नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक और बड़ा झटका लगा है। शुक्रवार 6 जून 2025 को को ब्रासीलिया में आयोजित BRICS मंच से भारत में हुए पहलगाम आतंकी हमले की कड़ी निंदा की गई, जिसमें पाकिस्तान की भूमिका पर परोक्ष हमला हुआ। खास बात यह रही कि इस बार चीन को छोड़कर कई मुस्लिम देशों ने भी भारत का खुला समर्थन किया है। यह भारत की कूटनीतिक जीत मानी जा रही है और पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय छवि पर बड़ा आघात।
पाकिस्तान को एक और बड़ा अंतरराष्ट्रीय झटका, इस बार BRICS के मंच से लगा है। भारत में अमरनाथ यात्रा के दौरान पहलगाम में हुए आतंकी हमले की BRICS मंच पर जबरदस्त निंदा की गई। यह हमला जिस तरीके से हुआ, उसमें पाकिस्तान समर्थित आतंकी समूहों की भूमिका को लेकर भारत ने मजबूती से अपनी बात रखी। और चौंकाने वाली बात यह रही कि मुस्लिम देशों ने भी भारत का साथ दिया, जो अब तक पाकिस्तान के साथ खड़े नजर आते थे।
BRICS की इस बैठक में भारत ने स्पष्ट रूप से कहा कि पहलगाम हमला केवल भारत पर नहीं, बल्कि मानवता पर हमला था। भारत ने इसे क्रॉस बॉर्डर टेररिज्म यानी सीमा पार आतंकवाद का उदाहरण बताते हुए पाकिस्तान की ओर इशारा किया। इस पर कई देशों ने समर्थन जताया।
चीन को छोड़कर बाकी BRICS देश भारत के साथ
BRICS के पांच संस्थापक देशों में से चीन ने इस बार भारत की बात को समर्थन नहीं दिया, लेकिन ब्राजील, रूस और दक्षिण अफ्रीका ने भारत के साथ मिलकर आतंकी हमले की निंदा की। इसके अलावा संयुक्त अरब अमीरात (UAE), सऊदी अरब, मिस्र और इंडोनेशिया जैसे मुस्लिम देशों ने भी भारत के सुर में सुर मिलाया।
यह घटना बताती है कि अब वैश्विक मंच पर पाकिस्तान को मुस्लिम समर्थन भी वैसा नहीं मिल रहा, जैसा पहले मिलता था। भारत की कूटनीति अब मुस्लिम देशों को भी यह समझाने में सफल हो रही है कि आतंकवाद किसी भी धर्म का प्रतिनिधि नहीं होता।
BRICS मंच से पाकिस्तान की छवि को गहरा धक्का
BRICS जैसा प्रभावशाली मंच जब किसी देश पर सीधे हमला नहीं करता लेकिन फिर भी परोक्ष रूप से उसे कटघरे में खड़ा करता है, तो यह बड़ी बात होती है। पाकिस्तान की कोशिश थी कि यह मुद्दा ज्यादा न उछले, लेकिन भारत ने इसे पूरी मजबूती से उठाया और दुनिया को यह दिखाने में सफल रहा कि पाकिस्तान आतंक का गढ़ बन चुका है।
पहलगाम हमले को लेकर भारत पहले ही पाकिस्तान पर आरोप लगा चुका है कि यह हमला लश्कर-ए-तैयबा या जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकियों के जरिए कराया गया, जिन्हें ISI और पाक सेना का सीधा समर्थन हासिल है।
भारत ने इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाकर यह साबित कर दिया है कि वह अब आतंक के खिलाफ किसी भी स्तर पर नरमी नहीं बरतेगा। खासकर जब मुस्लिम देश भी भारत की आतंक विरोधी नीति के साथ खड़े हों, तो यह संकेत है कि अब पाकिस्तान की कूटनीतिक अलगाव की स्थिति और गहराने वाली है।
इस हमले को लेकर संयुक्त राष्ट्र महासभा में भी भारत आवाज उठा सकता है, और संभावना है कि आने वाले समय में पाकिस्तान को फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) जैसी संस्थाओं से भी झटका मिल सकता है।
पाकिस्तान के लिए यह घटनाक्रम चिंता का सबब बन गया है। BRICS जैसे मंच पर जब मुस्लिम देश भी आतंक के मुद्दे पर भारत का समर्थन करें, तो यह स्पष्ट संकेत है कि अब पाकिस्तान के लिए अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में समर्थन जुटाना कठिन होता जा रहा है।
क्या आपको लगता है कि पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंचों से और सख्त संदेश मिलना चाहिए? अपनी राय कमेंट में बताएं।
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