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India's Big Sea Leap: श्रीलंका के कोलंबो डॉकयार्ड पर होगा भारत नियंत्रण, चीन को सीधी चुनौती

भारत ने श्रीलंका में कोलंबो डॉकयार्ड का अधिग्रहण कर हिंद महासागर में अपनी रणनीतिक उपस्थिति मजबूत की। चीन की बढ़ती घुसपैठ पर करारा जवाब। जानिए पूरी रिपोर्ट।

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Dhiraj Dhillon
Rajnath Singh in SCO Meeting 26 june 2025_20250628_091231_0000

Photograph: (Google)

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। India- Srilanka: भारत ने समुद्री शक्ति के क्षेत्र में एक बड़ा कदम उठाते हुए श्रीलंका के सबसे बड़े शिपयार्ड कोलंबो डॉकयार्ड पीएलसी के नियंत्रण में हिस्सेदारी हासिल कर ली है। यह अधिग्रहण भारत की सार्वजनिक क्षेत्र की प्रमुख रक्षा शिपबिल्डिंग कंपनी मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) द्वारा किया गया है। यह सौदा 52.96 मिलियन डॉलर (लगभग 452 करोड़ रुपये) में हुआ है और इसके साथ ही MDL, कोलंबो डॉकयार्ड की 51 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी खरीदेगी। यह भारत का किसी विदेशी शिपयार्ड में पहला बड़ा रणनीतिक निवेश है, जो हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की मजबूत समुद्री उपस्थिति को दर्शाता है।

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हिंद महासागर में चीन को चुनौती

यह अधिग्रहण ऐसे समय में हुआ है जब श्रीलंका में चीन की बढ़ती आर्थिक और सैन्य गतिविधियां भारत के लिए रणनीतिक चिंता का विषय रही हैं। कोलंबो पोर्ट, जहां यह डॉकयार्ड स्थित है, दक्षिण एशिया के सबसे व्यस्त और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण ट्रांसशिपमेंट हब्स में शामिल है। MDL के चेयरमैन कैप्टन जगमोहन ने इसे भारत की “वैश्विक शिपबिल्डिंग शक्ति” बनने की दिशा में एक बड़ा कदम बताया। यह अधिग्रहण चीन की हम्बनटोटा बंदरगाह पर पकड़ को संतुलित करने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।

कोलंबो डॉकयार्ड की ताकत

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1974 में स्थापित Colombo Dockyard PLC श्रीलंका का सबसे बड़ा और एडवांस शिपयार्ड है। यहां चार ड्राईडॉक और कई बर्थ हैं जो 1.25 लाख डेडवेट टन (DWT) तक के जहाजों को हैंडल कर सकते हैं। कंपनी के पास 50 वर्षों से अधिक का अनुभव है और यह जापान, फ्रांस, नॉर्वे, भारत और UAE जैसे देशों के लिए पोत निर्माण कर चुकी है। वर्तमान में, शिपयार्ड के पास 300 मिलियन डॉलर से अधिक की ऑर्डर बुक है, जिसमें केबल-लेइंग शिप, फ्लीट सपोर्ट वेसल्स और मल्टीपर्पज यूटिलिटी शिप्स शामिल हैं।

MDL की भूमिका और योजना

भारत की MDL कंपनी, जो पहले ही स्कॉर्पीन पनडुब्बियों और युद्धपोतों के निर्माण में अग्रणी है, इस डील के माध्यम से कोलंबो डॉकयार्ड को पुनर्जीवित करने और क्षेत्रीय लीडर बनाने की योजना पर काम कर रही है। इस डील के तहत MDL, जापान की ओनोमिची डॉकयार्ड लिमिटेड से हिस्सेदारी खरीदेगी। MDL भारत में भी जर्मन कंपनी थाइसनक्रुप मरीन सिस्टम्स के साथ मिलकर भारतीय नौसेना के लिए 70,000 करोड़ रुपये की डीजल-इलेक्ट्रिक स्टेल्थ पनडुब्बियों के निर्माण की दौड़ में शामिल है।
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रणनीतिक प्रभाव के बारे में जानिए

भारत को कोलंबो जैसे संवेदनशील बंदरगाह पर मजबूत परिचालन आधार मिलेगा।
चीन की हिंद महासागर में घुसपैठ को संतुलित करने में मदद।
श्रीलंका में आर्थिक और सुरक्षा संबंधों को नई मजबूती।
भारतीय शिपबिल्डिंग उद्योग को अंतरराष्ट्रीय विस्तार का बड़ा मौका।
Srilanka
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