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कट्टरता की आड़ में क्रूरता! मदरसों में पनप रहा 'दरिंदगी का दरबार': 9 दिन, 24 रेप? | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।जब से मोहम्मद यूनुस बांग्लादेश के रहनुमा बनें हैं तब से कट्टर मानसिकता के लोगों का वर्चस्व बढ़ा और फिर एक ऐसी सच्चाई मदरसों की सामने आई है जो किसी भी आम इंसान को हिलाकर रख देगी। मगर, कट्टरपंथी दरिंदों को क्या मतलब वो तो अपना काम किए जा रहे बस किए जा रहे हैं। पिछले 9 दिनों में 24 जघन्य घटनाएं सामने आई हैं, जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। यूनुस सरकार की एक वरिष्ठ सलाहकार ने इसे "महामारी" करार दिया है, जिससे मदरसों की भूमिका पर भी गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। आखिर क्यों मासूम जिंदगियां दरिंदगी का शिकार हो रही हैं और इस 'महामारी' को कैसे रोका जाए?
बांग्लादेश में हर सुबह अखबारों की सुर्खियां और शाम की बहसें इन्हीं दर्दनाक घटनाओं से भरी रहती हैं। हाल ही में सामने आए 20 से 29 जून तक के ये आंकड़े दिल दहला देने वाले हैं: महज 9 दिनों के अंदर 24 बलात्कार के मामले दर्ज किए गए हैं। यह आंकड़ा केवल पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज हुए मामलों का है। न जाने कितनी और घटनाएं डर या शर्म के कारण सामने ही नहीं आ पातीं।
इन घटनाओं की भयावहता ने सरकार को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है। यूनुस सरकार की एक वरिष्ठ सलाहकार ने इन बढ़ती वारदातों को "महामारी" का रूप दे दिया है। उन्होंने सार्वजनिक तौर पर यह बयान देकर एक ऐसे मुद्दे पर बहस छेड़ दी है, जिसे अक्सर दबा दिया जाता है। लेकिन सवाल यह है कि अचानक ये मामले इतनी तेजी से क्यों बढ़ रहे हैं? क्या कोई खास कारण है या यह सिर्फ रिपोर्टिंग में बढ़ोतरी का नतीजा है?
मदरसों पर क्यों उठ रहे सवाल?
बांग्लादेश में बलात्कार की घटनाओं के बढ़ने के साथ ही, कुछ हलकों में मदरसों की भूमिका पर भी सवाल उठने लगे हैं। यह एक संवेदनशील मुद्दा है, और इसे सावधानी से समझने की जरूरत है। रिपोर्टों के अनुसार, कुछ घटनाओं में मदरसों से जुड़े लोगों या मदरसे के अंदर ही अपराध हुए हैं। हालांकि, इसका मतलब यह कतई नहीं कि सभी मदरसे या उनमें पढ़ने वाले लोग ऐसे अपराधों में शामिल हैं।
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समाज का मौन और बढ़ती दरिंदगी
बलात्कार केवल एक कानूनी अपराध नहीं, बल्कि एक सामाजिक बीमारी भी है। बांग्लादेश में, जहां पारंपरिक मूल्य और रूढ़िवादिता गहरी जड़ें जमाए हुए हैं, ऐसे मामलों में अक्सर पीड़ितों को ही दोषी ठहराया जाता है। समाज का यह मौन और विकृत मानसिकता ही दरिंदों को और भी बेखौफ बनाती है। जब तक समाज का हर वर्ग इस समस्या को अपनी सामूहिक जिम्मेदारी नहीं समझेगा, तब तक बलात्कार की महामारी को रोकना मुश्किल होगा।
महिला अधिकारों के लिए काम करने वाले कार्यकर्ता और संगठन लगातार आवाज उठा रहे हैं। उनका मानना है कि इस समस्या से निपटने के लिए न केवल कड़ी कानूनी कार्रवाई की जरूरत है, बल्कि शिक्षा और जागरूकता पर भी जोर देना होगा। पुरुषों में लैंगिक समानता और महिलाओं के प्रति सम्मान का भाव विकसित करना बेहद जरूरी है।
यूनुस सरकार के सामने यह एक बड़ी चुनौती है। उन्हें न केवल इन मामलों की जांच करनी है, बल्कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए भी ठोस कदम उठाने हैं। इसमें पुलिस और न्यायपालिका को मजबूत करना, अपराधियों को जल्द से जल्द सजा दिलाना, और पीड़ितों को पर्याप्त सहायता प्रदान करना शामिल है।
शिकायतों का लगता अंबार
सामाजिक कल्याण मंत्रालय और महिला एवं बाल मामलों के मंत्रालय की सलाहकार शर्मिन मुर्शिद ने बताया कि मंत्रालय को पिछले 10-11 महीनों में अपने टोल-फ्री हॉटलाइन के माध्यम से 281,000 शिकायतें मिली हैं। हालांकि, कर्मचारियों की कमी के चलते हर कॉल का जवाब देना मुश्किल हो गया है। सलाहकार ने यह भी वादा किया कि प्रतिक्रिया दल अब तेजी से कार्रवाई करेंगे। अगर कोई घटना होती है तो 24 घंटे के अंदर रिस्पांस टीम 24 घंटे के भीतर तैनात होगी। उन्होंने यह भी कहा कि मंत्रालय अब एड हॉक के ढंग से काम नहीं करेगा। अधिकारी अब जिलों से परे जाकर गांवों और यूनियनों तक पहुंचेंगे। साथ ही यह सुनिश्चित किया जाएगा कि हर पीड़ित को सहायता मिले।
मोहम्मद यूनुस सरकार पर सवाल
शर्मिन एस. मुर्शिद, सामाजिक कल्याण मंत्रालय और महिला एवं बाल मामलों के मंत्रालय की सलाहकार ने मीडिया से बातचीत के दौरान चिंता जताई। शर्मिन ने कहा कि मैं पिछले 40 साल से महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा पर काम कर रही हूं। इस दौरान तमाम सरकारें आईं और गईं, लेकिन कोई भी इस समस्या का सामना नहीं कर पाया। उन्होंने कहा कि मुजफ्फरनगर और कुमिला में एक महिला के साथ रेप की घटना के बाद, स्थानीय अधिकारियों के नेतृत्व में एक क्विक रिस्पांस टीम पहले ही तैनात की जा चुकी है। मदरसों को लेकर सलाहकार ने यह भी कहा कि अब हमारे अधिकारी सीधे मदरसे में जाएंगे और उनकी जिम्मेदारी तय करेंगे।
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