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Bagram Air Base : डोनाल्ड ट्रंप को बड़ा झटका, अफगानिस्तान-चीन ने दिखाए तेवर | यंग भारत न्यूज Photograph: (YBN)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को एक बड़ा झटका लगा है जब चीन और तालिबान ने बगराम एयरबेस को वापस लेने के उनके प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। ट्रंप का मानना है कि यह एयरबेस चीन के परमाणु केंद्रों पर निगरानी रखने के लिए महत्वपूर्ण है। चीन और तालिबान, दोनों ने इस प्रस्ताव को यह कहते हुए ठुकरा दिया है कि यह क्षेत्रीय शांति और संप्रभुता के खिलाफ है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि वे अफगानिस्तान के बगराम एयरबेस पर दोबारा कब्जा चाहते हैं। यह वही एयरबेस है जिसे अमेरिका ने 2021 में खाली कर दिया था, जिसके तुरंत बाद तालिबान ने पूरे देश पर कब्जा जमा लिया।
ट्रंप ने दावा किया कि इस मामले पर अमेरिका ने चीन और तालिबान से बात की है। उनका तर्क है कि यह एयरबेस चीन के परमाणु हथियार बनाने वाले स्थानों के पास है और इसलिए अमेरिका के लिए रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है।
चीन और तालिबान का साफ इनकार
ट्रंप के बयान के बाद चीन और तालिबान दोनों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। चीन ने इस प्रस्ताव को खारिज करते हुए कहा है कि यह क्षेत्र में तनाव और टकराव को बढ़ाएगा, जिसका चीन कभी समर्थन नहीं करेगा। वहीं, तालिबान के अधिकारियों ने भी साफ-साफ कहा कि अफगानिस्तान कभी भी विदेशी सैन्य उपस्थिति को स्वीकार नहीं करेगा। उनका कहना है कि इस तरह के प्रस्ताव को वे पहले भी दोहा वार्ता में खारिज कर चुके हैं और भविष्य में भी ऐसा ही करेंगे।
अमेरिका के लिए क्यों है बगराम एयरबेस इतना खास?
बगराम एयरबेस सिर्फ एक हवाई अड्डा नहीं है, बल्कि अमेरिका के लिए एक रणनीतिक चौकी है। यहां से अमेरिका पूरे मध्य एशिया पर नजर रख सकता था।
निगरानी: अमेरिका यहां से ईरान, भारत और चीन जैसे देशों की गतिविधियों पर आसानी से नजर रख सकता है।
सामरिक शक्ति: यह एयरबेस अमेरिका को इस पूरे क्षेत्र में सैन्य हस्तक्षेप करने और दबाव बनाने की क्षमता देता था।
दबदबा: करीब 20 साल तक इस एयरबेस पर अमेरिकी कब्जे ने पूरे एशिया में अमेरिकी दबदबा बनाए रखा।
चीन से मुकाबला: ट्रंप का यह प्रस्ताव सीधे तौर पर चीन के बढ़ते प्रभाव को चुनौती देने की एक कोशिश मानी जा रही है।
2021 में अमेरिका की वापसी के बाद तालिबान ने इस पर कब्जा कर लिया और आज भी यह उन्हीं के नियंत्रण में है। ट्रंप की कोशिशें बताती हैं कि अमेरिका अभी भी इस महत्वपूर्ण रणनीतिक बिंदु पर अपना नियंत्रण वापस पाने की चाह रखता है।
फिलहाल, ट्रंप के प्रस्ताव को चीन और तालिबान ने खारिज कर दिया है। यह दिखाता है कि अफगानिस्तान में अब अमेरिकी प्रभाव पहले जैसा नहीं रहा। यह स्थिति न केवल अमेरिका के लिए, बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए एक नई भू-राजनीतिक तस्वीर पेश करती है, जहां चीन और तालिबान जैसे खिलाड़ी मिलकर अमेरिकी नीतियों को चुनौती दे रहे हैं।
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