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बांग्लादेश में हिंदुओं के घरों पर हमला, मानवाधिकार संगठन ने जताई चिंता

बांग्लादेश में हाल ही में हिंदू समुदाय के घरों और संपत्तियों पर हमलों की घटनाएं सामने आई हैं। इन घटनाओं पर अंतरराष्ट्रीय और स्थानीय मानवाधिकार संगठनों ने गहरी चिंता व्यक्त की है।

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Ajit Kumar Pandey
बांग्लादेश में हिंदुओं के घरों पर हमला, मानवाधिकार संगठन ने जताई चिंता | यंग भारत न्यूज

बांग्लादेश में हिंदुओं के घरों पर हमला, मानवाधिकार संगठन ने जताई चिंता | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google File Photo)

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ढाका, (आईएएनएस)। बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर बढ़ते हमलों को लेकर ह्यूमन राइट्स कांग्रेस फॉर बांग्लादेश माइनॉरिटीज (एचआरसीबीएम) ने गंभीर चिंता जताई है। संगठन के अनुसार, रंगपुर जिले के गंगाचरा उपजिला स्थित अलदादपुर गांव में 27 और 28 जुलाई को उग्र भीड़ ने कम से कम 21 हिंदू परिवारों के घरों पर हमला किया, लूटपाट की और संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया।

मानवाधिकार संगठन ने बताया कि एक 17 वर्षीय हिंदू लड़के ने कथित रूप से इस्लाम के खिलाफ फेसबुक पर पोस्ट किया था, जिसके बाद उसे हिरासत में ले लिया गया। हालांकि, इसके बाद भीड़ ने पूरे इलाके में उत्पात मचाया।

एचआरसीबीएम के बयान में कहा गया, "यह महज गुस्से की भावना नहीं थी, बल्कि यह एक संगठित हमला था जो लूटपाट, भय और विस्थापन की भावना से प्रेरित था।"

पुलिस भी नहीं संभाल पाई हालात

स्थानीय लोगों के अनुसार, हिंसा के दौरान 14 से 21 घरों पर हमला हुआ। पीड़ितों ने बताया कि पुलिस या तो देर से पहुंची या फिर हालात को संभालने में असमर्थ रही।

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एक स्थानीय किसान कमलकांत रॉय ने बताया, "मैं पूरी रात नहीं सो पाया। सुबह होते ही हम चावल, बिस्तर, बकरी और जो कुछ भी था, समेटकर गांव छोड़ने को मजबूर हो गए। हमें नहीं पता कि लौटने पर घर मिलेगा भी या नहीं।"

पुलिस के अनुसार, 14 घरों पर हमला हुआ, जबकि स्थानीय जनप्रतिनिधि और निवासी दावा कर रहे हैं कि कम से कम 21 घरों में लूटपाट हुई और कई मवेशियों को या तो चुराया गया या फिर बेचा गया।

सोची समझी साजिश से किया हमला

रविवार को दोपहर की नमाज के बाद खीलालगंज बाज़ार के पास बड़ी संख्या में लोग एकत्र हुए और हिंदू बहुल क्षेत्र की ओर मार्च किया। भीड़ ने धार्मिक नारे लगाते हुए हमला किया, कीमती सामान लूटे और लोगों को डराया।

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स्थानीय यूनियन सदस्य परेश चंद्रा के अनुसार, "यह कोई अचानक हुआ हमला नहीं था। यह एक सोची-समझी कार्रवाई थी। इन परिवारों को निशाना बनाया गया, उनके घर खाली करवा दिए गए और उनकी सुरक्षा की भावना को तोड़ दिया गया।"

घटना के बाद क्षेत्र में पुलिस और सेना की तैनाती की गई है। हिंसा रोकने की कोशिश के दौरान एक पुलिस कांस्टेबल गंभीर रूप से घायल हो गया।

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