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नई दिल्ली वाईबीएन डेस्क: पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टोजरदारी ने हाल ही में एक इंटरव्यू में स्वीकार किया कि पाकिस्तान का अतीत में कुछ आतंकी संगठनों से संबंध रहा है। हालांकि उन्होंने इस बात से साफ इनकार किया कि पाकिस्तान ने कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा दिया है। भारतीय पत्रकार को दिए गए इंटरव्यू में बिलावल ने पाकिस्तान की आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को प्रमुखता से सामने रखने की कोशिश की।
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हम खुद आतंकवाद का शिकार हुए हैं
बिलावल ने कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ वर्षों से लड़ रहा है और इस लड़ाई में अब तक 92,000 से अधिक नागरिक और सुरक्षाकर्मी अपनी जान गंवा चुके हैं, जिनमें से सिर्फ एक साल में करीब 2,000 लोग मारे गए। उन्होंने कहा कि यह साल पाकिस्तान के इतिहास का सबसे खूनी वर्ष साबित हो रहा है। जब उनसे पूछा गया कि उनके पिता आसिफ अली जरदारी ने 2009 में माना था कि पाकिस्तान ने कुछ आतंकी संगठनों को तैयार किया था तो बिलावल ने कहा कि यह नीति जिया उल हक के शासनकाल की थी, जब अफगानिस्तान में सोवियत संघ के खिलाफ जिहाद को समर्थन मिला। उन्होंने कहा कि इसी 'जिहादिफिकेशन' की प्रक्रिया का असर पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में दिखाई दिया।
कश्मीर में आतंकवाद से जुड़े सवालों से किनारा
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हालांकि बिलावल ने इस बात से इंकार किया कि पाकिस्तान सरकार, सेना या खुफिया एजेंसी आईएसआई ने कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा दिया। उन्होंने स्वीकार किया कि कुछ आतंकवादी संगठनों की शुरुआत अफगानिस्तान से हुई और बाद में उन्होंने कश्मीर की ओर रुख किया, लेकिन इस दिशा में पाकिस्तान की किसी भी आधिकारिक भूमिका से उन्होंने इनकार किया। पत्रकार द्वारा मुंबई हमले और हाफिज सईद, मसूद अजहर जैसे आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर पूछे गए सवालों पर बिलावल ने जवाब दिया कि हाफिज सईद को पाकिस्तान में जेल भेजा गया है और उस पर केस भी दर्ज हैं – हालांकि यह मामला मुंबई हमले से नहीं बल्कि टेरर फंडिंग से जुड़ा था।मसूद अजहर पर बिलावल ने कहा कि वर्तमान में वह पाकिस्तान में नहीं बल्कि अफगानिस्तान में है और अगर वह पाकिस्तान में होता तो सरकार कार्रवाई करती।उन्होंने दावा किया कि फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) सहित कई अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने पाकिस्तान की आतंकवाद विरोधी कार्रवाई को स्वीकार किया है। Bilawal Bhutto
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