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Bangladesh News: बढ़ता कट्टरपंथी प्रभाव, जमात-ए-इस्लामी का उदय और भारत के लिए खतरे के संकेत

बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के पतन के बाद जमात-ए-इस्लामी का प्रभाव बढ़ रहा है, जिससे क्षेत्रीय सुरक्षा को गंभीर खतरा उत्पन्न हो रहा है।

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Ajit Kumar Pandey
BANGLADESH

BANGLADESH ME KATTARPANTH

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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क ।

Bangladesh | Bangladesh news : बांग्लादेश में राजनीतिक उथल-पुथल के बाद कट्टरपंथी ताकतों का प्रभाव बढ़ता जा रहा है। शेख हसीना सरकार के पतन और मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार बनने के बाद देश में जमात-ए-इस्लामी (JIB) जैसे संगठनों को नया जीवन मिला है, जिससे क्षेत्रीय सुरक्षा को गंभीर खतरा पैदा हो गया है।

जमात-ए-इस्लामी कौन है और क्यों है खतरनाक ?

पाकिस्तान से संबंध: JIB का ऐतिहासिक रूप से पाकिस्तानी सेना और आईएसआई के साथ गहरा नाता रहा है। 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान यह संगठन पाकिस्तान के पक्ष में खड़ा था।

आतंकी नेटवर्क से जुड़ाव: रिपोर्ट्स के मुताबिक, JIB का लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और अल-कायदा जैसे वैश्विक आतंकी संगठनों से संपर्क होने का आरोप है।

शरिया कानून की मांग: यह संगठन बांग्लादेश में इस्लामिक कट्टरपंथ को बढ़ावा देकर शरिया कानून लागू करना चाहता है।

भारत के लिए क्यों बढ़ा खतरा ?

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पूर्वोत्तर में अस्थिरता: JIB का भारत-विरोधी एजेंडा पूर्वोत्तर राज्यों में सक्रिय अलगाववादी समूहों को समर्थन दे सकता है।

सीमा पार आतंकवाद: बांग्लादेश-भारत सीमा के नाजुक इलाकों में आतंकी घुसपैठ और अवैध गतिविधियों को बढ़ावा मिलने का खतरा।

अल्पसंख्यकों पर हमले: बांग्लादेश में हिंदू, बौद्ध और ईसाई समुदायों पर हिंसक हमले बढ़ सकते हैं, जिससे भारत में सांप्रदायिक तनाव फैलने की आशंका।

यूनुस सरकार ने क्यों दी JIB को छूट ?

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2024 में मोहम्मद यूनुस की सरकार ने JIB पर लगा चुनावी प्रतिबंध हटा दिया, जिसके बाद से यह संगठन सार्वजनिक रूप से सक्रिय हो गया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यूनुस सरकार को दक्षिणपंथी समर्थन की जरूरत है, जिसके चलते JIB को खुली छूट दी जा रही है।

भारत की चिंता और संभावित कार्रवाई

सीमा सुरक्षा मजबूत करना: BSF और RAW बांग्लादेश सीमा पर निगरानी बढ़ा सकते हैं।

कूटनीतिक दबाव: भारत, अमेरिका और यूरोपीय संघ के साथ मिलकर बांग्लादेश सरकार पर JIB के खिलाफ कार्रवाई का दबाव बना सकता है।

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आतंकवाद-रोधी सहयोग: SAARC और BIMSTEC जैसे मंचों पर बांग्लादेश के साथ सुरक्षा साझेदारी बढ़ाने की पहल।

क्या हो सकता है आगे ?

अगर JIB का प्रभाव बढ़ता है, तो बांग्लादेश में पाकिस्तान की तर्ज पर इस्लामिक कट्टरपंथी शासन की आशंका बढ़ जाएगी। इससे न सिर्फ भारत बल्कि पूरे दक्षिण एशिया की शांति को खतरा हो सकता है।

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