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"बांग्लादेश में न्यायिक भूचाल : पूर्व चीफ जस्टिस को अदालत ने सुनाई जेल की सज़ा"

बांग्लादेश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एबीएम खैरुल हक को हत्या के आरोप में जेल भेजा गया है। जत्राबाड़ी में छात्र कार्यकर्ता अब्दुल कैयूम अहद की हत्या के मामले में ढाका की अदालत ने यह बड़ा फैसला सुनाया, जिसने देश में हलचल मचा दी है।

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Ajit Kumar Pandey

"बांग्लादेश में न्यायिक भूचाल : पूर्व चीफ जस्टिस को अदालत ने सुनाई जेल की सज़ा" | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।बांग्लादेश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एबीएम खैरुल हक को हत्या के आरोप में जेल भेज दिया गया है। जत्राबाड़ी में छात्र कार्यकर्ता की हत्या मामले में ढाका की अदालत ने यह बड़ा फैसला सुनाया, जिसने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया है। यह खबर बांग्लादेश के न्यायिक इतिहास में एक अभूतपूर्व घटना मानी जा रही है।

बांग्लादेश में एक बड़ा भूचाल आ गया है। देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश, एबीएम खैरुल हक, जिन्हें कभी न्यायपालिका का सर्वोच्च चेहरा माना जाता था, अब हत्या के आरोपों में सलाखों के पीछे हैं। ढाका की एक अदालत ने उन्हें जत्राबाड़ी पुलिस स्टेशन के पास हुए एक हिंसक आंदोलन के दौरान छात्र कार्यकर्ता अब्दुल कैयूम अहद की गोली मारकर हत्या के मामले में जेल भेज दिया है। यह खबर ना सिर्फ बांग्लादेश बल्कि दुनियाभर के कानूनी और राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बनी हुई है।

यह मामला तब और भी ज़्यादा संवेदनशील हो जाता है, जब हम यह सोचते हैं कि जिस व्यक्ति ने 2010 से 2011 तक देश के 19वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यभार संभाला था, आज वही व्यक्ति हत्या जैसे जघन्य अपराध के आरोपों का सामना कर रहा है। उनकी गिरफ्तारी के समय उन्हें हथकड़ी, हेलमेट और बुलेटप्रूफ जैकेट पहनाकर कोर्ट में पेश किया गया, जो इस मामले की गंभीरता को और उजागर करता है। क्या वाकई बांग्लादेश में कानून इतना सख्त हो गया है कि पूर्व न्यायाधीशों को भी बख्शा नहीं जा रहा?

जानिए आखिर पूरा मामला क्या है?

दरअसल, यह मामला जत्राबाड़ी क्षेत्र में हुए एक हिंसक प्रदर्शन से जुड़ा है। पुलिस के अनुसार, इस प्रदर्शन के दौरान अब्दुल कैयूम अहद नामक एक छात्र कार्यकर्ता की गोली लगने से मौत हो गई थी। जांच के बाद इस हत्या का आरोप सीधे तौर पर खैरुल हक पर लगाया गया है। हालांकि, आरोपों की प्रकृति और उनके पीछे के सटीक कारणों को लेकर अभी भी कई सवाल अनुत्तरित हैं। क्या यह व्यक्तिगत दुश्मनी थी या किसी बड़े राजनीतिक षड्यंत्र का हिस्सा?

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यह घटना बांग्लादेश की न्याय प्रणाली के लिए एक बड़ी परीक्षा है। एक तरफ जहाँ यह दिखाता है कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है, वहीं दूसरी तरफ यह पूर्व न्यायाधीशों की सुरक्षा और उनके कार्यकाल के दौरान के फैसलों पर भी सवाल खड़े करता है। इस मामले में आगे की सुनवाई और जांच से ही सच्चाई सामने आएगी।

न्यायिक इतिहास में अभूतपूर्व घटना, लोग हैरान

बांग्लादेश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी पूर्व मुख्य न्यायाधीश को हत्या के आरोप में जेल भेजा गया हो। यह दर्शाता है कि न्यायिक जवाबदेही का दायरा अब शीर्ष पदों तक भी पहुंच गया है। इस घटना से देश की राजनीति और न्यायपालिका में हड़कंप मच गया है। लोग हैरान हैं कि आखिर कैसे एक व्यक्ति जिसने कभी न्याय का सर्वोच्च आसन संभाला था, आज खुद आरोपों के कटघरे में खड़ा है।

खैरुल हक की गिरफ्तारी और न्यायिक हिरासत में भेजने के बाद अब इस मामले की गहन जांच की उम्मीद है। पुलिस और अभियोजन पक्ष के सामने यह साबित करने की चुनौती होगी कि पूर्व न्यायाधीश का इस हत्या में सीधा हाथ था। 

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दूसरी ओर, खैरुल हक के वकील निश्चित रूप से उनके बचाव में मजबूत दलीलें पेश करेंगे। आने वाले दिन इस मामले के लिए बेहद महत्वपूर्ण होंगे, क्योंकि इससे बांग्लादेश की न्याय व्यवस्था की दिशा भी तय होगी। क्या यह फैसला एक नजीर बनेगा या फिर सिर्फ एक अपवाद साबित होगा?

फिलहाल, पूरा देश इस घटना पर करीब से नजर बनाए हुए है। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह मामला किस दिशा में आगे बढ़ता है और क्या पूर्व मुख्य न्यायाधीश को न्याय मिलता है या उन्हें दोषी ठहराया जाता है।

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