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बांग्लादेशी कट्टरता ने खत्म किया लोकतंत्र! खूनी झड़प में 4 की मौत, गृहयुद्ध की आहट?

बांग्लादेश के गोपालगंज में हुई खूनी झड़प ने राजनीतिक उबाल ला दिया है। NCP रैली पर हमले में 4 की मौत और कई घायल हुए। अंतरिम सरकार के मोहम्मद यूनुस ने अवामी लीग को दोषी ठहराया, क्या बांग्लादेश गृहयुद्ध की कगार पर है?

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Ajit Kumar Pandey
बांग्लादेशी कट्टरता ने खत्म किया लोकतंत्र! खूनी झड़प में 4 की मौत, गृहयुद्ध की आहट? | यंग भारत न्यूज

बांग्लादेशी कट्टरता ने खत्म किया लोकतंत्र! खूनी झड़प में 4 की मौत, गृहयुद्ध की आहट? | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।बांग्लादेश के गोपालगंज में बुधवार 16 जुलाई 2025 को हुई हिंसक झड़प में चार लोगों की मौत हो गई है। यूनुस की धार्मिक कट्टरता वाली अंतरिम सरकार सरकार के संरक्षण में छात्रों के नेतृत्व वाली नेशनल सिटिजन पार्टी (NCP) की रैली के दौरान हुए इस खूनी संघर्ष ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के गढ़ में राजनीतिक तनाव को चरम पर पहुंचा दिया है। अब एनसीपी का खात्मा करने की बहस तेज हो गई है ताकि लोकतंत्र की बची खुची विरासत को नेस्तनाबूत की जा सके। 

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बता दें कि गोपालगंज, जिसे बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान के गृहनगर के रूप में जाना जाता है, अचानक हिंसा की आग में जल उठा। नेशनल सिटिजन पार्टी (NCP) की रैली, जो छात्रों के नेतृत्व में शांतिपूर्ण ढंग से शुरू हुई थी, अचानक ही संघर्ष में बदल गई। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, शेख हसीना के सैकड़ों समर्थक पुलिस से भिड़ गए, जिसके बाद स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई। इस झड़प में चार लोगों की जान चली गई, जबकि नौ अन्य घायल हुए, जिन्हें गोली लगने की बात कही जा रही है। यह घटना सिर्फ एक रैली पर हमला नहीं, बल्कि दशकों से चल रही राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता का परिणाम है।

यूनुस की सरकार के संरक्षण में हिंसा का आरोप?

हालांकि काफी दबाव के बाद अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने गोपालगंज में कर्फ्यू लगा दिया है। साथ ही यूनुस ने अपनी सोशल साइट एक्स X पर किए पोस्ट में इस हिंसा के लिए शेख हसीना की अवामी लीग और उसके छात्र संगठन को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया है। यह आरोप-प्रत्यारोप का खेल बांग्लादेश की अस्थिर राजनीतिक स्थिति को और जटिल बना रहा है। जबकि पूरी दुनिया जानती है कि कैसे एक लोकतांत्रिक सरकार का तख्ता पलट किया गया है। 

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कट्टर इस्लामिक छात्र संगठनों ने चलाया था हिंसक आंदोलन, हिंदुओं को बनाया निशाना

गत वर्ष जुलाई-अगस्त में छात्रों के नेतृत्व में हुए हिंसक आंदोलन ने ही शेख हसीना की अवामी लीग सरकार को अपदस्थ किया था। इसके बाद यही कट्टर इस्लामिक संगठनों ने पूरे बांग्लादेश में चुन चुनकर हिंदुओं का नरसंहार बड़े पैमाने पर किया और अभी भी जारी है। इसी आंदोलन के कट्टर इस्लामिक छात्र नेताओं ने इस साल फरवरी में NCP का गठन किया। ऐसे में गोपालगंज में हुई झड़प को पिछले साल के घटनाक्रम से अलग करके नहीं देखा जा सकता। यह सीधे तौर पर अवामी लीग और NCP के बीच बढ़ती दुश्मनी का परिणाम है। स्थानीय मीडिया और चश्मदीदों के अनुसार, प्रदर्शनकारियों की पुलिस और सुरक्षा बलों के साथ लाठियों और ईंटों से झड़प हुई, जिसमें कई वाहनों को भी नुकसान पहुंचा।

NCP का आक्रोश: क्या न्याय मिलेगा या बदले की आग?

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NCP के संयोजक नाहिद इस्लाम ने अपनी रैली पर हुए हमले की कड़ी निंदा की है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि उन्हें न्याय नहीं मिला, तो उनकी पार्टी गोपालगंज को 'मुजीबवाद से मुक्ति' दिलाने के लिए खुद आगे आएगी। यह बयान बताता है कि NCP इस घटना को हल्के में लेने को तैयार नहीं है। यह आने वाले दिनों में और अधिक राजनीतिक अशांति का संकेत हो सकता है।

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