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BAPS ने वैश्विक मंच पर रची सनातन धर्म की गौरवगाथा, Sydney में छाया होली का उल्लास

सिडनी के दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र में शनिवार को हजारों लोग एकत्र हुए और होली के उत्सव का अभिन्न अंग 'फूलडोल महोत्सव' हर्षोल्लास के साथ मनाया। इसमें अमेरिका, ब्रिटेन, न्यूजीलैंड और जापान से आए श्रद्धालुओं ने भी भाग लिया।  

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Jyoti Yadav
Sydney
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नई दिल्ली, आईएएनएस

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सिडनी के दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र में शनिवार को हजारों लोग एकत्र हुए और होली के उत्सव का अभिन्न अंग 'फूलडोल महोत्सव' हर्षोल्लास के साथ मनाया। यह आयोजन केम्प्स क्रीक में हाल ही में खुले बीएपीएस श्री स्वामीनारायण हिंदू मंदिर और सांस्कृतिक परिसर में आयोजित किया गया।इसमें सिडनी के विभिन्न क्षेत्रों के लोगों के साथ-साथ अमेरिका, ब्रिटेन, न्यूजीलैंड और जापान से आए श्रद्धालुओं ने भी भाग लिया।  

महोत्सव के गहरे संदेश की सराहना की

ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज ने इस अवसर पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए इस महोत्सव के गहरे संदेश की सराहना की। उन्होंने इसे "शानदार विकास का एक अद्भुत उदाहरण" बताते हुए कहा, "यह मंदिर केवल एक उपासना स्थल नहीं है, बल्कि शांति, आत्मीयता और अपनत्व का स्थान है, जहां हर व्यक्ति अपने धर्म और पृष्ठभूमि की परवाह किए बिना खुद घर की तरह सहज महसूस करता है।"

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दूसरी बार भारत से बाहर मनाया गया

बीएपीएस के प्रवक्ता ने बताया, "फूलडोल हमारे समुदाय के लिए एक विशेष अवसर है। बीते 115 वर्षों में यह केवल दूसरी बार भारत से बाहर मनाया गया है। सिडनी में इसे इतने भव्य रूप में देखना वास्तव में अद्वितीय है।"बीएपीएस के आध्यात्मिक गुरु परम पूज्य महंत स्वामी महाराज (92) ने अपने पावन आशीर्वाद से इस महोत्सव की शोभा बढ़ाई। उन्होंने श्रद्धालुओं पर पवित्र जल का छिड़काव कर आयोजन को आध्यात्मिक रूप से और भी दिव्य बना दिया।

एकता और सामूहिक आनंद का प्रतीक 

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बीएपीएस के प्रवक्ता ने कहा, "परम पूज्य महंत स्वामी महाराज की उपस्थिति श्रद्धालुओं के लिए एक अविस्मरणीय आशीर्वाद है। यह त्योहार केवल रंगों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आस्था, एकता और सामूहिक आनंद का प्रतीक भी है।"प्रधानमंत्री अल्बानीज ने अपने दौरे का समापन परम पूज्य महंत स्वामी महाराज की शिक्षाओं पर चिंतन करते हुए किया। उन्होंने कहा, "परम पूज्य महंत स्वामी महाराज ने हमेशा सिखाया है कि एकता में शक्ति है। जब दिल एक होते हैं, तो कुछ भी असंभव नहीं होता।"फूलडोल महोत्सव केवल रंगों का उत्सव नहीं, बल्कि यह ऑस्ट्रेलियाई समुदाय के साथ भारतीय परंपराओं को साझा करने और अपनी आध्यात्मिक जड़ों से पुनः जुड़ने का एक अवसर भी था।

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