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US Tariffs के दबाव में नहीं झुकेगा भारत, रूस से रक्षा संबंध बरकरार

भारत ने ट्रंप के 25% टैरिफ और रूस से ऊर्जा आयात पर पाबंदी की चेतावनी के बावजूद दीर्घकालिक रणनीति चुनी। भारत अब जल्दबाजी नहीं करेगा और रूस से रक्षा संबंध बनाए रखेगा।

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Dhiraj Dhillon
Brahma Chelani

Brahma Chelani (File Photo)

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत से निर्यात होने वाले उत्पादों पर 25% आयात शुल्क लगाने और रूस से ऊर्जा आयात पर प्रतिबंध की चेतावनी के बाद भारत ने एक संतुलित व दीर्घकालिक रणनीति अपनाई है। भारत ने साफ कर दिया है कि वह 'बंदूक की नोक पर कोई व्यापार समझौता' नहीं करेगा। भारत अमेरिकी टैरिफ के दबाव में नहीं झुकेगा। सरकारी सूत्रों के अनुसार, भारत अब भी निष्पक्ष, परस्पर लाभकारी द्विपक्षीय व्यापार समझौते के लिए अगस्त में अधिकारी स्तर की वार्ता और अक्तूबर तक राजनीतिक समाधान का इंतजार करेगा।

अल्पकालिक कष्ट, दीर्घकालिक लाभ

भारत ने ऑस्ट्रेलिया या ब्रिटेन की तरह जल्दबाजी दिखाने से इनकार करते हुए 'चीन की तरह टैरिफ को सहन करते हुए वार्ता जारी रखने' का रास्ता चुना है। विशेषज्ञ मानते हैं कि ट्रंप की ओर से की गई टैरिफ घोषणा, भारत पर एकतरफा समझौता थोपने की रणनीतिक चाल है।

जानिए विशेषज्ञों की राय

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कंवल सिब्बल (पूर्व विदेश सचिव): ट्रंप भारत पर दबाव बनाना चाहते हैं ताकि मनमाफिक व्यापार समझौता किया जा सके, लेकिन भारत के पास रूस से दूरी बनाने की सीमित गुंजाइश है।
ब्रह्म चेलानी (रणनीतिक मामलों के जानकार): ट्रंप भारत पर आर्थिक युद्ध जैसी स्थिति बना रहे हैं। भारत पहले भी टैरिफ का जवाब नहीं देकर वार्ता को प्राथमिकता देता रहा है।

अमेरिका की मांगें भारत की स्थिति

  • कृषि क्षेत्र में प्रवेशः भारत इसके लिए तैयार नहीं
  • रूस से दूरी बनाना रणनीतिक रूप से असंभव
  • रक्षा उपकरणों की बिक्री तकनीक ट्रांसफर और लागत बड़ी चुनौती
  • ऊर्जा आयात बढ़ानाः भारत इस पर विचार कर सकता है
  • रूस क्यों है भारत के लिए अहम?
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समझौते का भविष्य

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सरकारी सूत्रों के मुताबिक-भारत किसी भी सूरत में अपने रणनीतिक हितों को ताक पर रखकर जल्दबाजी में समझौता नहीं करेगा। वार्ता के अंतिम चरण तक अगस्त में पहुंच सकते हैं, और अंतिम निर्णय अक्तूबर में संभव है।

अमेरिका को भी भारत की जरूरत

हिंद महासागर क्षेत्र में चीन को संतुलित करने के लिए भारत सबसे उपयुक्त सहयोगी है।अगर अमेरिका दबाव बनाए रखता है तो भारत और चीन के बीच निकटता बढ़ सकती है, जिससे नई वैश्विक समीकरण बन सकते हैं।भारत अब 'मेक इन इंडिया', रणनीतिक स्वतंत्रता और बहुपक्षीय कूटनीति को प्राथमिकता दे रहा है। अमेरिका के साथ व्यापारिक तनाव के बावजूद भारत राष्ट्रीय हितों से समझौता नहीं करेगा और रूस जैसे परंपरागत सहयोगियों के साथ संतुलन बनाए रखेगा।
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