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Breaking : SCO में भारत की तगड़ी दहाड़! संयुक्त घोषणापत्र पर नहीं किए हस्ताक्षर? मच गई हलचल

SCO बैठक में भारत ने संयुक्त घोषणापत्र पर हस्ताक्षर से इनकार किया, क्योंकि इसमें पहलगाम आतंकी हमले का जिक्र नहीं था, जबकि पाकिस्तान की घटनाओं का उल्लेख था। भारत ने आतंकवाद पर दोहरे मापदंड को अस्वीकार किया। जानें क्यों मची हलचल?

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Ajit Kumar Pandey
Breaking : SCO में भारत की तगड़ी दहाड़! संयुक्त घोषणापत्र पर नहीं किए हस्ताक्षर? मच गई हलचल | यंग भारत न्यूज

Breaking : SCO में भारत की तगड़ी दहाड़! संयुक्त घोषणापत्र पर नहीं किए हस्ताक्षर? मच गई हलचल | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में भारत ने संयुक्त घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया, जिसने अंतरराष्ट्रीय मंच पर काफी हलचल मचा दी है। भारत के इस कड़े रुख के पीछे कुछ बेहद गंभीर कारण हैं, जो न सिर्फ देश की संप्रभुता से जुड़े हैं, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ उसकी दृढ़ प्रतिबद्धता को भी दर्शाते हैं।

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सूत्रों के मुताबिक, भारत इस संयुक्त दस्तावेज की भाषा से संतुष्ट नहीं था, क्योंकि इसमें कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले का कोई जिक्र नहीं था, जबकि पाकिस्तान में हुई कुछ घटनाओं का उल्लेख किया गया था। यह असमानता ही भारत के इनकार का मुख्य कारण बनी, जिससे कोई संयुक्त विज्ञप्ति भी जारी नहीं हो सकी। यह घटना भारत की SCO में स्थिति और उसके सिद्धांतों को स्पष्ट करती है।

SCO में आतंकवाद पर दोहरा मापदंड अस्वीकार्य

भारत ने SCO संयुक्त घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया, क्योंकि इसमें आतंकवाद को लेकर दोहरे मापदंड अपनाए गए थे। विशेष रूप से, जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भयावह आतंकवादी हमले का इस दस्तावेज में कोई उल्लेख नहीं था। यह हमला, जिसमें कई बेगुनाह जानें गईं, भारत के लिए एक गंभीर मुद्दा है। इसके विपरीत, दस्तावेज में पाकिस्तान में हुई कुछ घटनाओं का जिक्र किया गया था, जिसे भारत ने एकतरफा और पक्षपातपूर्ण माना। भारत हमेशा से आतंकवाद के खिलाफ बिना किसी समझौते के एक मजबूत और स्पष्ट रुख अपनाता रहा है। यह घटना दर्शाती है कि भारत SCO में अपनी बात कितनी मजबूती से रखता है।

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भारत का मानना है कि आतंकवाद एक वैश्विक खतरा है और इसे किसी भी रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता, चाहे वह किसी भी देश में क्यों न हो। ऐसे में, यदि किसी संयुक्त दस्तावेज में आतंकवाद के कुछ कृत्यों को नजरअंदाज किया जाता है और दूसरों को प्राथमिकता दी जाती है, तो यह आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को कमजोर करता है। भारत ने स्पष्ट कर दिया कि वह ऐसे किसी भी समझौते का हिस्सा नहीं बनेगा जो आतंकवाद को लेकर चयनात्मक दृष्टिकोण अपनाता हो। यह घटना अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का दृढ़ संकल्प दिखाती है।

पाकिस्तान की घटनाओं का जिक्र और भारत की आपत्ति

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सूत्रों के अनुसार, संयुक्त घोषणापत्र में पाकिस्तान में हुई कुछ घटनाओं का जिक्र था, जिससे भारत ने आपत्ति जताई। हालांकि उन घटनाओं का सटीक विवरण अभी सामने नहीं आया है, लेकिन भारत का तर्क यह था कि अगर पाकिस्तान में हुई घटनाओं का उल्लेख किया जा रहा है, तो भारत में हुए आतंकी हमलों, खासकर पहलगाम हमले, का जिक्र न करना भेदभावपूर्ण है। यह SCO जैसे महत्वपूर्ण संगठन की निष्पक्षता पर सवाल उठाता है। भारत ने जोर देकर कहा कि आतंकवाद के मुद्दे पर कोई दोहरी नीति नहीं अपनाई जानी चाहिए।

संयुक्त विज्ञप्ति क्यों नहीं हुई जारी?

भारत के संयुक्त घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करने से इनकार के बाद, SCO की बैठक में कोई संयुक्त विज्ञप्ति भी जारी नहीं हो सकी। संयुक्त विज्ञप्ति आमतौर पर बैठक के निष्कर्षों और सदस्यों के साझा विचारों को दर्शाती है। भारत के असंतोष के कारण यह महत्वपूर्ण दस्तावेज जारी नहीं हो पाया, जो दर्शाता है कि भारत अपने सिद्धांतों पर कितना अडिग है। यह स्थिति SCO के भीतर कुछ मतभेदों को भी उजागर करती है।

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भारत का मजबूत संदेश: "पहले देश, फिर संगठन"

इस घटना से भारत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एक स्पष्ट संदेश दिया है: राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में कोई समझौता नहीं किया जाएगा। भारत ने दिखा दिया कि वह किसी भी अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपने हितों और मूल्यों की रक्षा के लिए खड़ा रहेगा, भले ही इसके लिए उसे कठिन निर्णय लेने पड़ें। यह भारत की स्वतंत्र विदेश नीति का एक और उदाहरण है।

यह घटना दर्शाती है कि भारत अब केवल एक मूक दर्शक नहीं, बल्कि एक सक्रिय भागीदार है जो वैश्विक मुद्दों पर अपनी आवाज उठाता है और अपने सिद्धांतों पर कायम रहता है। भारत के इस कदम से न सिर्फ देश का सम्मान बढ़ा है, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में उसकी विश्वसनीयता भी मजबूत हुई है। SCO में भारत का रुख अब और भी स्पष्ट हो गया है।

भारत के इस साहसिक कदम पर आपकी क्या राय है? क्या आपको लगता है कि भारत ने सही निर्णय लिया है? अपनी राय हमें कमेंट बॉक्स में बताएं और इस चर्चा में शामिल हों! 

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