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अमेरिकी सीनेटर ब्रैड शेरमैन और पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी।
वाशिंगटन वाईबीएन डेस्क।पहलगाम आतंकी हमले को लेकर सफाई देन के लिए अमेरिका दौरे पर आए पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी और उनके डेलिगेशन को यहां काफी कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा। वॉशिंगटन में अमेरिकी सीनेटर ब्रैड शेरमैन ने पाकिस्तानी डेलिगेशन को दो टूक शब्दों में कड़ा संदेश दिया। उन्होंने पाकिस्तान से आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई की मांग की, खासतौर पर जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों के खिलाफ। यही पत्रकार डैनियल पर्ल की 2002 में हुई हत्या में भी शामिल था।
सोशल मीडिया पर लिखकर बताया
ब्रैड शेरमैन ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर पोस्ट कर कहा, "मैंने पाकिस्तान से आए प्रतिनिधिमंडल को बताया कि आतंकवाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कितनी जरूरी है, खासकर जैश-ए-मोहम्मद जैसे गुटों के खिलाफ। इसी संगठन ने मेरे निर्वाचन क्षेत्र के पत्रकार डैनियल पर्ल की हत्या की थी। उनके परिवार के लोग आज भी वहीं रहते हैं। पाकिस्तान को चाहिए कि वह इस खतरनाक आतंकी संगठन को पूरी तरह खत्म करने के लिए हर जरूरी कदम उठाए।"
#BREAKING: US Congressman Brad Sherman says he raised with Pakistani Delegation need for combating terrorism in particular Jaish e Muhammad & protection of religious minorities. Christians, Hindus & Ahmediya Muslims must be allowed to practice their faith without facing violence. pic.twitter.com/CpbMHMt5bf
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) June 6, 2025
पाकिस्तान को दी ये सलाह
अमेरिकी सांसद शेरमैन ने कहा कि पाकिस्तान में रहने वाले ईसाई, हिंदू और अहमदी समुदायों को बिना डर-भय के अपनी धार्मिक आस्था का पालन करने का पूरा हक मिलना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि इन समुदायों को किसी भी तरह की हिंसा, भेदभाव या अन्याय के डर के बिना लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग लेने की आजादी होनी चाहिए। ब्रैड शेरमैन ने पाकिस्तान से मांग की कि वह डॉ. शकील अफरीदी को रिहा करे। डॉ. अफरीदी को ओसामा बिन लादेन का पता लगाने में CIA की मदद करने के कारण 33 साल की सजा दी गई थी। शेरमैन ने कहा, "डॉ. अफरीदी की रिहाई 9/11 के पीड़ितों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।"
बिलावल ने की थी कश्मीर मुद्दा उठाने की कोशिश
पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जब अमेरिका पहुंचे, उसी समय भारत से शशि थरूर के नेतृत्व में एक डेलिगेशन पहले से ही वॉशिंगटन में था। यह डेलिगेशन टीम हाल ही में हुए 'ऑपरेशन सिंदूर' और पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की सख्त आतंकवाद विरोधी नीति की जानकारी अमेरिकी अधिकारियों को दे रही थी।
बिलावल ने सबसे पहले न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस और सुरक्षा परिषद के कुछ राजदूतों से मुलाकात की। इसके बाद वह वॉशिंगटन पहुंचे, जहां उन्होंने कश्मीर मुद्दे को उठाने की कोशिश की, लेकिन उन्हें वहां समर्थन नहीं मिला. उल्टा, उन्हें आतंकवाद के खिलाफ अपने देश में सख्त कदम उठाने की सलाह दी गई।
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