक संवेदनशील मुद्दे पर अमेरिका के विरुद्ध एक साझा रुख अपना रहे हैं। यह क्षेत्रीय शक्तियों द्वारा अपने पड़ोस में विदेशी सैन्य हस्तक्षेप को नकारने का एक स्पष्ट संदेश है। क्या यह नया 'मॉस्को फार्मूला' एशिया की भू-राजनीति को बदल कर रख देगा?
क्यों अहम है बगराम एयरबेस?
बगराम एयरबेस अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना का सबसे बड़ा केंद्र रहा था। 20 साल तक चले अफगान युद्ध में यह बेस अमेरिकी सैन्य अभियानों का गढ़ था। 2021 में अमेरिका ने तालिबान के साथ एक समझौते के बाद यहां से अपनी सेना हटा ली थी, जिसके बाद तालिबान ने पूरे देश पर नियंत्रण कर लिया।
रणनीतिक महत्व: बगराम की भौगोलिक स्थिति इसे पूरे क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण सैन्य अड्डा बनाती है।
ट्रंप की मांग: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में तालिबान से इस एयरबेस को वापस वाशिंगटन को सौंपने की मांग की थी, साथ ही चेतावनी दी थी कि ऐसा न करने पर "बुरे परिणाम" होंगे।
तालिबान का जवाब: तालिबान के प्रवक्ता ज़बीहुल्लाह मुजाहिद ने इस मांग को सिरे से खारिज करते हुए कहा, "अफगान किसी भी परिस्थिति में अपनी जमीन किसी को भी सौंपने की अनुमति नहीं देंगे।"
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भारत के लिए 'तालिबान कार्ड' क्यों जरूरी?
भारत ने भले ही अभी तक तालिबान सरकार को औपचारिक मान्यता नहीं दी है, लेकिन मानवीय सहायता और तकनीकी मिशनों के माध्यम से उसने काबुल के साथ एक व्यावहारिक संबंध बनाए रखा है। खुले तौर पर अमेरिकी विरोध में तालिबान का पक्ष लेना भारत के लिए एक साहसी कदम है।
इसके पीछे कई अहम कारण हो सकते हैं...
क्षेत्रीय सुरक्षा: भारत की सबसे बड़ी चिंता अफगानिस्तान से उत्पन्न होने वाली आतंकवाद की चुनौती है। तालिबान के साथ खुलकर बात करने से नई दिल्ली को अपनी सुरक्षा हितों को साधने में मदद मिल सकती है।
चीनी और पाकिस्तानी प्रभाव का संतुलन: भारत, अफगानिस्तान में चीन और पाकिस्तान के बढ़ते प्रभाव को कम करने के लिए खुद को एक विश्वसनीय क्षेत्रीय भागीदार के रूप में स्थापित करना चाहता है। इस संयुक्त बयान के बावजूद, भारत अपनी स्वतंत्र विदेश नीति को कायम रखते हुए आगे बढ़ रहा है।
विकास परियोजनाएं: भारत ने अफगानिस्तान में $3 बिलियन से अधिक का निवेश किया है। इन परियोजनाओं को सुरक्षित रखने के लिए नए प्रशासन के साथ मजबूत संबंध जरूरी हैं।
मुत्ताकी की भारत यात्रा: यह कूटनीतिक कदम तब उठाया गया है जब तालिबान सरकार के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी की संभावित भारत यात्रा की खबरें हैं। यह दिखाता है कि भारत अब तालिबान के साथ अपने संबंधों को एक नए स्तर पर ले जाने के लिए तैयार है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने भी मुत्ताकी की यात्रा के लिए प्रतिबंधों में विशेष छूट दी है।
अमेरिका की प्रतिक्रिया और भविष्य की दिशा
भारत का यह स्पष्ट रुख भारत-अमेरिका के द्विपक्षीय संबंधों के लिए एक संवेदनशील मोड़ साबित हो सकता है। दोनों देश रणनीतिक साझेदार हैं, लेकिन अफगानिस्तान के मुद्दे पर उनके हितों में विरोधाभास साफ दिखता है।
अमेरिका एक बार फिर अफगानिस्तान में अपनी सैन्य उपस्थिति चाहता है, जबकि क्षेत्रीय शक्तियां इसे संप्रभुता और शांति के लिए खतरा मानती हैं।
भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि क्षेत्रीय शांति और अपने दीर्घकालिक रणनीतिक हित उसके लिए किसी भी अन्य गठबंधन से अधिक महत्वपूर्ण हैं।
यह घटनाक्रम एशिया की बदलती भू-राजनीति को दर्शाता है, जहां क्षेत्रीय शक्तियां अब अपने हितों के लिए एकजुट हो रही हैं, भले ही इसके लिए उन्हें पुरानी शत्रुता को एक तरफ रखना पड़े। बगराम एयरबेस पर दिया गया यह साझा जवाब अमेरिका के लिए एक स्पष्ट संदेश है: अफगानिस्तान का भविष्य अब अफगान लोगों और उनके क्षेत्रीय पड़ोसियों के हाथों में होगा।
ये हैं 5 बड़ी बातें जिसने सबकुछ बदल डाला
दुर्लभ एकता: भारत ने रूस, चीन और पाकिस्तान के साथ मिलकर अमेरिका की बगराम एयरबेस की मांग का विरोध किया।
मॉस्को फॉर्मेट: यह विरोध मॉस्को फॉर्मेट कंसल्टेशन की सातवीं बैठक में एक संयुक्त बयान के माध्यम से दर्ज किया गया।
संयुक्त बयान: क्षेत्रीय देशों ने अफगानिस्तान में विदेशी सैन्य बुनियादी ढांचे की तैनाती को "अस्वीकार्य" करार दिया।
कूटनीतिक बदलाव: भारत का यह कदम तालिबान के प्रति एक खुली और सक्रिय नीति का संकेत है।
मुत्ताकी की यात्रा: यह विरोध तालिबान विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी की संभावित भारत यात्रा से ठीक पहले आया है।
Moscow Format 2025 | Bagram Base Row | India Stands With Taliban | Trump Afghan Setback