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क्या भूटान के भविष्य की चाबी भारत के हाथ में है? जनरल द्विवेदी की यात्रा ने खोले नए राज! | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । जनरल उपेंद्र द्विवेदी की भूटान यात्रा भारत-भूटान दोस्ती का नया अध्याय लिख रही है। उन्होंने भूटान की ग्यालसुंग एकेडमी का दौरा किया, जो युवाओं के सशक्तिकरण और राष्ट्र निर्माण का एक अनूठा केंद्र है। इस यात्रा ने न केवल दोनों देशों के मजबूत संबंधों को reaffirmed किया, बल्कि भूटान के भविष्य के लिए भारत के समर्थन को भी उजागर किया।
भारतीय सेना प्रमुख (COAS) जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने हाल ही में भूटान के जामत्शोलिंग स्थित ग्यालसुंग एकेडमी का दौरा किया, जो भूटान के पंचम नरेश की दूरदर्शी पहल का प्रतीक है। इस दौरे का मुख्य उद्देश्य राष्ट्र निर्माण और युवा सशक्तिकरण के प्रयासों को समझना और उनकी सराहना करना था। जनरल द्विवेदी ने एकेडमी के सराहनीय प्रयासों की जमकर तारीफ की, जो भूटान के युवाओं के भविष्य को संवारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
यह एकेडमी सिर्फ एक शिक्षण संस्थान नहीं, बल्कि भूटान के भविष्य का निर्माण करने वाला एक मजबूत स्तंभ है। यहां के छात्र न केवल अकादमिक ज्ञान प्राप्त करते हैं, बल्कि उन्हें देश के प्रति जिम्मेदारी और समर्पण का पाठ भी पढ़ाया जाता है। क्या भारत और भूटान के बीच यह रिश्ता और गहरा होगा?
अत्याधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर और दूरदर्शी योजनाएं
जनरल द्विवेदी ने ग्यालसुंग एकेडमी के प्रभावशाली इंफ्रास्ट्रक्चर को देखकर admiration व्यक्त किया। उन्होंने विशेष रूप से आगामी इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए thoughtfully designed plans की सराहना की, जो His Majesty's grand vision को साकार करेंगे। यह दर्शाता है कि भूटान अपने युवाओं के लिए विश्व स्तरीय सुविधाएं प्रदान करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है।
अकादमी का लक्ष्य सिर्फ युवाओं को शिक्षित करना नहीं, बल्कि उन्हें ऐसे नागरिक बनाना है जो अपने देश के विकास में सक्रिय रूप से योगदान दे सकें। इसमें खेल सुविधाएं, तकनीकी प्रशिक्षण केंद्र और नेतृत्व क्षमता विकसित करने वाले कार्यक्रम शामिल हैं। क्या ऐसी पहल से अन्य देश भी प्रेरणा ले सकते हैं?
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भारत-भूटान: दोस्ती का अटूट बंधन
COAS ने भारत और भूटान के बीच गहरी दोस्ती और अटूट संबंधों पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना इन transformative initiatives का समर्थन करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। यह दर्शाता है कि भारत अपने पड़ोसी देश भूटान के विकास और स्थिरता में एक महत्वपूर्ण भागीदार है। दोनों देशों के बीच यह सहयोग दशकों पुराना है और यह रणनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक रूप से मजबूत हुआ है।
रणनीतिक महत्व: भूटान भारत के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार है, खासकर हिमालयी क्षेत्र में।
आर्थिक सहयोग: भारत भूटान का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है, और दोनों देश कई विकास परियोजनाओं पर मिलकर काम करते हैं।
सांस्कृतिक आदान-प्रदान: दोनों देशों के बीच मजबूत सांस्कृतिक और धार्मिक संबंध हैं।
युवा सशक्तिकरण: एक साझा दृष्टिकोण
जनरल द्विवेदी की यह यात्रा केवल सैन्य संबंधों तक सीमित नहीं थी, बल्कि इसने युवा सशक्तिकरण जैसे महत्वपूर्ण सामाजिक पहलुओं पर भी ध्यान केंद्रित किया। भारत भी अपनी युवा आबादी के सशक्तिकरण पर जोर देता है, और भूटान की यह पहल भारत के लिए भी प्रासंगिक है। ग्यालसुंग एकेडमी का मॉडल अन्य विकासशील देशों के लिए भी एक प्रेरणा हो सकता है जो अपने युवाओं के भविष्य में निवेश करना चाहते हैं।
जनरल द्विवेदी की भूटान यात्रा ने स्पष्ट कर दिया है कि भारत भूटान के साथ अपने संबंधों को कितना महत्व देता है। भारतीय सेना की प्रतिबद्धता न केवल सुरक्षा पहलुओं तक सीमित है, बल्कि यह भूटान के सामाजिक और आर्थिक विकास में भी भागीदार बनने को तैयार है। यह भविष्य में दोनों देशों के बीच और अधिक सहयोग की उम्मीद जगाता है।
भूटान अपने GNH (Gross National Happiness) दर्शन के लिए जाना जाता है, और ग्यालसुंग एकेडमी इस दर्शन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। भारत का समर्थन इस अद्वितीय दृष्टिकोण को और मजबूत करेगा।
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