नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क । रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच भारत ने वैश्विक हथियार बाजार में अपनी उपस्थिति बढ़ाने की रणनीति तेज कर दी है। भारत अब सस्ते और लंबी अवधि के कर्ज की पेशकश करके उन देशों को लक्षित कर रहा है जो पहले रूस से हथियार खरीदते थे। रूस के यूक्रेन संघर्ष में उलझे होने के कारण कई देशों को हथियारों की आपूर्ति में दिक्कतें आ रही हैं, और भारत इस अवसर का फायदा उठाने की कोशिश कर रहा है।
EXIM बैंक के जरिए सस्ते कर्ज की पेशकश
भारत सरकार ने एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट बैंक (EXIM बैंक) के माध्यम से हथियार खरीदने वाले देशों को कम ब्याज दरों पर लोन देने की योजना बनाई है। इसका उद्देश्य उन देशों को आकर्षित करना है जो राजनीतिक अस्थिरता या कम क्रेडिट रेटिंग की वजह से महंगे कर्ज नहीं ले पाते। इसके तहत भारत ने ब्राजील, अर्जेंटीना समेत 20 देशों में अपने राजनयिक भेजे हैं।
रूस-यूक्रेन युद्ध का फायदा
russia | Russia news | India : फरवरी 2022 में शुरू हुए रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद रूस और अमेरिका दोनों ने अपने हथियारों की आपूर्ति यूक्रेन को बढ़ा दी, जिससे अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और एशिया के कई देशों को हथियारों की कमी का सामना करना पड़ा। भारत ने इस अवसर को पहचानते हुए इन देशों से संपर्क बढ़ाया है।
भारत की खासियत यह है कि वह पश्चिमी और रूसी दोनों तरह के हथियारों का उपयोग करता है, जिससे वह विभिन्न देशों की जरूरतों को बेहतर ढंग से समझ सकता है।
रूस के हथियार निर्यात में गिरावट, भारत को मौका
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की रिपोर्ट के अनुसार, 2020-24 में रूस के हथियार निर्यात में 64% की गिरावट आई है। वैश्विक हथियार बाजार में रूस की हिस्सेदारी 20% से घटकर 7.8% रह गई है। इसकी एक बड़ी वजह चीन और भारत द्वारा रूस से कम हथियार खरीदना है।
भारत, जो कभी रूस का सबसे बड़ा हथियार खरीदार था, अब अपने रक्षा उत्पादन पर जोर दे रहा है। 2023-24 में भारत का रक्षा उत्पादन ₹1.27 लाख करोड़ तक पहुंच गया, जो 2020 की तुलना में 62% अधिक है। भारत ने 2029 तक रक्षा निर्यात को 6 बिलियन डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है।
भारत के हथियार सस्ते और प्रभावी
भारत में निर्मित 155 मिमी तोप के गोले की कीमत 300-400 डॉलर है, जबकि यूरोप में यही गोला 3,000 डॉलर में बिकता है। इसी तरह, भारतीय होवित्जर तोप की कीमत यूरोपीय तोपों की तुलना में लगभग आधी है।
निजी कंपनियों जैसे अडाणी डिफेंस और SMPP ने भी बड़े हथियारों के निर्माण में दिलचस्पी दिखाई है, जिससे भारत का रक्षा उद्योग और मजबूत हुआ है।
अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और एशिया पर फोकस
भारत ने अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों को अपना प्रमुख रक्षा निर्यात बाजार बनाने की योजना बनाई है। मार्च 2026 तक भारत 20 नए सैन्य राजनयिकों (डिफेंस अटैशे) को अल्जीरिया, मोरक्को, गुयाना, तंजानिया, अर्जेंटीना, इथियोपिया और कंबोडिया जैसे देशों में तैनात करेगा।
आर्मेनिया में सफलता
भारत की रणनीति को आर्मेनिया में सफलता मिली है। SIPRI के अनुसार, 2022-24 में आर्मेनिया के हथियार आयात में भारत की हिस्सेदारी 43% हो गई, जबकि 2018 में यह शून्य थी।
रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक हथियार बाजार में उत्पन्न अवसरों का लाभ उठाकर भारत ने सस्ते कर्ज और बेहतर तकनीक की पेशकश से अपनी स्थिति मजबूत की है। अगर यह रणनीति सफल रही, तो भारत जल्द ही वैश्विक रक्षा बाजार में एक प्रमुख खिलाड़ी बन सकता है।